latest-newsविविध

विश्व धरोहर सूची में दर्ज दिल्ली सल्तनत स्थित हुमायुं के मकबरे में दो के परिसर में शुरू हो जाएगा विशालकाय पुस्‍तकालय

यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में दर्ज दिल्ली सल्तनत स्थित हुमायुं के मकबरे को इस वर्ष 30 वर्ष (1993-2023) हो गया है। यूनेस्को द्वारा अंकित भारत के 40 ऐतिहासिक धरोहरों में हुमायुं का मकबरा एक है। मुग़ल वास्तुकला से प्रेरित मुग़ल सम्राट हुमायुं के मकबरे में, और इस परिसर में हुमायूँ की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। इस मकबरे में वही चारबाग शैली है जिसने ताजमहल को जन्म दिया। इस मकबरे को हुमायुं की विधवा बेगम हमीदा बानो ने 1562 में बनवाया था। यही बेगम हमीदा और शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह का भी कब्र है।

पाषाण निर्मित विशाल इमारत में प्रवेश के लिये दो 16 मीटर ऊंचे दुमंजिले प्रवेशद्वार पश्चिम और दक्षिण में बने हैं। इन द्वारों में दोनों ओर कक्ष हैं एवं ऊपरी तल पर छोटे प्रांगण है। मुख्य इमारत के ईवान पर बने सितारे के समान ही एक छः किनारों वाला सितारा मुख्य प्रवेशद्वार की शोभा बढ़ाता है। मकबरे का निर्माण मूलरूप से पत्थरों को गारे-चूने से जोड़कर किया गया है और उसे लाल बलुआ पत्थर से ढंका हुआ है। उसके ऊपर पच्चीकारी, फर्श की सतह, झरोखों की जालियों, द्वार-चौखटों और छज्जों के लिये श्वेत संगमरमर का प्रयोग किया गया है। मकबरा आठ मीटर ऊंचे मूल चबूतरे पर खड़ा है, 12000 वर्ग मीटर की ऊपरी सतह को लाल जालीदार मुंडेर घेरे हुए है। इस वर्गाकार चबूतरे के कोनों को छांटकर अष्टकोणीय आभास दिया गया है। इस चबूतरे की नींव में 56 कोठरियां बनी हुई हैं, जिसमें 100 से अधिक कब्रें बनाई हुई हैं। फ़ारसी वास्तुकला से प्रभावित ये मकबरा 47 मीटर ऊंचा और 300 फीट चौड़ा है।

बाहर से सरल दिखने वाली इमारत की आंतरिक योजना कुछ जटिल है। इसमें मुख्य केन्द्रीय कक्ष सहित नौ वर्गाकार कक्ष बने हैं। इनमें बीच में बने मुख्य कक्ष को घेरे हुए शेष आठ दुमंजिले कक्ष बीच में खुलते हैं। मुख्य कक्ष गुम्बददार (हुज़रा) एवं दुगुनी ऊंचाई का एक-मंजिला है और इसमें गुम्बद के नीचे एकदम मध्य में आठ किनारे वाले एक जालीदार घेरे में द्वितीय मुग़ल सम्राट का कब्र है। ये इमारत की मुख्य कब्र है। इसका प्रवेश दक्षिणी ओर एक ईवान से होता है, तथा अन्य दिशाओं के ईवानों में श्वेत संगमर्मर की जाली लगी हैं। सम्राट की असली समाधि ठीक नीचे आंतरिक कक्ष में बनी है, जिसका रास्ता बाहर से जाता है। नीचे तक आम पर्यटकों को पहुँच नहीं दी गई है।

मुख्य कक्ष में संगमर्मर की जालीदार घेरे के ठीक ऊपर मेहराब भी बना है, जो पश्चिम में मक्का की ओर बना है। यहां आमतौर पर प्रवेशद्वारों पर खुदे कुरान के सूरा 24 के बजाय सूरा-अन्-नूर की एक रेखा बनी है, जिसके द्वारा प्रकाश क़िबला (मक्का की दिशा) से अंदर प्रवेश करता है। इस प्रकार सम्राट का स्तर उनके विरोधियों और प्रतिद्वंदियों से ऊंचा देवत्व के निकट हो जाता है। प्रधान कक्ष के चार कोणों पर चार अष्टकोणीय कमरे हैं, जो मेहराबदार दीर्घा से जुड़े हैं। प्रधान कक्ष की भुजाओं के बीच बीच में चार अन्य कक्ष भी बने हैं। ये आठ कमरे मुख्य कब्र की परिक्रमा बनाते हैं, जैसी सूफ़ीवाद और कई अन्य मुगल मकबरों में दिखती है। इन प्रत्येक कमरों के साथ आठ-आठ और बने हैं, जो कुल मिलाकर 124 कक्षीय योजना का अंग हैं। इन छोटे कमरों में कई मुगल नवाबों और दरबारियों की कब्रों को समय समय पर बनाया हुआ है।

हुमायूँ के मकबरे के मुख्य पश्चिमी प्रवेशद्वार के रास्ते में अनेक अन्य स्मारक बने हैं। इनमें से प्रमुख स्मारक ईसा खां नियाज़ी का मकबरा है, जो मुख्य मकबरे से भी 20 वर्ष पूर्व 1547 में बना था। ईसा खां नियाज़ी मुगलों के विरुद्ध लड़ने वाला सूर वंश के शासक शेरशाह सूरी के दरबार का एक अफगान नवाब था। यह मकबरा ईसा खां के जीवनकाल में ही बना था और उसके बाद उसके पूरे परिवार के लिये ही काम आया। मकबरे के पश्चिम में एक तीन आंगन चौड़ी लाल बलुआ पत्थर की मस्जिद है। यह अठमुखा मकबरा सूर वंश के लोधी मकबरे परिसर स्थित अन्य मकबरों से बहुत मेल खाता है।

बहरहाल, हुमायुं मकबरे के परिसर में आज एक विशालकाय पुस्तकालय बन रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि दो वर्षों में यह पुस्तकालय बनकर तैयार हो जायेगा। इस मकबरे के अंदर बम्बई, चेन्नई, बांग्ला फिल्म उद्योगों द्वारा निर्मित सैकड़ों फिल्मों की शूटिंग हुआ करता है। प्रवेश के साथ दाहिने हाथ ईशा खा के मकबरे और दरगाह का इलाका आज उपेक्षित है। हुमायुं के मकबरे की ओर बढ़ने के साथ दाहिने हाथ का इलाका आज जीर्णशीर्ण अवस्था में है। पूरे परिसर में कुत्तों की संख्या बहुत अधिक है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com