निगम का आरोप कंपनी ने अनुबंधों की शर्तो का किया उल्लंघन, कंपनी मालिक का दावा निगम ने वादा कर नहीं बढ़ाया अनुबंध
संवाददाता
गाजियाबाद । गाजियाबाद शहर में ट्रैफिक सिग्नलों को फिर से काम करना शुरू करने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा। स्वचालित सिग्नलों के अभाव में पुलिस ने बुधवार को भी चौथे दिन यातायात नियंत्रित कर रही है । सोमवार और मंगलवार को भी व्यस्त समय के दौरान वैशाली, कौशांबी, साहिबाबाद और आसपास के इलाकों में जाम की सूचना मिली थी । रविवार की सुबह शहर के सभी सिग्नल बंद हो गए थे। पिछले सात वर्षों से उनका प्रबंधन कर रही निजी कंपनी के कर्मचारियों ने अपने कार्यालय में ताला लगा दिया, उन्हें जोड़ने वाले तारों को तोड़ दिया और जाने से पहले कंट्रोल रूम से हटा दिया।
यह है पूरा मामला
नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने बताया कि मैसर्स शिव शक्ति ड्रीम होम नाम की कंपनी को साल 2017 में छह साल के लिए बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) के आधार पर ट्रैफिक सिग्नल का जिम्मा सौंपा गया था। इसकी एवज में कंपनी को यूनिपोल लगाकर विज्ञापन का अधिकार दिया गया था, लेकिन कंपनी अनुबंध खत्म होने के बाद भी तय जगह से ज्यादा स्थान पर विज्ञापन लगाकर आमदनी कर रही थी। पिछले वर्ष अनुबंध खत्म हो गया था। कंपनी ने कोर्ट जाकर स्टे ले लिया। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था। बीते 20 मार्च को हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। दो अप्रैल को कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद नगर निगम ने कार्रवाई शुरू की। छह अप्रैल को कंपनी को 24 घंटे में सिग्नलों का हस्तांतरण निगम को सौंपने का नोटिस दिया, रविवार सुबह कंपनी ने सिग्नल व्यवस्था ही ठप कर दी।
शिव शक्ति ग्रुप और क्राउनिक एडवरटाइजिंग एलएलपी के संस्थापक और सीईओ एक हरीश कुमार शर्मा नोएडा और गाजियाबाद आउटडोर एडवरटाइजिंग का काम करते है। कंपनी के मुताबिक अनुबंध की शर्त थी कि छह साल कार्य संतोषजनक होने पर अगले छह साल के लिए अनुबंध का नवीनीकरण किया जाएगा।
मई 2023 में नगर निगम ने फर्म का अनुबंध नवीनीकरण नहीं किया, यह मामला उच्च न्यायालय में गया। उच्च न्यायालय से स्टे मिलने के बाद फर्म द्वारा अब तक ट्रैफिक सिग्नल ऑपरेट किया जा रहा था, लेकिन शनिवार को नगर निगम ने स्टे आदेश कोर्ट से निरस्त करा दिया जिसके बाद फर्म के 52 विज्ञापन यूनिपोल काट दिए, जिसके बाद फर्म ने सभी ट्रैफिक सिग्नल बंद कर दिए।
गाजियाबाद नगर निगम (जीएमसी) ने कंपनी के अधिकारियों को नियंत्रण कक्ष खाली करने और 24 घंटे के भीतर सभी उपकरण सौंपने के लिए कहा। रविवार को जब जीएमसी की एक टीम ने शिव शक्ति कार्यालय का दौरा किया, तो उन्हें वहां ताला लगा हुआ मिला। कंपनी के चार कर्मचारियों – हरीश शर्मा, गुंजन शर्मा, कपिल मोहन गुप्ता और तरुण शर्मा पर मामला दर्ज किया गया है। मामले में दूसरे आरोपी तरुण शर्मा शहर बीजेपी के नेता हैं।
नगर निगम आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने कहा कि लाइटों को संचालित करने के लिए नियंत्रकों को वापस लाना महत्वपूर्ण है। “हम अपने स्तर पर सिग्नलों को ठीक करने का प्रयास कर रहे हैं। तीन टीमें शहर में एक-एक सिग्नल की जांच कर उन्हें एक-एक कर ठीक कर रही हैं। हम उन सिग्नलों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो घनी आबादी वाले इलाकों में हैं। लेकिन इन सभी को काम शुरू करने में एक सप्ताह का समय लगेगा।” मलिक के अनुसार, सिग्नलों को अब आईटीएमएस के साथ एकीकृत किया जाएगा ताकि वाहनों को अपेक्षाकृत कम जनशक्ति के साथ प्रबंधित किया जा सके। पुलिस इन सभी की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापे मार रही है। हरीश शर्मा ने दावा किया की कि निगम ने संतोष जनक काम करने पर उनका अनुबंध 6 साल के लिए और बढ़ाने का दावा किया था लेकिन अब निगम के अधिकारीयों ने किसी दूसरी फर्म से सांठगांठ कर ली और उसे काम देने के लिए ये रातो रात उनके यूनिपोल काट दिए जिस कारण उन्हें सिग्नल बंद करने पड़े। फिलहाल कंपनी ने निगम की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।