विनीत शर्मा “नादान”
लेखक पत्रकार/स्तंभकार
गाजियाबाद । भारतीय जनता पार्टी के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा का कार्यकाल काफ़ी समय पहले समाप्त हो चुका है परंतु नगर निकाय चुनाव के चलते इसे बढ़ा दिया गया था। अब चूंकि निकाय चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं, परिणाम भी पार्टी को अनुकूल आये हैं, गाजियाबाद के लिए नए संगठन अध्यक्ष की खोज पूरे जोर शोर से हो रही है। महानगर अध्यक्ष की लाइन में यूं तो बहुत से नाम घूम रहे हैं, दर्जनों लोग अलग अलग तरीकों से अपनी अपनी पैरोकारी में लगे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव भी दस महीने बाद होने हैं और भाजपा अपनी तैयारियां एडवांस शुरू कर देती है इसलिए मिशन 2024 की भी अध्यक्ष के चयन में बड़ी भूमिका होगी।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी किसी अनुभवी तथा उर्जावान चेहरे को ही गाजियाबाद में महानगर अध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देगी, यह तय माना जा रहा है। भाजपा में महानगर अध्यक्ष परिवर्तन के लिये खोज तेज हो गई है जिसके लिये कनिष्ठ से वरिष्ठ तक अध्यक्ष का ताज पहनने के लिए दिल्ली – लखनऊ की दौड़ लगायी जा रही है।
वर्तमान महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा सहित पूर्व महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा, मानसिंह गोस्वामी तथा अशोक मोंगा के अतिरिक्त महानगर मंत्री गुंजन शर्मा, महानगर महामंत्री राजेश त्यागी और मीडिया प्रभारी अश्वनी शर्मा भी अध्यक्ष पद की दौड़ में प्रमुखता से चल रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार जून माह में संगठन परिवर्तन हो सकता है।
जहां तक वर्तमान महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा की बात है उनके नेतृत्व में नगर निगम चुनावों में आशातीत सफलता तो मिली है परन्तु परंतु इसके पीछे लोग मोदी और योगी की लोकप्रियता को ही असल वजह बता रहे हैं। सभासद तक के उम्मीदवारों ने योगी और मोदी के नाम पर वोट मांगे थे। साथ ही सूत्रों का कहना है कि टिकट बंटवारे में जिस अपरिपक्वता का परिचय दिया गया वैसा भाजपा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ।
संजीव शर्मा ने निकाय चुनाव की घोषणा होने से पहले ही अपने लिए महापौर पद के लिए जमीन तैयार करना शुरु कर दिया था और इसके चलते ही सांसद वीके सिंह, एमएलसी दिनेश गोयल और राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल व विधायकगणों के बीच टकराव की स्थिति भी पैदा हो गई थी। यह तथ्य भी उनकी दावेदारी को कमजोर कर रहा है। उक्त प्रकरण के बाद वायरल हुए पत्रों से भाजपा की काफी किरकिरी भी हुई थी, परंतु जैसे-तैसे संगठन ने मामला शांत करा दिया था। बाद में जब गाजियाबाद महापौर सीट महिला खाते में चली गई तो संजीव शर्मा ने फिर से वर्षों से पार्टी की समर्पित तथा सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए अपनी पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी पेश कर दी थी। उसके बाद महिला मोर्चा में काफी नाराजगी रही जो आज तक जारी है। ऐसे में संगठन संजीव शर्मा को पुनः अध्यक्ष पद पर आसीन करायेगा संभव नहीं लगता।
नगर निकाय चुनावों में हार-जीत से सरकार बनने या बिगड़ने का जोखिम नहीं रहता। इसीलिए प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन की कारगुजारियों पर अभी तक चुप्पी साध रखी है। लेकिन आम चुनावों में पार्टी कोई भी जोखिम मोल नहीं लेना चाहेगी इसलिए मिशन 2024 के मद्देनजर नगर अध्यक्ष की बागडोर किसी विवादास्पद व्यक्ति को पार्टी सौंपना नहीं चाहेगी। इस लिहाज से पूर्व अध्यक्ष अजय शर्मा, अशोक मोंगा, मान सिंह गोस्वामी, अश्वनी शर्मा, गुंजन शर्मा, राजेश त्यागी, जैसे नामों पर प्राथमिकता से विचार किया जाना संभव लगता है।