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गाजियाबाद नगर निगम कार्यकारिणी के 12 सदस्य निर्विरोध बने: बीजेपी के 9, सपा-कांग्रेस व निर्दलीय से एक-एक पार्षद चुने, महापौर का ऐलान अतिक्रमण व भ्रष्‍टाचार करने वाले बर्दाश्‍त नहीं किए जायेंगे

विशेष संवाददाता

गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक शुक्रवार को हुई। इस दौरान 12 नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य निर्विरोध चुने गए। इनमें भाजपा के 9 सदस्य सहित कांग्रेस, सपा और निर्दलीय के एक-एक सदस्य चुने गए। संपन्‍न हुई पहली बोर्ड बैठक में महापौर सुनीता दयाल ने अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ बड़ा ऐलान किया है।

भाजपा ने ऐन वक्त पर धीरज गोयल का नाम वापस ले लिया। इस पर मेयर सुनीता दयाल ने कहा कि कार्यकारिणी के सदस्यों के चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त होने की जानकारी मिली थी। इसलिए भाजपा ने एक उम्मीदवार का नम वापस लेकर अपने पार्षद की कुर्बानी देकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में खरीद-फरोख्त को रोका है और चुनाव निर्विरोध कराया है। मेयर ने कहा कि गलत करने वालों पर मेरी निगाह बनी रहेगी।

निगम कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए आज नामांकन की प्रक्रिया सुबह शुरू हो गई थी। कार्यकारिणी के 12 सदस्‍यों के लिए 13 पार्षदों ने नामांकन भरा था। भाजपा ने चुनाव मैदान में 10 पार्षदों को उतारा था। भाजपा चुनाव को निर्विरोध कराना चाह रही थी। इस वजह से अंतिम समय चुनाव मैदान से वार्ड 81 से पार्षद धीरज अग्रवाल का नामांकन पत्र वापस कराया गया। इसके साथ ही निर्विरोध चुनाव संपन्न हो गए। कार्यकारिणी के सदस्य बने पार्षदों में बीजेपी से नौ, सपा और कांग्रेस से एक–एक पार्षद और एक निर्दलीय शामिल है। बीजेपी से पार्षद प्रवीण कुमार, मनोज त्यागी, राजकुमार भाटी, गौरव सोलंकी, राजीव शर्मा, रामनिवास बंसल, यशपाल पहलवान, रेखा गोस्वामी, शीतल देओल और कांग्रेस से पार्षद अजय शर्मा, सपा से आदिल मलिक, निर्दलीय धीरेन्द्र यादव शामिल हैं।

पहली बोर्ड बैठक में महापौर सुनीता दयाल ने अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ बड़ा ऐलान किया है। उन्‍होंने कहा कि अतिक्रमण करने वालों को जेल भेजा जाएगा। इस तरह महापौर ने स्‍पष्‍ट कर दिया है नगर निगम में किसी भी तरह का भ्रष्‍टाचार बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। इसके लिए सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई से परहेज नहीं किया जाएगा।

एक सवाल के जवाब में महापौर ने कहा कि नगर निगम उन दुकानों के किराए की जांच की कराएगी, जिनकी कीमत लाखों में पहुंच गयी है और किराया नाम पात्र का आ रहा है। वहीं, इलाकों में निर्माण का काम पार्षदों के चहेतों ठेकेदारों के देने के संबंध में उन्‍होंने कहा कि मामला सदन में उठाया जाएगा। ठेकेदार कोई भी हो, नगर नगर निगम के शर्तों को पूरा करना अनिवार्य होगा। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी।

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