विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सीमा पार से हथियारों की तस्करी में शामिल एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। जिसका नेटवर्क दुबई, पाकिस्तान, नेपाल और भारत में फैला हुआ था। इस मॉड़यूल के तीन लोगों की गिरफ्तारी के साथ ज़िगाना, बेरेटा और स्लोवाकियाई पिस्तौल समेत 12 अर्ध-स्वचालित पिस्तौल बरामद किए है। इनके कब्जे से बंदूकों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक विशेष लोहे का बक्सा, एक आई-20 कार, एक होंडा एक्टिवा और पांच मोबाइल फोन, नेपाली मुद्रा और नेपाल का सिम कार्ड भी बरामद किए गए हैं।
डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने बताया कि साउथ वेस्ट रेंज के डीसीपी संजय दत्त, और सुनील कुमार की देख रेख में इंस्पेक्टर मनेंद्र सिंह,नीरज कुमार, एसआई वसीक अहमद, राकेश तोमर, सुरेंद्र पाल, एएसआई रेशम, विजय प्रताप, उदय राम, हैड कांस्टेबल सिकंदर, और कांस्टेबल प्रशांत की टीम ने सीमा पार हथियारों की तस्करी में शामिल एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।
25 जुलाई 2023 को विशेष सूचना प्राप्त हुई कि इस गिरोह का मौ. ओवैस उर्फ शमशाद दिल्ली में अपने सहयोगियों को हथियारों की एक बड़ी खेप देने के लिए शांति वन के सामने, घाटा मस्जिद के पास आएगा। इसके बाद शांति वन के सामने घाटा मस्जिद के पास जाल बिछाकर मो. ओवैस उर्फ शमसाद को एक आई-20 कार में पकड़ा गया और उसके कब्जे से जिगाना और स्लोवाकियाई पिस्तौल सहित 10 अर्ध-स्वचालित पिस्तौल बरामद किए गए। स्पेशल सेल ने शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की और उसके अन्य सहयोगी मो. अफ़रोज़ और मो. अदनान हुसैन अंसारी को भी हजरत निज़ामुद्दीन इलाके से गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा आरोपी मोहम्मद के कहने पर अफ़रोज़ से एक यूएसए निर्मित पिस्तौल (एक बेरेटा), नेपाली मुद्रा, एक नेपाली सिम कार्ड, नेपाली रिचार्ज वाउचर, और पिस्तौल की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक विशेष लोहे का बक्सा बरामद किया गया। आरोपी मोहम्मद अदनान की निशानदेही पर एक सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौल और एक होंडा स्कूटी बरामद की गई। मोहम्मद ओवैस उर्फ शमशाद बुलंदशहर तथा बाकी दोनों आरोपी निजामुद़दीन दिल्ली के रहने वाले हैं।
तीनों आरोपियों को कानून की उचित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया और उनसे गहन पूछताछ की गई, और यह पता चला कि वे अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करी नेटवर्क के सक्रिय सदस्य थे, जिसका नेतृत्व पहले शाहबाज़ अंसारी, निवासी खुर्जा, बुलंदशहर कर रहा था। इस नेटवर्क का इस्तेमाल लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या में इस्तेमाल हथियार खरीदने के लिए किया था।
शाहबाज अंसारी की गिरफ्तारी के बाद मो. ओवैस ने मॉड्यूल प्रमुख का कार्यभार संभाला और सीमा पार हथियारों की तस्करी शुरू कर दी। मो. अदनान दुबई में अपने समकक्ष से संपर्क करेगा और हथियारों का ऑर्डर देगा, जो बदले में पाकिस्तान स्थित मॉड्यूल के अन्य सदस्यों को मांग बताएगा। इस मॉड्यूल के पाकिस्तान स्थित सदस्य, ऑर्डर लेने के बाद, विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किए गए एक छिपे हुए लोहे के बक्से में नेपाल को एयर कार्गो द्वारा हथियारों की आपूर्ति करेंगे। एक बार जब खेप नेपाल पहुंच जाती है, तो इस मॉड्यूल के सदस्य द्वारा इसे आसानी से निकाल लिया जाएगा, क्योंकि नेपाल के कस्टम अधिकारी इस मॉड्यूल से समझौता कर लेते हैं। इसके बाद मो. ओवैस और मो. हथियारों को भारत तक पहुंचाने के लिए अफ़रोज़ भारत-नेपाल सीमा का लाभ उठाते हुए सड़क मार्ग से यात्रा करता था। उनसे पूछताछ के अनुसार, वे एक ड्राई रन सहित चार खेप लाए थे। एक विदेशी पिस्तौल की कीमत लगभग 2-3 लाख होती है, और वे इसे दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अपराधियों और गैंगस्टरों को लगभग 7-8 लाख में बेचते थे।