संवाददाता
गाजियाबाद। पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद गाजियाबाद की पुलिसिंग में भले ही कोई अन्य बदलाव न हुआ हो लेकिन एक बदलाव जरूर हुआ कि जिले में पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी यानि पुलिस कमिश्नर साहब जिले की जनता के लिए खुदा बन गए हैं। चाहे कानून व्यवस्था के नियंत्रण का मामला हो या जनता दरबसा लगाकर जनता की समस्याओं का निवारण करने की तमाम जिम्मेदारियां पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्रा के तमाम कामों को एडीशनल कमिश्नर दिनेश पी ही अंजाम दे रहे हैं। अगर यूं कहे तो गलत न होगा कि गाजियाबाद जिले में नगर निकाय चुनाव अगर शांतिपूर्ण ढंग से बिना किसी बाधा के पुलिस संपन्न कराने में कामयाब हुई तो इसका श्रेय भी एडीशनल सीपी दिनेश पी को ही दिया जाना चाहिए।
चुनाव संपन्न कराने के लिए जिले के तमाम पुलिस अफसरों को दिशा निर्देश देने से लेकर संवेदन शील चुनाव केन्द्रो की सुरक्षा और और फिर पूरे जिले में मतदान के दौरान कानून व्यवस्था की निगरानी का काम एडीशनल सीपी दिनेश पी के निर्देशन में ही संपन्न हुआ। अब शुक्रवार को होने वाली मतगणना को शांतिपूण ढंग से संपन्न कराना उनकी अगली चुनौती होगी। इसके लिए उन्होंने आज जिले के सभी मतगण्ना केन्द्रो पर की गई सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। लेकिन इस दौरान जिले के तमाम नेताओं को कहीं भी जिले के उन पुलिस आयुक्त महोदय के कहीं दर्शन नहीं हुए जिन पर जिले को सुरक्षित रखने की असल जिम्मेदारी है।
हैरानी की बात तो ये हैं कि मेरठ मंडल की कमिश्नर सेल्वा कुमारी सुबह 11 बजे गाजियाबाद के मोदीनरग मुरादनगर से होकर लोनी पहुंच गई और करीब 1 बजे गाजियाबाद में चुनाव का जायजा लेकर लौट भी गई लेकिन पुलिस आयुक्त महोदय का कहीं अता पता नहीं था, अलबत्ता एडीशनल सीपी दिनेश पी ने उन्हें कानून व्यवस्था कि स्थिति से अवगत कराकर पुलिस की लाज जरूर रख ली। सोशल मीडिया से लेकर मीडिया के कैमरों में भी हर जगह एडीशनल सीपी ही दिखे। हांलाकि ऐसा भी नहीं था कि पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्रा जब तीन बजे के बाद अपने निवास से बाहर निकलकर मुरादनगर व कुछ दूसरे स्थानो पर चुनाव का जासजा लेने निकले तो उससे पहले वे अपने कैंप ऑफिस मेंे बैठकर पूरे जिले में कंट्रोल रूम के जरिए चुनाव के हार हालात पर नजर रखे हुए थे।
कुछ समय पहले तक गाजियाबाद में एसएसपी स्तर के अधिकारी पुलिस के मुखिया होते थे और कानून व्यवस्था के हर मामले में लोग एसएसपी को मौके पर देखते थे। ऐसे में कमिश्नरेट के मुखिया से लोग आज भी यही उम्मीद करते हैं कि वे भले ही हर जगह ना सही लेकिन अक्सर लोगों के बीच दिखाई दे तो शायद कमिश्नरेट पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा।