सुनील वर्मा
गाजियाबाद । डासना जेल इन दिनों बदली – बदली नजर आने लगी है। यहां बंद कैदियों से अब न तो कारागार के भीतर कोई वूसली हो रही है ना ही उनसे मिलने आने वाले मुलाकातियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं जेल के भीतर अनुशासन का भी कडाई से पालन हो रहा है। जेल में मुलाकात के दौरान विभिन्न तरीकों से बंदियों को चोरी छिपे नशीले पदार्थ भेजने के चलन पर भी सख्ती से रोक लगी है।
ये सब हो रहा है डासना जिला कारागार के नए जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के अथक प्रयासों से । एक जुलाई 2024 को डासना जेल अधीक्षक का कार्यभार संभालने वाले सीताराम शर्मा ने पिछले चालीस दिनों में डासना जेल को एक सुधार आश्रम बनाने की पहल की है। इससे पहले शर्मा मुजफ्फरनगर कारागार के जेल अधीक्षक थे। जहां चलाए गए सुधार कार्यक्रम आज भी वहां के कैदियों की यादों में बसे हैं।
मुजफ्फरनगर के जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा को उनके उल्लेखनीय कार्यो के लिए कुछ समय के लिए मेरठ का भी जेल अधीक्षक बनाया गया था। जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने मुजफ्फरनगर जेल में बड़े स्तर पर बदलाव किया और जेल की दिशा और दशा को पूरी तरीके से बदल कर रखा।
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मतदान के प्रति जागरूकता अभियान के अंतर्गत उन्होंने जेल बंदियों से मिलने कारागार पर आने वाले मुलाकातियों को मतदान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से अनूठी पहल की थी । उन्होंने कारागार पर आने वाले मुलाकातियों के हाथ पर प्रतिदिन लगने वाली मोहर को बदलते हुए *एक वोट, एक सोच* , *’वोट फॉर इंडिया’, *मतदान 19 अप्रैल’, ’पहले मतदान, फिर जलपान’* आदि स्लोगन वाली मोहर तैयार करायी थी। कार्यक्रम के दौरान स्कूल के बच्चों एवं कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा महत्वाकांक्षी मतदाता जागरूकता कार्यक्रम ’किये गये थे। बैनर व पेंटिंग के जरिए हुए इस अभियान की खूब चर्चा हुई थी।
जुलाई 2024 में गाजियाबाद जेल का कार्यक्रम संभालने वाले जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा की जेल अधीक्षक के रूप में ये तीसरी पोस्टिंग है।
गाजियाबाद आने से पहले मुजफ्फरनगर जैसी बदनाम जेल में बतौर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने अपना चार्ज संभालने के बाद से जिस तरह से जेल में बदलाव किया, उसी का नतीजा है कि जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा को शासन से पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया । सीताराम शर्मा को इससे पहले भी सिल्वर मेडल मिल चुका है।
इतना ही नहीं उनके कार्यकाल के दौरान देश में पहली बार किसी जेल को ईमानदारी का प्रमाणपत्र मिला था। यह रिश्वतखोरी के विरुद्ध एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है और भारत में पहली बार किसी कारागार को इस प्रमाणपत्र से नवाजा गया है, यह मुजफ्फरनगर जनपद और कारागार के लिए ही गौरव की बात नहीं थी बल्कि उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए भी बड़ी उपलब्धि थी।
सीता राम शर्मा ने अब मुजफ्फरनगर जेल की तरह गाजियबाद जेल में पारदर्शिता लाने की मुहिम शुरू कर दी है। नए जेल अधीक्षक ने जेल में कारागार बंदियों की समस्याओं को समाधान करने के लिए चौपाल प्रणाली भी शुरू करने योजना पर काम शुरू किया है। उन्होंने कार्यभार संभालने के तत्काल बाद जेल के सभी कर्मचारियों को निर्देश दिए है कि बंदियों से किसी तरह की कोई अवैध वसूली न की जाए। कारागार बंदियों को मिलने वाली सुविधा और सहूलियतें सभी को समान रूप से वितरित की जाए। बंदियो को पैसा लेकर कोई नाजायज सुविधा या उपलब्ध न कराई जाए। जेल के अंदर चोरी छिपे कैदियों तक नशीले पदार्थ और तंबाकू पदार्थ पहुंचाने वालों के खिलाफ उन्होंने सख्त कर्रावाई के निर्देश दिए है।
इसी का परिणाम रहा कि दो दिन पहले कैदियों से मुलाकात करने वाले एक परिजन ने जरूरी सामान की आड में नारियल तेल के टेट्रा पैक में नशीला पदार्थ भरकर कैदी तक पहुंचाने की असफल कोशिश की। लेकिन जेल अधीक्षक के कड़े निर्देशों के तहत जेल कर्मियों की सजगता से ये नशीला पदार्थ पकड़ लिया गया और ये कोशिश करने वाले बंदी के परिजन को पकडकर स्थानीय डासना पुलिस चौकी में सौंप दिया गया। जेल में एक सख्ती और बदलाव हर रोज देखने का मिल रहा है। गाजियाबाद जेल में हो रहा ये बदलाव आने वाले दिनों में एक नई इबारत लिखेगा ।