अंतरंग मित्र से कुत्ते का विवाद बन गया बदनामी का सबब
महुआ मोईत्रा का लोकसभा की एथिक्स कमेटी में तो जो होगा, सो होगा ही, लेकिन ममता बनर्जी उनका राजनीतिक कैरियर खत्म करने वाली हैें ये तय माना जा रहा है। जिस तरह उनके उपर लगे आरोपों पर टीएमसी ने अपना पल्ला झाडा है और महुआ अकेली पड़ गई है उसे देखकर माना जा रहा है कि दुर्गा पूजा के बाद उनके उपर तृणमूल कांग्रेस की अनुशासन समिति का डंडा जरूर चलेगा। इसके बाद उन्हें लोकसभा का टिकट भी नहीं दिया जाएगा। ये भी तय है। सिर्फ यह एक मामला नहीं है कि महुआ मोईत्रा पर संसद में सवाल पूछने के बदले मोटी रकम और गिफ्ट वसूलने का आरोप लगा है, इसलिए ममता बनर्जी उनसे नाराज हैं। ममता बनर्जी पिछले तीन सालों में अनेक बार महुआ मोईत्रा की हरकतों पर उन्हें डांट चुकी थी।
दर्शन हीरानन्दानी का तथाकथित हल्फिया बयान सामने आने के बाद ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के नेताओं को संकेत दे दिया है कि वे इस मामले में कुछ भी नहीं बोलें। टीएमसी का मानना है कि ये पार्टी का नहीं बल्कि महुआ मोईत्रा का व्यक्तिगत मामला हैे । अगर उसने गलती की है, तो लोकसभा उन्हें सजा देगी, और अगर उन्होंने गलती नहीं की है, तो वह बरी हो जाएंगी। एक तरह से तृणमूल कांग्रेस ने उनका कोई बचाव करने से इंकार कर दिया हैे।
डेनमार्क निवासी अपने पति से तलाक के बाद भारत लौटी महुआ मोईत्रा ने 2008 में कांग्रेस ज्वाईन की थी। उनकी मां और पिता भी कांग्रेस में एक्टिव थे। उनके पिता ने चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। महुआ ने 2010 में जब तृणमूल कांग्रेस ज्वाईन करने का फैसला किया, तो उनकी मां उससे सहमत नहीं थी। लेकिन महुआ ऐसा मानती है कि तृणमूल कांग्रेस ज्वाईन करके उसने अपने राजनीतिक भाग्य के दरवाजे खोल लिए। 2016 में वह विधायक चुनी गई और विधायक रहते हुए ही 2019 में लोकसभा की सदस्य भी चुनी गई।
सांसद चुने जाने के बाद लोकसभा के पहले ही सत्र में भाजपा और मोदी के खिलाफ हमलावर भाषण ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में ला दिया था। भारत के मोदी विरोधी मीडिया ने उन्हें राजनीति की बडी नायिका बना दिया।
पिछले साढ़े चार सालों में अपने हर भाषण के बाद और ज्यादा लोकप्रिय होती चली गई। लेकिन बंगाल और टीएमसी की घरेलू राजनीति में वह कुछ ऐसा करती रहीं कि अपनी पार्टी की नेता ममता बनर्जी की नजरों में जितनी तेजी से चढ़ी थी, उतनी तेजी से गिरती चली गई।
महुआ मोईत्रा ने जब पिछले साल देवी काली पर अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी नजर में काली मीट खाने और शराब पीने वाली देवी है, तो इसकी बंगाल में बड़ी तीखी प्रतिक्रिया हुई थीे तब भी ममता बनर्जी ने उन्हें डांटा था।
महुआ अपने सिर्फ तेरह साल के राजनीतिक कैरियर में पैसे के बदले लोकसभा में सवाल पूछने के मामले में बुरी तरह फंस गई है, तो उनकी पार्टी ने पूरी तरह किनारा कर लिया हैे। क्योंकि अगर वह दोषी पाई जाती है और उन्हें लोकसभा से बर्खास्त किया जाता है, तो तृणमूल कांग्रेस और इंडी एलायंस की भी बड़ी बदनामी होगी। लोकसभा की एथिक्स कमेटी की ओर से दोनों शिकायतकतार्ओं निशिकांत दूबे और जय अनंत देहदराई को तलब किए जाने के बाद तय है कि महुआ मोईत्रा और उन्हें कैश और महंगे गिफ्ट देने वाले व्यापारी दर्शन हीरानन्दानी को भी बुलाया जाएगा। इससे घबरा कर महुआ मोईत्रा ने 19 अक्टूबर को शिकायतकर्ता अपने पूर्व मित्र जय अनंत देहदराई के साथ समझौते की पेशकश की। महुआ मोईत्रा के वकील गोपाल शंकर नारायण ने जय अनंत को फोन करके उनके सामने प्रस्ताव रखा कि अगर वह सीबीआई और सांसद निशिकांत दूबे को भेजी गई शिकायत वापस ले ले, तो वह उसे उसका कुत्ता लौटा देगी। क्योंकि महुआ मोईत्रा और जय अनंत कई सालों से अंतरंग मित्र थे, उन दोनों के हम प्याला होने वाले कई फोटो भी वायरल हुए हैें । इन दोनों की दोस्ती टूटने के बाद जय अनंत ने दोस्ती को बरकरार रखने के कई बार प्रयास किए थे लेकिन जब प्रयास विफल होते दिखे तो वह महुआ के घर से अपना कुत्ता जिसका नाम हेनरी है, उठा ले गया था। महुआ ने उसे अपना कुत्ता बताते हुए पुलिस में जय अनंत के खिलाफ कुत्ता चोरी की शिकायत दर्ज करवा दी थी। इसी कुत्ते की वजह से दोंनो की दोस्ती एक तरह से दुश्मनी में बदल गई है।
राजनीति से जुड़े लोगों को हमेशा ये ख्याल रखना चाहिए राजनीतिक जीवन में जो लोग एक बार उनके करीब आ जाए या राजदार बन जाए उन्हें कभी नाराज करने या दूर करने की गलती न करें वरना दोस्त कब दुश्मन बन जाए पता ही नहीं चलता।
महुआ मोईत्रा चारों तरफ से घिर गई हैें वह जितना भी बचने की कोशिश कर रही हैं, उतनी ही उलझती जा रही हैें। संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ मोइत्रा को रिश्वत देने के आरोपी हजारों करोड़ के उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी एक तरह से सरकारी गवाह बन गए हैें जो अडानी ग्रुप के खिलाफ है। जय अनंत की सीबीआई शिकायत के बाद हीरानंदानी ने तीन पन्नो के हलफनामे में दावा किया कि मोइत्रा ने उनसे महंगे गिफ्ट और लक्जरी सुविधउए लेकर न सिर्फ संसाद में अडानी ग्रुप के खिलाफ नियोजित सवाल पूछे और पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश की बल्कि अपने संसद के लॉगिन का पासवर्ड भी उन्हें दिया था ताकि वह सीधे उनकी ओर से संसदीय सवाल पोस्ट कर सकें।
महुआ मोईत्रा ने पहले तो हल्फिया बयान को झूठ का पुलंदा बताया, लेकिन अब वे इससे पीएमओ का दबाव बताकर बचाक की कोशिश कर रही है। लेकिन महुआ ने पिछले कुछ सालों में जिस तरह हिन्दुवादी भावनाओं को ठेस पहुंचाने और पीएम मोदी को बदनाम करने की मुहिम चलाई हुई थी उन सबके बाद ताजा प्रकरण से वे पूरी भाजपा के निशाने पर हैं। ऐसे में उन्हें बचाव का कोई रास्ता मिलेगा इसमें संदेह है।