विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव समापन की और हैं। सात में से चार चरणों पर मतदान हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता में लौटने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। जनसभाओं से लेकर रोडशो और पार्टी कार्यक्रमों से लेकर मीडिया से बातचीत तक पीएम मोदी सुबह से शाम तक इस बात को पक्का करने में जुटे हैं कि उनकी पार्टी की सत्ता बरकरार रहे। पीएम मोदी के सामने विपक्ष है, जिसने इस बार खुद को INDI गठबंधन का नाम दिया है।
इस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कॉन्ग्रेस के नेता राहुल गाँधी इस चुनाव में उतनी मेहनत नहीं कर रहे जितना कोई पार्टी सत्ता में आने के लिए करती है। राहुल गाँधी को लगातार प्रधानमंत्री मोदी के सामने खड़ा किया जाता है, उनकी पीएम से तुलना की जाती है। लेकिन अगर लोकसभा चुनाव 2024 को ही देख लिया जाए, तो साफ़ हो जाता है कि जहाँ पीएम मोदी लगातार मेहनत कर रहे हैं, वहीं राहुल गाँधी इससे बचते आए हैं। वह ना ही उस स्तर का चुनाव अभियान चला रहे हैं और ना ही मीडिया के बीच दिख रहे हैं।
देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों की आज जो राजनीतिक स्थिति है, वह क्यों है, अगर हमें इसे समझना हो, तो हमें वर्तमान आम चुनावों में दोनों नेताओं द्वारा की गई मेहनत पर नजर डालनी होगी। इससे साफ़ हो जाएगा कि देश के ग्रैंड ओल्ड पार्टी कॉन्ग्रेस, विपक्ष तक का तमगा हासिल करने में सफल क्यों नहीं हो रही और 1980 में बनी भाजपा 2 सीटों से बढ़कर केंद्र में लगातार 10 वर्ष सत्ता और देश के 18 राज्यों में सत्ता में क्यों है।
पीएम मोदी: 100 से ज्यादा रैली, रोड शो और पार्टी सम्बन्धित बैठकें
2024 के लोकसभा चुनावों की घोषणा देश के चुनाव आयोग ने 16 मार्च, 2024 को की थी। वैसे तो प्रधानमंत्री हमेशा ही राजनीति को गंभीर मान कर पार्टी को बढ़ाने में जुटे रहते हैं लेकिन चुनावों से एक दिन पहले ही उन्होंने धुआंधार चुनाव अभियान चालू कर दिया था, जो कि अब तक जारी है। 15 मार्च, 2024 से लेकर 14 मई, 2024 तक देखा जाए तो पीएम मोदी अब तक 119 जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं। उन्होंने एक-एक दिन में 4-5 जनसभाओं को संबोधित किया है और पार्टी के लिए वोट माँगे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यह जनसभाएँ जम्मू कश्मीर के उधमपुर से लेकर देश के अंतिम छोर कन्याकुमारी तक में हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान अपनी पार्टी भाजपा समेत गठबंधन के दलों के लिए भी वोट माँगे हैं। इन जनसभाओं के दौरान पीएम मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताने के अलावा कॉन्ग्रेस और विपक्षी दलों की नीतियों और इरादों के प्रति आगाह किया है। पीएम मोदी की इन जनसभाओं में भारी भीड़ भी देखने को मिली है। पीएम मोदी का विशेष फोकस इस बार दक्षिण भारत पर भी रहा है।
जनसभाओं के अलावा पीएम मोदी ने 15 मार्च के बाद 16 शहरों में रोड शो किए हैं। लोकसभा प्रत्याशियों के साथ किए गए इन रोड शो में उन्होंने जनता से भाजपा को वोट देने की अपील की है। इन रोड शो में भी भारी भीड़ उमड़ी है। जनता ने इस दौरान पीएम मोदी पर फूल बरसाए हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने 9 पार्टी सम्बन्धित कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया है। इस दौरान दौरान उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी रणनीति पर बात की है और पार्टी का मेनिफेस्टो सामने रखा है।
मीडिया को 30 से अधिक इंटरव्यू, छोटे से लेकर बड़े अखबार तक बातचीत
देश का विपक्ष और विशेष कर लिबरल वामपंथी यह आरोप लगाते रहे हैं कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से पीएम मोदी मीडिया से दूरी रखते आए हैं। ऐसा कोई आरोप वह राहुल गाँधी पर नहीं लगाते जबकि कॉन्ग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इसी आधार पर पार्टी छोड़ी कि उसने उनके नेता बातचीत नहीं करते। पीएम मोदी ने 2024 लोकसभा चुनावों में भी मीडिया से काफी बातचीत की है। उन्होंने राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय और यहाँ तक कि स्थानीय अखबारों, समाचार चैनल को इंटरव्यू दिए हैं।
पीएम मोदी ने देश की बड़ी समाचार एजेंसी ANI से लेकर गुजरात के स्थानीय समाचार पत्र ‘संदेश’ तक से बातचीत की है। यही नहीं पीएम मोदी ने इस दौरान देश की विविधता का ध्यान रखते हुए अपने पहले इंटरव्यू को तमिल चैनल थांती टीवी को दिया था। पीएम मोदी अब तक कुल 35 इंटरव्यू दे चुके हैं।
पीएम मोदी देश के उत्तर पूर्व, बांग्ला, मलयालम, अंग्रेजी और अधिकांश बड़े प्रकाशनों से बातचीत कर चुके हैं। इनमें उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात खुल कर रखी है। पीएम मोदी ने हाल ही में पटना रोड शो के दौरान मीडिया से फिर बातचीत की थी जहाँ उनसे कई प्रश्न पूछे गए। चूंकि देश का लिबरल गैंग राहुल गाँधी को पीएम मोदी से राहुल गाँधी की तुलना करता है, इसलिए दोनों की चुनावी मेहनत की भी तुलना होनी चाहिए।
राहुल गाँधी: 50 से भी कम जनसभाएँ, 1 रोड शो, मीडिया पर सन्नाटा
राहुल गाँधी ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के दौरान भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे थे। उनकी यात्रा का समापन 17 मार्च, 2024 को मुम्बई में हुआ था। तब उन्होंने यहाँ एक रैली की थी। 17 मार्च, 2024 के बाद से 14 मई, 2024 तक राहुल गाँधी ने पूरे देश में केवल 48 रैली की हैं। उन्होंने इस दौरान लंबा समय अपने ही लोकसभा क्षेत्र वायनाड में गुजारा है।
राहुल गाँधी ने अपनी पार्टी के किसी प्रत्याशी के लिए रोड शो नहीं किया है। उन्होंने इस पूरे चुनाव अभियान के दौरान केवल 1 रोड शो किया है, जो कि वायनाड में था, जहाँ से वह खुद प्रत्याशी हैं। रायबरेली में भी उनके चुनाव प्रचार का जिम्मा बहन प्रियंका गाँधी ने उठाया हुआ है। उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए विशेष रूप से आयोजित किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया है। इस दौरान वह मीडिया से भी दूर रहे हैं।
राहुल गाँधी लगातार आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी मीडिया से दूरी रखते हैं। इस नैरेटिव को कॉन्ग्रेस ने खूब खाद -पानी दिया है। जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है। राहुल गाँधी ने वर्तमान लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद से किसी भी राष्ट्रीय मीडिया संस्थान से बातचीत नहीं की है। उन्होंने ना ही किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है। यहाँ तक कि उनके लिए दिन रात राशन-पानी लेकर जुटे रहने वाले यूट्यूबर पत्रकारों को भी उन्होंने इंटरव्यू देने लायक नहीं समझा है।
गंभीर राजनेता नहीं राहुल गाँधी
राहुल गाँधी का चुनावों के समय भी मेहनत से बचना दिखाता है कि वह गंभीर राजनेता नहीं हैं। वह राजनीति को पार्ट टाइम का काम समझते हैं। इसके उलट प्रधानमंत्री चुनाव ना होने के समय भी लगातार देश के अलग अलग हिस्सों में जाते हैं। पार्टी को मजबूत करने के कामों में हिस्सा लेते हैं। यह भी देखा गया है कि राहुल गाँधी तमाम महत्वपूर्ण मौकों पर विदेश चले जाते हैं, वह संसद में भी अहम् मुद्दों पर बहस के लिए उपलब्ध नहीं रहते।
राहुल गाँधी की संसद में 51% उपस्थित रही है जो कि देश के औसत 79% से कम है। उनकी संसद की प्रमुख बहसों में भागीदारी मात्र 8 की रही है जबकि इसका भी देश का औसत 46.7 है। विपक्ष का काम जनता के हित से जुड़े सवाल सरकार से पूछना होता है। संसद इसके लिए सबसे अच्छा माध्यम होती है। राहुल गाँधी ने एक सांसद के तौर पर मात्र 99 प्रश्न पूछे हैं, यह भी राष्ट्रीय औसत 210 से कहीं कम है।
विदेश दौरे करने, मीडिया से भागने और संसद में उपलब्ध ना रहने के बाद भी राहुल गाँधी आरोप लगाते हैं कि उनको मीडिया पीएम मोदी से कम जगह देता है। जबकि कोई भी सामान्य पाठक समझ सकता है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी एक दिन में पाँच-पाँच रैली संबोधित करते हैं और राहुल गाँधी इस दौरान विदेश का दौरा करते हैं तो स्वाभाविक रूप पीएम को अधिक सुर्ख़ियों में जगह मिलेगी। मीडिया इसी सिद्धांत पर काम करता है, ऐसे में उनका यह आरोप भी झूठ साबित होता है।