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जानिए कैसे युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत्र बन गई स्‍वतन्‍त्रता दिवस परेड में दिल्‍ली पुलिस की टुकड़ी का नेतृत्‍व करने वाले आईपीएस की कहानी

बेमिसाल है दिल्‍ली में पैदा हुए, सामान्‍य स्‍कूल से पढकर आईपीएस बनने वाले शशांक जायसवाल की जिंदगी का सफर

विशेष संवाददाता

नई दिल्‍ली। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले पर झंडा फहराया और देश को संबाेधित किया। लाल किले पर 15 अगस्त की परेड में तीनों सेनाओं व सशस्‍त्र बलों की टुकडि़यों के साथ दिल्ली पुलिस भी शामिल होती है और सेल्यूट देती है। इस बार दिल्ली पुलिस की टुकड़ी को नेतृत्व पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस के एडिशनल डीसीपी शशांक जायसवाल ने किया। शशांक की पहचान एक तेज तर्रार युवा आईपीएस अधिकारी के रूप में होती है।

15 अगस्त की परेड में दिल्ली पुलिस का नेतृत्व करने वाले शशांक जायसवाल साल 2014 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। शशांक ने यूपीएससी परीक्षा में शानदार रैंक हासिल किया था।

दिल्ली के शाहदरा में बलबीर नगर के रहने वाले शशांक जायसवाल एक सामान्‍य परिवार से हैं। पूर्वी दिल्‍ली के अर्वाचीन स्‍कूल से स्‍कूली शिक्षा लेने के बाद आईपीएस बनने तक की उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत्र है। उन्होंने साल 2006 में अपनी इंजीनियरिंग दिल्ली ऑफ इंजीनियरिंग से पूरी की। इसके बाद उन्होंने एमबीए करने का फैसला लिया और उन्‍होंने आईआईएम कोझिकोड से एमबीए किया।

एमबीए के बाद प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी में लाखों की सैलरी वाली नौकरी मिली। लेकिन ना जाने क्‍यों वे अपने काम और नौकरी से संतुष्‍ट नहीं थे क्‍योंकि उनके दिमाग में तो देश सेवा और पीडितों की मदद करने का जज्‍बां था। लाखों रूपए महीने की नौकरी के बाद भी वे अपने मन का काम नहीं कर पा रहे थे लिहाजा उन्‍होंने जीवन की एक नई राह चुनी और अचानक उन्होंने यूपीएससी करने का मन बनाया तथा जॉब छोड़ दिया।

दरअसल, सिविल सर्विस में जाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह थी कि वो जरूरत मंदों की मदद कर सकते थे क्‍योंकि उन्हें समाज के बीच काम करना पसंद रहा है। समाज सेवा करने में उन्हें काफी अच्छा लगता है। लापता बच्चों को खोजकर उनके माता-पिता तक सौंपना और किसी पीडित के अपराधी को सजा दिलाना उन्‍हें बहुत राहत देता था। इसीलिए यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में कडी मेहनत के बाद उन्हें 444वीं रैंक हासिल हुई । उन्हें इस परीक्षा के फाइनल में 793 नंबर प्राप्त हुआ था। उन्‍हें आईपीएस चयन किया गया । शशांक फिलहाल दिल्ली पुलिस में एडिशनल डीसीपी के पद पर तैनात हैं। लेकिन उन्‍होंने दिल्‍ली पुलिस में अपना सफर उत्‍तर पूर्वी जिले में एसीपी सीलमपुर के रूप में शुरू किया था। तब उन्‍होंने दिल्‍ली शहर के लिए नासूर बने सीलमपुर इलाके के बड़े गैंगसटर छूने और साबिर को मकोका में गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया। मिजोरम में बतौर एसपी तैनात रहने के दौरान उनके नेतृत्‍व में पुलिस ने दो अलकायदा आतंकवादियों को पकड़ने में अहम भमिका निभाई। शशांक इस समय ईस्ट दिल्ली जिला के एडिशनल डीसीपी है। इससे पहले शशांक सेंट्रल जिला में एडिशनल डीसीपी थे।

युवा आईपीएस अधिकारी शशांक जायसवाल जब लाल किला पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को हाथ में तलवार लेकर सहयोगी आईपीएस संध्‍या स्‍वामी के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दे रहे थे उस वक्‍त पूर्वी दिल्‍ली जिला पुलिस के तमाम जवानों को सिर गर्व से ऊंचा हो गया। युवा आईपीएस जीवन में ऐसे गौरवशाली लम्‍हों को जीने का सपना देखते हैं जिसे शशांक जायसवाल ने कम उम्र में पूरा किया है। 15 अगस्‍त की परेड में दिल्‍ली पुलिस की टुकड़ी का नेतृत्‍व करते देख शंशाक के पडोसी, उनके सहपाठी रहे और पूर्वी जिले में उनके मातहत कााम करने पुलिस कर्मियों को सीना गर्व से चौडा हो गया है। क्‍योंकि जब वे गार्ड ऑफ ऑनर दे रहे थे उस वक्‍त दूरदर्शन व आकाशवाणी पर हो रहे लाइव टेलीकास्‍ट में उनका नाम पुकारा जा रहा था। लाल किला पर परेड के बाद उन्‍होंने दिल्‍ली पुलिस मुख्‍यालय में भी पुलिस आयुक्‍त संजय अरोडा के समक्ष गार्ड ऑफ आनर देने वाली पुलिस टुकडी का नेतृत्‍व किया।

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