सुनील वर्मा
हापुड। जिले में पुलिस का मुखिया अगर ईमानदार और अच्छा इंसान हो तो ना सिर्फ लोगों को सही इसांफ मिलता है बल्कि पुलिस की छवि भी निखरती है। हापुड के पुलिस कप्तान अभिषेक वर्मा ऐसे ही अधिकारी है जिनके कारण न सिर्फ पुलिस विभाग की छवि में चार चांद लग रहे हैं बल्कि लोगों को इंसाफ भी मिल रहा है।
मामला 26 मई को हापुड कोतवाली का है जब आदर्श नगर व जसरूप नगर के एक मकान छापा मारकर पुलिस ने जिस्म फरोशी का सेक्स रैकेट चलाने वाले एक अड्डे का परदाफाश किया था। पुलिस ने देह व्यापार के अड्डे से 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया था जिनमें 12 महिलाएं थी।
इनमें नेपाल और बिहार की महिलाएं भी शामिल हैं। मौके से पुलिस ने आपत्तिजनक सामग्री 18 मोबाइल फोन, 8340 रुपये की नकदी, सील और इस्तेमाल हुए कंडोम बरामद किए थे।
कोतवाली पुलिस ने इन सभी आरोपियों को एफआईआर दर्ज करने के बाद अदालत में पेश किया और जेल भेज दिया ।
पुलिस ने जब गिरफ्तार की गई महिलाओं से पूछताछ की तो एक महिला ने खुद को नवभारत समाज कल्याण समिति की वर्कर बताया था। उसने ये भी बताया कि जिस वक्त पुलिस की छापेमारी हुई उस वक्त वह संयोग से अपने एनजीओ द्वारा किए जा रहे सर्वे के लिए उस मकान पर पहुंची थी। लेकिन जब उक्त महिला से उसका परिचय पत्र और नियुक्त पत्र अथचा एनजीओ से जुडी होंने का प्रमाण मांगा गया तो वो कोई भी दस्तावेज नहीं दे पाई। इसलिए पुलिस ने उसे भी सेक्स वर्कर मानकर जेल भेज दिया।
लेकिन हापुड एसपी अभिषेक वर्मा को जैसे ही उक्त महिला के एनजीओ से जुडे होंने की जानकारी मिली तो उन्होंने अपनी टीम से इसकी जांच कराई। जिसमें स्पष्ट हो गया कि महिला वाकई उक्त एनजीओ की वर्कर थी और एनजीओ के काम से ही उस मकान पर सर्वे करने गई थी उसका सेक्स वर्करों से कोई लेना देना नहीं है। वैसे तो आमतौर पर ऐसे मामलों में गलती होंने पर भी कोई सुधार नहीं करती है। कोई दूसरा अफसर होता तो महिला को एनजीओ का नहीं बल्कि सेक्स वर्कर ही मानकर उसके हाल पर छोड देता।
लेकिन अभिषेक वर्मा उन आईपीएस अफसरों में हैं जो किसी दोषी को छोडते नहीं और निर्दोष के साथ ना इंसाफी नहीं होंने देते। लिहाजा हापुड कप्तान ने तत्काल कोतवाली पुलिस को एनजीओ से जुडी उस महिला को जेल से बाहर निकलवाने का आदेश दिया जिसे गलतफहमी में सेक्स वर्कर मानकर जेल भेज दिया था। कोतवाली पुलिस ने भी आनन फानन में जांच कर कागजी कार्रवाई की और एफआईआर से एनजीओ वर्कर का नाम निकालकर अदालत से आदेश हासिल कर उस महिला को जेल से निकलवा दिया जो गलतफहमी के कारण जेल पहुंच गई थी। बहरहाल अब एनजीओ से जुडे पदाधिकारी व हापुड के लोग हापुड कप्तान की इस नेकनियती की जमकर सराहना कर रहे है।
एक दूसरे मामलें में बीती दिन एक निजी स्कूल में प्रोफेसर पद पर काम करने वाले महिला जो कोलज के बाद हापुड जा रही थी उनकी गाड़ी को कोई हिट करके भाग गया। महिला ने अपने पति को फोन करके ये बता बताई तो पति ने एसपी हापुड़ को फोन नंबर जुटाकर उनसे बात की । हापुड कप्तान की जनता के प्रति जिम्मेदारी की भावना देखिए कि उन्होंने तत्काल पुलिस को दौडाया और महिला को मदद ही नहीं पहुंचाई बल्कि इस मामले में कार्रवाई भी हुई। बाद में महिला के पति ने हापुड कप्तान के इस काम की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस को ट्विट किया।