विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस के 18 कर्मियों को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. दो अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए पदक दिया गया , जबकि 16 को यह सराहनीय सेवा के लिए मिला. संयुक्त पुलिस आयुक्त आत्माराम वासुदेव देशपांडे और सहायक पुलिस आयुक्त (सेवानिवृत्त) शशि बाला को विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया.
सराहनीय सेवा पदक पाने वाले पुलिस के जवान
दिल्ली पुलिस के दिन 16 अधिकारियों और जवानों को सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया गया है, उनमें 2005 बैच की आईपीएस अधिकारी ज्वाइंट सीपी सुमन गोयल, डीसीपी रजनीश गर्ग, स्टैटिस्टिक्स (जेआरओ) एसीपी सत्यपाल सिंह, एसीपी अरविंद कुमार, एसीपी रेनू लता, एसीपी नीरज टोकस, एसीपी दिनेश चंद्र पुंडोरा, इंस्पेक्टर (कंप्यूटर) दिनेश कुमार शर्मा, इंस्पेक्टर (एग्जीक्यूटिव) देवेंद्र कुमार, इंस्पेक्टर (एग्जीक्यूटिव) राकेश सिंह राणा, इंस्पेक्टर (एग्जीक्यूटिव) सत्येंद्र पूनिया, सब इंस्पेक्टर (एग्जीक्यूटिव) शाहजहां एस., एसआई (एग्जीक्यूटिव) सुरेंद्र सिंह, एएसआई (एग्जीक्यूटिव) वीरेंद्र कुमार, एएसआई (माउंटेड) हंस राज और एसआई (माउंटेड) सुरेश कुमार प्रमुख रूप से शामिल हैं.
राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हुए वासुदेव देशपांडे
ज्वाइंट सीपी (आईपीएस) आत्माराम वासुदेव देशपांडे ने साल 1998 में गोवा लोकसेवा आयोग के माध्यम से पुलिस उपाधीक्षक के रूप में गोवा पुलिस सेवा ज्वाइन किया. साल 2011 में वह आईपीएस में शामिल हुए. उनको गोवा में विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य भी सौंपे गए थे और उन्होंने सभी कार्यों और जिम्मेदारियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था. 2011 में सराहनीय सेवा के लिए गोवा मुख्यमंत्री के स्वर्ण पदक (पुलिस) से सम्मानित किया गया था. 2013 में, देशपांडे को सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया और 2017 में, उन्हें सम्मानित किया गया। दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए उन्हें डीजीपी का प्रतीक चिन्ह भी मिला. उन्होंने पुलिस फाउंडेशन फॉर एजुकेशन दिल्ली के महासचिव के रूप में, दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल की तीनों शाखाओं के समग्र प्रबंधन में उल्लेखनीय योगदान दिया. वर्तमान में संयुक्त सीपी ऑपरेशंस, दिल्ली के रूप में तैनात हैं.
एसीपी शशि बाला कर चुकीं 30 हजार स्कूली छात्राओं को ट्रेंड
राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित एसीपी (रिटायर्ड) शशि बाला ने साल 1985 में दिल्ली पुलिस में बतौर कांस्टेबल के रूप में ज्वाइनिंग की थी. इसके बाद वह साल 1988 में प्रतियोगी परीक्षा के जरिये सब इंस्पेक्टर के रूप में चयनित हुईं. हाल ही में जुलाई, 2024 के महीने में सेवा पूरी होने के बाद सेवानिवृत्त हुईं. इंस्पेक्टर के रूप में अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने बलात्कार और वैवाहिक विवाद जैसे कई अहम मामलों की जांच की. एसीपी/सीएडब्ल्यू नई दिल्ली जिले के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने वीवीआईपी रूट ड्यूटी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का संभाला. कार्यकारी मजिस्ट्रेट और नई दिल्ली जिले में करीब 30,000 से ज्यादा स्कूली छात्रों को आत्मरक्षा के गुर सिखाने का काम भी किया.
एसीपी अरविंद कुमार व अन्य को चर्चित नीना बर्जर हत्याकांड समेत 13 हत्याकांड को सुलझाने के लिए पदक दिया गया है. एसीपी सत्यपाल सिंह ने समय-समय पर दिल्ली पुलिस द्वारा किए गए विभिन्न शोध अध्ययनों पर काम किया और गृह मंत्रालय (एमएचए), उपराज्यपाल की बैठकों के लिए बल के अपराध डेटा पर काम का पर्यवेक्षण किया। एलजी), डीजीएसपी, आईजीएसपी सम्मेलन, संसद प्रश्न, उत्तरी क्षेत्र परिषद और अंतरराज्यीय और समन्वय बैठकें एसीपी अरविंद कुमार उस टीम के प्रमुख सदस्य थे। इसने सत्यम-लिबर्टी सिनेमा हॉल और सरोजिनी नगर बाजार के बम-विस्फोट मामलों को सुलझाया था और नकली नोट सप्लाई करने वाले गिरोह , अवैध हथियारों , ड्रग्स सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया और 2 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली के साथ राजमार्ग लुटेरों को गिरफ्तार किया। स्पेशल सेल में अपनी पोस्टिंग के दौरान, इंस्पेक्टर देवेंद्र कुमार ने कई कुख्यात अपराधियों, गैंगस्टरों और आतंकवादियों को ट्रैक किया और इसमें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली उच्च न्यायालय बम-विस्फोट मामले को सुलझाया।
उनकी अनुकरणीय बहादुरी के परिणामस्वरूप शेर सिंह राणा और ठाकुर ब्रिजेश सिंह (पूर्वांचल डॉन) की गिरफ्तारी हुई, जिन पर विभिन्न राज्यों के पुलिस बलों द्वारा घोषित 9 लाख रुपये का इनाम था।
स्पेशल सेल में तैनात इंस्पेक्टर राकेश राणा 1999 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल भर्ती हुए थे. इसके बाद 2001 में हेड कांस्टेबल बने और बाद में उनकी तैनाती क्राइम ब्रांच और पीसीआर यूनिट में रही. 2008 में सब इंस्पेक्टर सिलेक्ट हुए और करीब 1000 से अधिक केस सुलझाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस दौरान स्पेशल सेल में काम करते हुए उन्हें बहुत से अवार्ड मिले. कई सनसनीखेज घटनाओं का खुलासा किया और दर्जनों क्रिमिनल्स को गिरफ्तार किया. 2022 में उन्हें असाधारण कार्य पुरस्कार से नवाजा गया. राकेश राणा कुख्यात गंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके साथियों के खिलाफ मकोका केस, इजरायल एम्बेसी ब्लास्ट केस को एसआईटी और उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगो की जांच करने वाली एसआईटी का भी हिस्सा रहे.
स्पेशल सेल में ही तैनात एसआई शाहजहां एस को सत्यम-लिबर्टी बम विस्फोट और बटला हाउस मुठभेड़ मामलों सहित कई महत्वपूर्ण मामलों को सुलझाने का काम सौंपा गया था. सुरेंद्र सिंह ने कई मामलों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का मामला, झज्जर मामले में जेल वैन पर हमला और नारायण साईं मामला शामिल था, इसके अलावा अनिल उर्फ लीला, मनोज सहरावत, विमांशु सहित कई कुख्यात गैंगस्टरों को गिरफ्तार किया गया था.
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस 2024 मौके पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1037 पुलिस कर्मियों, अग्निशमन सेवा सदस्यों, होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा (एचजीएंडसीडी) कर्मियों और सुधार सेवा कर्मचारियों को वीरता और अन्य सेवा पदक से सम्मानित किया है. इनमें दिल्ली अग्निशमन सेवा के तीन अधिकारियों को भी वीरता पदक के लिए चुना गया है. दिल्ली में तीन फायर अफसरों में से एक को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक और दो को सराहनीय सेवा के लिए पदक राष्ट्रपति पदक दिया गया.
दिल्ली फायर सेवा जिन अफसरों को सम्मानित किया गया है उनमें सहायक मंडल अधिकारी राजेश कुमार और ‘फायर ऑपरेटर’ प्रवीण कुमार तथा अजमेर सिंह को वीरता के लिए सेवा पदक के वास्ते चुना गया. इसके अलावा, दिल्ली फायर सेवा के उप मुख्य अग्निशमन अधिकारी एस. के. दुआ को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक मिलेगा. जबकि मंडल अधिकारी संदीप दुग्गल और सहायक मंडल अधिकारी मनीष कुमार को सराहनीय सेवा के लिए सेवा पदक मिलेगा.