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ब्रिटिश कानून हुआ बीता कल, आज से नए कानून के तहत दर्ज हो रही नई FIR

नए कानून से दिल्ली में दर्ज हुई पहली FIR, यूपी के बरेली -अमरोहा में भी नए कानून में दर्ज हुई FIR

संवाददाता

नई दिल्ली।  आज है 1 जुलाई। आज से दिल्ली पुलिस के सभी थाने में कामकाज नए कानून के दायरे में शुरू हो चुका है। आज से भारत देश में तीन नए कानून (भारतीय न्याय संहिता 2023), (भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) और (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023) लागू हो चुके हैं। इसके साथ ही तकरीबन 159 साल पुराने अंग्रेजों के बनाए कानून अब ‘बीता हुआ कल’ बन चुके हैं। इन पुराने कानूनों से पुलिस और पब्लिक का वास्ता अब तब ही पड़ेगा जो अपराध 30 जून 2024 की तारीख तक हुआ होगा, बेशक उसकी रिपोर्ट बाद के दिनों, महीनों या साल में की जाए। आज 1 जुलाई 2024 के बाद जो भी अपराध होगा वह नए कानून के दायरे में लिखा, सुना और कोर्ट में चलेगा। 20 अध्याय वाले BNS (भारतीय न्याय संहिता) में 358 धाराएं हैं। पुराने कानून यानी IPC 1860 में 511 धाराएं थीं।

नई एफआईआर की डमी और उसके दर्ज करने का रिहर्सल पूरा

दिल्ली के थानों ने नई एफआईआर की डमी और उसके दर्ज करने का रिहर्सल पूरा कर लिया है। फाइनल प्रैक्टिस का डेमो सभी थानों ने अपने अफसरों को भेजा। साथ ही साथ दिल्ली पुलिस का अपने जवानों के लिए अपना ‘ई प्रमाण’ ऐप भी रन कर चुका है। बदले हुए कानून की धाराओं के साथ भारतीय न्याय संहिता की एक क्लिक से स्क्रीन पर जानकारी देगा। नए कानून में वैसे तो बहुत बदलाव हुए हैं, खास बात यह भी है कि संगीन मामलों में ट्रायल के दौरान आरोपी डरा-धमकाकर व लालच के दम पर समझौते कर लेते हैं और फिर पीड़ित व गवाह मुकर जाते थे, अब यह आसान नहीं होगा। क्योंकि पुलिस के लिए इन्वेस्टिगेशन में क्राइम सीन पर पहुंचने से लेकर हर चीज की ऑडियो, वीडियो रिकार्डिंग व साइंटिफिक एविडेंस इकट्ठा करने की अनिवार्यता के साथ बाध्यता है। जो कोर्ट में ट्रायल के दौरान मजबूत साक्ष्य होंगे।

नए कानून में आम लोगों के लिए वैकल्पिक सुविधा और पुलिस तक पहुंच को आसान बनाने पर ज्यादा जोर है। खासकर पब्लिक की अक्सर यह शिकायत रहती है कि थाने के चक्कर काटते रहे मगर उनकी शिकायत किसी ने नहीं ली। अब पब्लिक की तरफ से ऑनलाइन- व्हाट्सएप के जरिये भेजी गई शिकायत पर भी रिपोर्ट दर्ज की जा सकेगी। इसके साथ ही विटनेस को भी ऑनलाइन समन-गवाही की सुविधा नए कानून में दी गई है। अगर विटनेस को किसी कारणवश सूचना नहीं मिल पा रही है तो वह व्हाट्सएप पर मिलने वाले समन व वारंट को भी मिलना माना जाएगा।

दंड की जगह हुआ न्याय

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भारतीय लोकाचार पर कार्य करेगा। 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया और आज से जब ये कानून लागू हुए हैं तो अंग्रेज के कानून निरस्त होकर और भारतीय संसद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है। ‘दंड’ की जगह अब ‘न्याय’ होगा। देरी के बजाए स्पीडी ट्रायल और त्वरित न्याय मिलेगा। शाह ने बताया कि पहले केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा की जाती थी, लेकिन अब, पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की भी रक्षा की जाएगी। मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि ये तीनों कानून के लागू होने के बाद सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी।

रेप, हत्या की धारा बदली

बता दें, ये तीनों नए आपराधिक कानूनों के बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किए गए थे। नए कानून में बलात्कार की धारा 63 होगी, जबकि गैंगरेप की धारा 70 होगी। साथ ही हत्या की धारा 302 की जगह अब धारा 101 होगी। हत्या के प्रयास में अब 307 की जगह अब 109 के तहत मुकदमा दर्ज होगा। भारतीय न्याय संहिता में कई नए अपराधों को जोड़ा गया है। मॉब लिंचिंग पर भी कानून बनाया गया है। इसके साथ ही नए कानूनों के तहत एफआईआर, जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय सीमा तय की गई है। अब 45 दिनों के भीतर फैसला देना होगा। इतना ही नहीं, शिकायत करने के 3 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी। राजद्रोह को समाप्त कर दिया गया है।

नए क्रिमिनल कानून के बारे में

बीएनएस में 358 धाराएं हैं, जो आईपीसी में 511 से कम है। इसमें 21 नए अपराध शामिल किए गए हैं, 41 अपराधों के लिए कारावास की अवधि बढ़ाई गई है, 82 अपराधों के लिए जुर्माना बढ़ाया गया है, 25 अपराधों के लिए न्यूनतम सजा पेश की गई है और छह अपराधों के लिए दंड के रूप में सामुदायिक सेवा शुरू की गई है। इसके अलावा, 19 धाराओं को हटा दिया गया है।

बीएनएसएस में सीआरपीसी में 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं, जिसमें 177 धाराओं में बदलाव, नौ धाराएं और 39 उप-धाराएं जोड़ी गईं और 14 धाराएं हटाई गईं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जिसमें 166 धाराएं हैं, को भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है, जिसमें 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव, दो नई उप-धाराएं जोड़ी जाएंगी और छह धाराएं हटाई जाएंगी।

नए कानून से दिल्ली में दर्ज हुई पहली FIR, आरोपी पर लगी धारा 173

इसी कड़ी में आज सुबह दिल्ली में नए कानून के तहत पहली एफआईआर दर्ज की गई। आरोपी पर नए क्रिमिनल कानून की धारा 173 लगाई गई है। जानकारी के मुताबिक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज को बाधित कर अपनी दुकान चलाने पर रेहड़ी-पटरी वाले पर नए क्रिमिनल कानून के तहत केस दर्ज किया गया है। रेहड़ी पटरी वाले पर भारतीय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173 के तहत पहली FIR दर्ज कराई गई है। वहीं उसपर दूसरे क्रिमिनल कानून की धारा 285 के तहत आरोप लगाया गया है। एफआईआर में दिए गए विवरण के अनुसार, आरोपी मुख्य सड़क के पास एक ठेले पर तंबाकू उत्पाद और पानी बेच रहा था, जिससे राहगीरों को परेशानी और असुविधा हो रही थी। आस-पास गश्त कर रहे पुलिस अधिकारियों ने आरोपी से अपना ठेला हटाने का अनुरोध किया, लेकिन उसने उनके निर्देशों की अवहेलना की। इसके बाद दिल्ली पुलिस को यह कार्रवाई करनी पड़ी।

बरेली, अमरोहा में नए आपराधिक कानूनों के तहत FIR दर्ज

यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि मुझे ये बताने में खुशी हो रही है कि नए कानून के तहत 2 एफआईआर बरेली और अमरोहा में दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बिना किसी दिक्कत के नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज की जा रही है। आज के दिन सभी थानों में एक विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के जरिये थानाक्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण, पुलिसकर्मी और क्षेत्र के सभ्रांत नागरिकों को बुलाकर फिर से इन सभी नए कानूनों के बारे में बताया जा रहा है।

 

 

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