संवाददाता
चित्रकूट । उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने देश के सभी सनातनी लोगों से पूजा पद्धति के बारे में कुछ खास अपील करते हुए कहा है कि हम सभी सनातनी भाई-बहन है, हम में से थोड़े से लोग नास्तिक हैं शेष सभी आस्तिक हैं। आस्तिकों में भी कुछ लोग निराकार ब्रह्म की उपासना करते हैं किंतु शेष सभी लोग साकार ब्रह्म के उपासक हैं। सनातन धर्म में ईश्वर एवं देवी देवताओं की मूर्तियां बनाकर उन्हें पूजने का विधान है। देव मूर्तियां सामान्यतया पत्थरों से या धातुओं से निर्मित होती हैं। कुछ मूर्तियां काष्ठ की तथा अन्य पदार्थों से निर्मित होती हैं। इन देव मूर्तियों की स्थापना के बाद उनकी प्राण प्रतिष्ठा होती है, तत्पश्चात आराधना एवं पूजा प्रारंभ की जाती है।
इस देश में इस्लाम पंथियों द्वारा हमारे श्रद्धा के केंद्र मन्दिरों एवं मूर्तियों का विध्वंस किया गया। सन 1947 में देश की स्वतंत्रता के पश्चात भारतवर्ष में अब वैसा खतरा नहीं है।
सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित मन्दिरों में सनातनी लोग पूजा अर्चना करते हैं, किंतु यह देखने में आया है कि कुछ स्थानों को छोड़कर कई स्थानों में देव मूर्तियां खुले स्थान पर रखी हैं, यदि मन्दिर बना भी है तो उसमें दरवाजे नहीं हैं, कुछ मूर्तियां तो पेड़ों के नीचे या खुले में रखी हुई हैं। स्थानीय लोग धार्मिक भावना से ओतप्रोत होकर इन देव मूर्तियों में जल चढ़ाते हैं एवं पूजा करते हैं।
देव मूर्तियों के खुले स्थान पर रखे होने के कारण जीव जंतु इन्हें अपवित्र करते हैं तथा हमारे नौनिहाल बच्चे भी यह दृश्य देखते हैं। जिससे उनके मन में श्रद्धा का भाव कम हो जाता है।
हम सनातनी बंधु देव मूर्तियों के माध्यम से परब्रह्म परमात्मा की उपासना करते हैं किन्तु कुछ अज्ञानी एवं सनातन विरोधियों द्वारा हमारी पूजा पद्धति का विरोध किया जाता है।
अभी कुछ दिन पहले रौली गांव के लोगों ने एक बैठक कर के एक नयी पहल की। गांव के अंदर स्थापित सभी मन्दिरों को सूचीबद्ध किया। प्रत्येक मन्दिर की व्यवस्था देखने के लिए मन्दिर के आसपास के लोगों की एक समिति बनाई गई, जो निम्नलिखित कार्य करेगी।
1– जो मूर्तियां खुले स्थान पर हैं उनके ऊपर मन्दिर का निर्माण किया जाएगा।
2– जिन मन्दिरों में दरवाजे नहीं लगे उनमें दरवाजे लगाए जाएंगे ताकि पूजा के समय के बाद मन्दिरों के पट बंद किया जा सके।
3– मंदिर के गर्भ गृह तथा बाहरी स्थान की नियमित सफाई की जाएगी।
4– मन्दिरों में प्रतिदिन दीपक जलाया जाएगा।
5– प्रत्येक शनिवार को गांव के प्रत्येक मन्दिर में सायंकाल 6:00 बजे पूजन के बाद हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा।
6– पाठ के उपरांत प्रसाद वितरण किया जाएगा।
7– यह क्रम निरंतर चलेगा।
8– प्रत्येक मन्दिर के देखभाल के लिए एक समिति बनाई गई है किंतु इन सब मन्दिर समितियों द्वारा अपना काम नियमित एवं सुचारू रूप से चले, इसकी व्यवस्था के लिए एक ग्राम स्तर की भी समिति बनाई गई है जो सभी समितियों से जुड़कर सुचारू संचालन में सहयोग करेगी।
इन समितियों ने अपना काम भी प्रारंभ कर दिया है। सौभाग्य से इस व्यवस्था बैठक में मुझे भी बुलाया गया था
आप सभी भाइयों बहनों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि अपने-अपने गांव में सभी देव मूर्तियों की पवित्रता बनाए रखने के लिए तथा नई पीढ़ी में धर्म एवं संस्कृति में निष्ठा बनाए रखने के लिए यह कार्य बहुत आवश्यक है। हमारे मन्दिर युगों से हमारी श्रद्धा एवं गतिविधियों के केन्द्र रहे हैं।
मैं आप सभी का आवाहन करता हूं की रामनवमी के पहले चैत्र नवरात्र में ही सभी देव मूर्तियों एवं मंदिरों की उचित व्यवस्था करने हेतु आगे आएं। इस कार्य हेतु अपनी योजना बैठक में यदि मुझे भी बुलाएंगे तो मैं अपना सौभाग्य समझूगा।