विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। नौकरानी दिलाने के नाम पर लोगों से धोखाधडी करने वाले एक प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। जालसाज ने करीब एक दर्जन से अधिक लोगों से नौकरानी दिलाने के नाम लोगों से एक साल की पेमेंट वसूल कर ली और कुछ दिन बाद नौकरानी काम पर नहीं आयी। आरोपी के भागम भाग गैंग ने इसी तरह कई वारदातों को अंजाम दिया था जिसमें से पांच मामलों में वांछित था।
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविन्द्र सिंह यादव ने बताया कि भागम भाग गैंग के सरगना की पहचान संजय साहनी उर्फ भादिया उर्फ संजय मुखिया के रूप में हुई जो मधुबनी, बिहार का रहने वाला है। मुखिया कई वारदातों को अंजाम देने के बाद पुलिस सी गिरफ्त से बचने के लिए फरार चल रहा था।
डीसीपी क्राइम सतीश कुमार ने बताया कि क्राइम ब्रांच की वेस्ट रेंज टू के एसीपी यशपाल सिंह की टीम के इंसपेक्टर पवन सिंह के नेतृत्व में एसआई अनुज छिकारा, रविंदर सिंह, अनिल सरोहा, एएसआई रविंदर, हैड कांस्टेबल रविंदर सिंह, प्रवीण, अश्विनी, आशीष, रविंदर व कांस्टेबल सोहित की टीम नें संजय मुखिया को गौतमबुद्ध नगर के चिपनिया इलाके से गिरफ्तार किया।
पूछताछ के दौरान पता चला कि दिल्ली एनसीआर में नौकरानी दिलाने का धंधा काफी मुनाफे वाला है। उसने घरेलू नौकरानी दिलाने के लिए एक प्लेसमेंट एजेंसी बना ली। वह बिहार और झारखंड के दूरदराज इलाकों से महिलाओं को घरेलू मदद के रूप में काम करने के लिए लाता था। उन्हें ट्रेंड करने के बाद दिल्ली और एनसीआर की पॉश कॉलोनियों में कई लोगों के यहां रखवाता और ठगी करता करके मोटी कमाई करता था। वह पीड़ितों से नौकरानी का एक साल का अग्रिम वेतन लेता और कुछ दिनों के बाद नौकरानी काम पर जाना बंद कर देती। मांगने पर एडवांस रकम भी वापस नही करते। साथ ही उन्हें झूठे आरोप में जेल भिजवाने की धमकी देते जिस कारण अधिकांश लोग शिकायत ही नहीं करते। लेकिन उसके भागम भाग गिरोह के खिलाफ पिछले कुछ सालों मे दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन, रणहोला थाने, तिलक नगर थाने, ज्योति नगर थाने, गौतमबुद्ध नगर के एक थाने में मुकदमे दर्ज हुए लेकिन संजय मुखिया लगातार ठिकाने बदलता रहा। इन सभी मामलों में उसे भगौडा घोषित कर दिया गया था।
क्राइम ब्रांच की टीम को जब संजय मुखिया के भागम भाग गिरोह के बारे में पता चला तो पुलिस् टीम ने उसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। पता चला कि वह मधुबनी, बिहार का रहने वाला है । साल 2002 में दिल्ली आने से पहले वह अपने परिवार को मछली पालन व्यवसाय में मदद करता था। दिल्ली आने के बाद वह कुछ लोगों के संपर्क में आया, जो उत्तम नगर इलाके के मोहन गार्डन में एक फर्जी डोमेस्टिक हेल्प एजेंसी चलाकर लोगों को ठग रहे थे। आरोपी संजय साहनी को यह काम बहुत ही आकर्षक लगा। इसके बाद, उसने जाली आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड का उपयोग करके काशिला डोमेस्टिक हेल्प सर्विस के नाम से ऐसी ही फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी बनाई। उसने इसे विभिन्न ऑनलाइन विज्ञापन पोर्टल जैसे ‘सुलेखा डॉट कॉम’ और ‘जस्टडायल’ आदि पर पंजीकृत कराया।
घरेलू सहायिका के लिए ऑनलाइन आवेदन मिलने के बाद आरोपी संजय मासिक वेतन तय कर सहायिका को पीड़िता के घर छोड़ जाता था। रुपये लेता था आरोपी सहायता सेवाएं प्रदान करने के लिए एजेंसी के एक बार के कमीशन के रूप में 25 से 30 हज्र रूपए लेता था। लेकिन मेड मौका पाकर पीड़िता के घर से भाग जाती । आरोपी गौतमबुद्ध नगर में किराए के मकान में रह रहा था। वह वह अपनी आपराधिक गतिविधियों को छिपाने के लिए पीओपी ठेकेदार के रूप में काम कर रहा था।