विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में दो जून रविवार को आत्मसमर्पण से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की मांग पर राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई चल रही है. केजरीवाल ने अपनी खराब सेहत और मेडिकल टेस्ट का हवाला देते हुए 7 दिन और अंतरिम जमानत बढ़ाए जाने की गुहार लगाई है. केजरीवाल के लिए एन हरिहरन और जांच एजेंसी ईडी के लिए ASG एसवी राजू कोर्ट में पेश हुए हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी सुनवाई के लिए ऑनलाइन जुड़े. उन्होंने दलील दी कि कल शुक्रवार को केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वो 2 जून को सरेंडर करेंगे. उन्होंने ये नहीं कहा कि वो कोर्ट के आदेश का इंतजार करेंगे. ऐसे बयान देकर वह कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं.
हरिहरन ने कहा कि जो बयान केजरीवाल ने दिया उनको इसके बारे में जानकारी नहीं है. वो राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं. तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल कोर्ट को मिसलीड कर रहे है और तथ्यों को छिपा रहे हैं. स्वास्थ्य स्थितियों सहित कई तथ्यों को छुपाया गया है.
ASG राजू ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि ये अंतरिम जमानत केवल चुनाव प्रचार के लिए थी. इनको 2 जून को सरेंडर करना है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में कहीं भी ये नहीं कहा कि अरविंद अपनी अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल कर सकते हैं.
ASG राजू ने आगे कहा कि केजरीवाल की ये याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए. इसे खारिज किया जाना चाहिए. जहां तक नियमित जमानत का सवाल है तो उन्हें हिरासत में होना चाहिए. आज की तारीख में वो हिरासत में नहीं है.
राजू ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत इसलिए मिली है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत पर चुनाव प्रचार करने के लिए रिहा करने का आदेश दिया था. वह यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक्स्टेंशन की मांग कर रहे हैं. केजरीवाल को अंतरिम जमानत राउज एवेन्यू कोर्ट से नहीं मिली है, वो सुप्रीम कोर्ट से मिली है तो इस कोर्ट से अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग कैसे कर सकते हैं.
अंतरिम जमानत की मांग सुनवाई लायक नहीं’
उन्होंने कहा कि SC से उन्हें सिर्फ ये छूट मिली थी कि वो नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जा सकते हैं. पर इसका मतलब ये नहीं कि वो यहां अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग करने लगें. उनकी सात दिनों की अंतरिम जमानत की मांग सुनवाई लायक नहीं है.
‘केजरीवाल ने कोर्ट से छिपाए तथ्य’
ASG राजू ने कहा कि PMLA की धारा 45 के तहत जमानत की दोहरी शर्त का प्रावधान अंतरिम जमानत पर भी लागू होता है. यहां भी कोर्ट को जमानत देने से पहले इस पहलू पर संतुष्ट होना होगा कि केजरीवाल के खिलाफ केस बनता ही नहीं है. अरविंद ने इस कोर्ट को इस बाबत अपनी याचिका में नहीं बताया कि उन्होंने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन रजिस्ट्रार जरनल ने उसे जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने इस तथ्य को अदालत से छिपाया है.
‘क्या ये अदालत SC के फैसले को मोडीफाई कर सकती है’
ASG राजू ने कहा कि अरविंद जिस टेस्ट को लेकर 7 दिनों की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग कर रहे हैं वो तो एक ढाल है. दरअसल उसके जरिए वो अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अरविंद को 2 जून को तिहाड़ जेल में सरेंडर करना है. क्या ये अदालत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोडीफाई कर सकती है? मेरी जानकारी के मुताबिक तो नहीं. केवल सुप्रीम कोर्ट ही उसमें कोई बदलाव या सुधार कर सकता है.
‘वजन कम नहीं बल्कि 1 किग्रा बढ़ा है’
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब अंतरिम जमानत दी थी तब भी इनकी तरफ से तारीख को बढ़ाने की मांग की गई थी. ये पांच जून की कह रहे थे. लेकिन अदालत ने मना कर दिया था. अरविंद ने कल शुक्रवार को भी जनता के सामने कहा कि वो 2 जून को सरेंडर करेंगे. ये बात उन्होंने अपने वकील से भी छिपाई.
मेहता ने आगे दलील दी कि अरविंद मेडिकल टेस्ट कराने के बजाए लगातार रैलियां और रोड शो कर रहे थे. इसका मतलब है कि वो बीमार नहीं हैं. 7 किग्रा वजन कम होने का दावा गलत है बल्कि असलियत तो ये है कि इस दौरान अरविंद का वजन एक किलो बढ़ गया था.