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हरियाणा में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम: सीएम पद से मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा, सांसद नायब सिंह सैनी बने नए मुख्यमंत्री

संवाददाता

चंडीगढ़ । हरियाणा मे आज एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच विभाजन की अटकलों के बीच मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटनाक्रम आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सामने आया है। खट्टर ने राजभवन जाकर बंडारू दत्तात्रेय को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनके इस्तीफे के साथ ही सरकार की सहयोगी जेजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बॅटवारे पर सहमति न बनने के सरकार से गठबंधन तोड़ दिया।

खट्टर के इस्तीफे के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में विधायक दल की बैठक हुई जिसमे कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया और शाम को उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। नए मंत्रीमंडल में जननायक जनता पार्टी शामिल नहीं हुई है।

सीएम खट्टर ने बुलाई विधायकों की बैठक

हरियाणा सरकार में बीजेपी और जेजेपी के बीच चल रही तनातनी के बीच सुबह सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बीजेपी और सरकार समर्थित निर्दलीय विधायकों की बैठक बुलाई। सीएम ने सुबह 11:30 बजे बीजेपी और सरकार समर्थित निर्दलीय विधायकों को हरियाणा आवास पर बुलाया। इस बैठक में बीजेपी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने के फॉर्मूले को लेकर रणनीति की खबर है। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10 विधायक हैं। सात निर्दलीय हैं, जबकि इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) और एचएलपी का एक-एक विधायक है।

बतौर 11वें मुख्यमंत्री सैनी हरियाणा में बीजेपी का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं। कहा जा रहा है कि मनोहर लाल खट्टर को करनाल से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसके साथ ही उनके नाम का इस्तेमाल किया जा सके। पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। ओबीसी और पिछड़ा मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश करेंगे। वहीं जजपा अब बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ेगी।

कौन हैं नायब सैनी?

नायब सिंह सैनी भाजपा से लोकसभा के सदस्य हैं जो हरियाणा में कुरूक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री होंगे। सैनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े, जिसके माध्यम से उनकी मुलाकात मनोहर लाल खट्टर से हुई। कुछ समय बाद, वह भाजपा में शामिल हो गए और उसके बाद कई स्थानीय पार्टी कार्यालयों में काम किया। वह ओबीसी का वोट बैंक रहे हैं और लंबे समय से पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं। 2010 में उन्होंने नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन रामकिशन गुर्जर से हार गए। 2014 में उन्होंने 24,361 वोटों से चुनाव जीता था। वह हरियाणा सरकार के राज्य मंत्री थे। अब वह कुरूक्षेत्र से सांसद चुने गये हैं।

हरियाणा में सीटों का गणित

90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत है। भाजपा, जो 2019 में बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई, राज्य में दुष्यंत चौटाला की आईआईपी के साथ गठबंधन सरकार चलाती आ रही थी। बीजेपी के पास फिलहाल 41 विधायक हैं और उसे 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा, गोपाल कांडा की हरियाणा लोकखुट पार्टी भी भाजपा को अपना समर्थन दिया था। बीजेपी के पास 48 विधायकों का समर्थन है। जहां तक ​​कांग्रेस की बात है तो विधानसभा में उसके 30 विधायक हैं। वहीं, आईपी के पास 10 विधायक, इंडियन नेशनल लोकदल (अभय चौटाला) के पास 1 विधायक और 1 निर्दलीय विधायक है।

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