क्या पार्टी से बगावत कर सरकार में शामिल होंने की यही तो मजबूरी नहीं
संवाददाता
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति के लिए रविवार का दिन बड़ी उठा पटक वाला रहा. एनसीपी नेता अजित पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए और पार्टी के तीन विधायकों को मंत्री भी बना दिया. अजित पवार खुद उपमुख्यमंत्री बन गए. इसी बीच खबरें आने लगी हैं कि शिंदे सरकार में शामिल हुए एनसीपी कोटे के नौ मंत्रियों में से कम से कम तीन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है. जिसमें खुद उपमुख्यमंत्री अजित पवार का नाम शामिल हैं. इसके अलावा छगन भुजबल और हसन मुश्रीफ भी ईटी की जांच का सामना कर रहे हैं. इन तीन मंत्रियों में किसी को सजा मिल चुकी है तो कोई जमानत पर है. वहीं किसी अभी भी कोर्ट केस चल रहा है.
अजित पवार के खिलाफ चल रही है इन मामलों में जांच
महाराष्ट्र के नए उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ सहकारी बैंक घोटाले की जांच चल रही है. उनपर राज्य सहकारी बैंक के ऋणों में अनियमितताओं के आरोप में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की जांच चल रही है. इसके साथ ही इस मामले में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया हुआ है. बता दें कि नवंबर, 2019 में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के बनने के बाद ईओडब्ल्यू ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. अगर ईओडब्ल्यू इस मामले को बंद कर देता तो ईडी को भी जांच बंद करनी पड़ती. हालांकि शिंदे सरकार के गठन के बाद ईओडब्ल्यू साफ किया कि जांच अभी भी जारी है.
इसके अलावा अजित पवार सिंचाई घोटाले का भी सामना कर रहे हैं. दरअसल, कांग्रेस-एनसीपी सरकार में अजित जब जल संसाधन मंत्री थे, तब उनपर सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितता के आरोप लगे थे. महाराष्ट्र एसीबी ने इस मामले में अदालत की निगरानी में जांच शुरू की थी. साल 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार में आने के बाद एसीबी ने अजित पवार को क्लीनचिट दे दी थी. लेकिन इस रिपोर्ट को बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया.
छगन भुजबल पर भी लगे हैं ये आरोप
शिंदे सरकार में शामिल होने वाले एनसीपी नेता छगन भुजबल भी दो साल जेल काट चुके हैं. साल 2015 में भुजबल के अलावा 16 अन्य लोगों के खिलाफ एसीबी ने मामला दर्ज किया था. जो 2006 की तीन परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ से ज्यादा का ठेका देने में हुई अनियमिताओं के संबंध में हैं. जब ये मामला सामने आया तब भुजबल महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री थे. ईडी ने उनपर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अलग से मामला दर्ज किया था. इस मामले में 2016 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और दो साल जेल में भी काटने पड़ें हालांकि बाद में भुजबल को जमानत मिल गई.
हसन मुश्रिफ पर है 1500 करोड़ के घोटाले का आरोप
मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायक हसन मुश्रिफ सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों के कामकाज में अनियमिताओं को लेकर ईडी जांच के घेरे में हैं. अप्रैल में विशेष अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, लेकिन हाई कोर्ट से उन्हें संरक्षण मिल गया था. उन पर 1500 करोड़ के घोटाले का आरोप है. उनके तीन बेटों के खिलाफ भी ईडी जांच कर रही है.