विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने को राजस्थान के लिए दो प्रमुख चुनाव समितियों की घोषणा कर दी है। हैरानी की बात हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे इनमें से किसी भी पैनल का हिस्सा नहीं हैं। कमेटियों की घोषणा के बाद कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। राजस्थान में इस इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव प्रबंधन समिति और चुनाव घोषणापत्र समिति का गठन किया था। 21 सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पूर्व सांसद नारायण पंचारिया हैं, जबकि केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल प्रदेश संकल्प पत्र (घोषणा पत्र) समिति का नेतृत्व करेंगे।
दोनों में से किसी पैनल के सदस्य के रूप में भी वसुंधरा राजे का नाम शामिल नहीं है। विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि वसुंधरा राजे हमारी वरिष्ठ नेता हैं…हमने उन्हें कई कार्यक्रमों में शामिल किया है और भविष्य में भी उन्हें हम शामिल करते रहेंगे। बड़ा सवाल यह भी है कि वसुंधरा राजे को लेकर क्या जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसको लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और वह राज्य में लगातार प्रचार करेंगी।
वसुंधरा राजे 5 बार की विधायक हैं और दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रही हैं। भाजपा के बड़े चेहरों में उनका नाम है। साथ ही साथ उनके समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री चेहरा बनाने का तलाव पार्टी नेतृत्व पर लगातार डाल रहे हैं। खुद चुनावी साल में वसुंधरा राजे काफी सक्रीय हैं। वरिष्ठ नेताओं के साथ मंच भी साझा कर रही हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं वसुंधरा राजे भी राजस्थान चुनाव को लेकर काफी अहम मानी जा रही है।
भाजपा ने अर्जन राम मेघवाल को संकल्प घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान से ही सांसद हैं। वह अनुभवी नेता हैं। इसके अलावा वह केंद्रीय नेतृत्व के भी काफी करीब हैं। इस समिति में अर्जुन राम मेघवाल के अलावा संयोजक के रूप में राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और घनश्याम तिवाड़ी होंगे। दोनों भाजपा से ही राज्यसभा के सांसद हैं।
अर्जुन राम मेघवाल पहली बार 2009 में राजस्थान के बीकानेर सीट से चुनाव जीते थे। 2013 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में उन्हें पुरस्कृत किया गया। 2009 के बाद 2014 और 2019 में भी उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता। राजनीति में आने से पहले वे राजस्थान कैडर के एक आईएएस अधिकारी रहे। दलित समुदाय से आने वाले मेघवाल अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। मोदी सरकार में भी उनके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है। फिलहाल कानून मंत्रालय भी संभाल रहे हैं।
लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि राजस्थान में एकछत्र राज्य करने वाली वसुंधरा पार्टी में इस तरह की जा रही अपनी अनदेखी पर चुप नहीं बैठेंगी। हांलाकि अभी तक उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन राजनीतिक जानकारों को मानना है कि वसुंधरा खेमे में बहुत कुछ सुलग रहा है जिसकी आंच जल्द ही पार्टी पर असर डालेगी। वैसे केन्द्रीय नेतृत्व लगातार राजे की गतिविधियों पर नजर बना हैं।