विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आरएमएल अस्पताल में अत्याधुनिक इंडोयूरोलॉजिकल यूनिट की शुरुआती की गई। इससे अस्पताल में किडनी की पथरी व प्रोस्टेट की लेजर सर्जरी की सुविधा शुरू हो गई है। इसलिए अब किडनी की पथरी व प्रोस्टेट की बीमारी से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में बिना कोई चीरा लगाए निशुल्क लेजर सर्जरी हो सकेगी। इससे मरीजों हो फायदा होगा।
ज्यादातर निजी अस्पतालों में किडनी की पथरी के इलाज के लिए लेजर सर्जरी की सुविधा पहले से है। निजी अस्पतालों में लेजर सर्जरी के लिए डेढ़ लाख से दो लाख रुपये खर्च आता है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में इस सुविधा का अभाव है।
एम्स के यूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रिप्सी सर्जरी की सुविधा
इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीजों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती है। एम्स के यूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रिप्सी सर्जरी की सुविधा है। इस तकनीक से बगैर कोई चीरा लगाए या एनेस्थीसिया दिए बगैर एक सेंटीमीटर तक के पथरी को किडनी से निकाला जा सकता है।
आरएमएल अस्पताल के यूरोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. हेमंत कुमार गोयल ने बताया कि पांच से आठ मिलीमीटर (0.5-0.8 सेंटीमीटर) तक की पथरी सर्जरी के बगैर दवाओं से निकल जाती है। इससे बड़ी पथरी को निकालने के लिए सर्जरी करनी पड़ती है।
पारंपरिक तौर पर किडनी की पथरी निकालने के लिए पीठ पर छोटे छेद कर लेप्रोस्कोपी तकनीक से सर्जरी की जाती है। लेकिन अब अस्पताल में दो सेंटीमीटर तक की पथरी को लेजर सर्जरी से निकाला जा सकेगा। इस प्रोसीजर में मरीज के यूरिनरी ट्रैक के रास्ते से एक फाइबर किडनी के पास ले जाकर लेजर से पथरी को तोड़ दिया जाता है।
इस प्रोसीजर में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है। उन्होंने बताया कि विभाग के डॉक्टरों को लेजर सर्जरी का प्रशिक्षण दिया गया है। शनिवार को अस्पताल में आयोजित कार्यशाला में 16 मरीजों की किडनी व प्रोस्टेट की लेजर सर्जरी की गई।
किडनी की पथरी की सर्जरी के लिए एक वर्ष तक की वेटिंग
डाक्टर बताते हैं कि आरएमएल अस्पताल में मरीजों के दबाव के कारण किडनी की पथरी की सर्जरी के लिए एक वर्ष तक की वेटिंग है। अभी यूरोलाजी विभाग के दो ऑपरेशन थियेटर हैं। निर्माणाधीन सुपर स्पेशियलिटी के तैयार होने पर यूरोलॉजी के तीन ऑपरेशन थियेटर होंगे। इसलिए 30 से 40 प्रतिशत सर्जरी बढ़ जाएगी। तब सर्जरी की वेटिंग कम होगी।