विशेष संवाददाता
गाजियाबाद । बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सालों से लोगों को सूचना के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। विभाग द्वारा किसी भी आरटीआइ का जवाब नहीं दिया जाता। कई मामलों में आरटीआइ एक्टिविस्ट व अन्य लोगों द्वारा की गई प्रथम अपील पर जवाब नहीं गया।\
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत बड़ी संख्या में बच्चों के दाखिले से वंचित रहने पर लोगों ने विभिन्न बिंदुओं पर जवाब आरटीआइ द्वारा जवाब मांगा। जवाब न मिलने पर द्वितीय अपील की गई।
इसके बाद राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील पर लगी सुनवाई की तारीख पर भी विभाग से किसी जिम्मेदार अधिकारी को नहीं भेजा गया। इस तरह बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रहने से लिए जिम्मेदार होने के साथ-साथ लोगों को सूचना के अधिकार से भी वंचित कर रहा है।
केस – 1
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा एक जुलाई 2022 को आरटीई के तहत दाखिलों को लेकर पांच बिंदुओं पर जवाब मांगा। जिसमें सवाल थे कि जिले में अधिनियम के अंतर्गत अभी तक कुल कितने दाखिले हुए?
प्राप्त आवेदनों पर कुल कितने दाखिले हुए ? कुल कितने सफल आवेदकों के दाखिले नहीं हुए? कुल कितने बच्चे वर्तमान में आरटीई के तहत स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं? दाखिला न लेन वाले स्कूलों पर क्या कार्रवाई हुई ? इसका जवाब प्रथम अपील में भी नहीं मिलने पर द्वितीय अपील की गई। अभी तक जवाब नहीं मिला।
केस – 2
करीब एक साल पहले आरटीई पटल समन्वयक को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी गई, लेकिन जवाब नहीं मिला। जिसमें सवाल थे कि आरटीई पटल समन्वयक की शैक्षणिक योग्यता क्या है? नियुक्ति किस जनपद में किस दिनांक को हुई? जिले में किस दिनांक को किस पद पर कार्यभार ग्रहण किया? वर्तमान में मूल पद क्या है? किन विभागीय कार्यों की जिम्मेदारी दी जाती है? इन सवालों पर जवाब नहीं मिला।
केस – 3
एक साल पहले अभिभावकों द्वारा आरटीई के तहत दाखिले न होने के बड़ा लेकर धरना प्रदर्शन किया गया था। धरने के दिन तत्कालीन बीएसए छुट्टी पर थे। जिस संबंध में आरटीआइ के माध्यम से सवाल थे कि बीएसए को धरने प्रदर्शन की जानकारी पहले मिल गई?
अवकाश का कार्यक्रम धरने की जानकारी मिलने के बाद बना या पहले ? बीएसए द्वारा धरने की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी गई, साक्षयों के साथ जानकारी? छुट्टी पर रहने की स्थिति को अभिभावकों से मिलने के लिए किस अधिकारी को नियुक्त किया गया? छुट्टी के आवेदन की जानकारी मांगी गई थी। जिसका जवाब नहीं मिला।
केस – 4
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा आरटीआइ के माध्यम से निजी स्कूल की एनओसी को लेकर जानकारी मांगी थी। जिसमें सवाल थे कि निजी स्कूल की एनओसी कब किन शर्तों पर हुई ?
सरकार द्वारा स्कूलों के लिए एनओसी की शर्त एवं दिशानिर्देश की जानकारी। निजी स्कूल की पिछले पांच साल की आडिट बैलेंस शीट की जानकारी। जिले के सभी निजी, सहायता प्राप्त एवं सरकारी स्कूलों की सूची। निजी स्कूल में पिछले पांच साल में आरटीई के तहत कितने दाखिले हुए।
इस मामलें में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव का कहना है कि आरटीआइ का जवाब अनिवार्य रूप से देना होता है। इसमें लापरवाही नहीं की जानी चाहिए। यदि लापरवाही की जा रही है तो जांच कराई जाएगी। सभी आरटीआइ का समय पर जवाब देना सुनिश्चित किया जाएगा।