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गाज़ियाबाद में आग सुरक्षा ऑडिट की पोल खुली

40 इमारतें असुरक्षित, 35 के खिलाफ कानूनी कदम उठाए गए

विशेष संवाददाता

गाजियाबाद। जैसे-जैसे गर्मी का मौसम शुरू होता है, देशभर में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि होती है। घनी जनसंख्या और ऊँची इमारतों वाले शहरों में, जैसे गाजियाबाद, यह समस्या और भी चिंताजनक हो जाती है। यहां मॉल, हाई-राइज सोसाइटीज़ और औद्योगिक इकाइयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि फायर सेफ्टी के मानकों का पालन अक्सर नहीं होता। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, गाजियाबाद अग्निशमन विभाग ने गर्मी से पहले एक विशेष अभियान का आयोजन किया, जिसमें शहर की इमारतों का फायर सेफ्टी ऑडिट किया गया।

डीजी फायर सर्विस के दिशा-निर्देशों पर गाजियाबाद अग्निशमन विभाग ने शैक्षिक संस्थानों, औद्योगिक इकाइयों, व्यावसायिक परिसरों और आवासीय सोसायटियों में अग्नि सुरक्षा उपायों की जांच की। मुख्य अग्निशामक अधिकारी राहुल पाल ने बताया कि इस ऑडिट का मकसद सुरक्षा मानकों की स्थिति का मूल्यांकन करना और सुधार हेतु दिशा-निर्देश देना था।

ऑडिट के दौरान शहर की 40 इमारतों में पाया गया कि अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा था। विशेषकर हाई-राइज सोसाइटीज़ में अग्निशामक उपकरणों की कमी, आपातकालीन निकास मार्गों की अनुपलब्धता और सुरक्षा कर्मियों की अपर्याप्त ट्रेनिंग जैसी गंभीर खामियां सामने आईं। ये सारी कमियां भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं।

अग्नि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाली इमारतों के खिलाफ विभाग ने कठोर कदम उठाते हुए सभी 40 इमारतों को नोटिस जारी किए हैं। इनमें से 35 इमारतों ने बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद सुधार नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, अग्निशमन एवं आपात सेवा अधिनियम 2022 की धारा 29(6) के तहत इनके खिलाफ सीजेएम कोर्ट में मामला दर्ज किया गया है।

मुख्य अग्निशामक अधिकारी राहुल पाल ने स्पष्ट किया कि विभाग का उद्देश्य केवल दंडात्मक कार्रवाई करना नहीं है, बल्कि भवन प्रबंधन को जागरूक करना और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है। जब चेतावनी के बावजूद सुधार नहीं होता, तो कानूनी रास्ता अपनाना आवश्यक हो जाता है, ताकि यह दूसरों के लिए एक मिसाल बने।

गाजियाबाद में तेजी से बढ़ती हाई-राइज सोसाइटियाँ अग्नि सुरक्षा को और जटिल बना रही हैं। इनमें हजारों लोग निवास करते हैं और आपात स्थिति में भारी जानमाल का नुकसान हो सकता है। ऑडिट में सामने आया कि कई इमारतों में अग्निशामक उपकरण पुराने या अनुपयोगी हैं, निकास मार्ग अवरुद्ध हैं, और निवासियों को आग से निपटने की कोई बुनियादी ट्रेनिंग नहीं है।

कुछ सोसाइटी प्रबंधन सुरक्षा मानकों की अनदेखी लागत बचाने के लिए करते हैं, जो गंभीर लापरवाही है और निवासियों की जान के लिए खतरा बन सकती है।

फायर ऑडिट के साथ-साथ अग्निशमन विभाग ने जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए। इस दौरान मॉल, मल्टीप्लेक्स और आवासीय परिसरों में कुल 527 लोगों को अग्नि सुरक्षा की जानकारी दी गई। उन्हें अग्निशामक उपकरणों के उपयोग, आपात स्थिति में सही निकासी के तरीकों और तत्काल प्रतिक्रिया के तरीकों पर प्रशिक्षित किया गया।

राहुल पाल ने कहा कि केवल उपकरण लगाने से काम नहीं चलेगा; लोगों को उनका उपयोग करना और आग लगने पर सही जानकारी से प्रतिक्रिया देना भी जरूरी है। नियमित ड्रिल और अभ्यास के माध्यम से ही तैयारियों को प्रभावी बनाया जा सकता है।

गाजियाबाद में अग्नि सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं: नियमित फायर सेफ्टी ऑडिट: सभी व्यावसायिक और आवासीय इमारतों का सालाना ऑडिट अनिवार्य किया जाए। कठोर दंड: फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन करने वालों पर तुरंत और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। जागरूकता अभियान: स्कूल, कॉलेज और रिहायशी इलाकों में नियमित फायर सेफ्टी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। तकनीकी सशक्तिकरण: अग्निशमन विभाग को ड्रोन, स्मार्ट सेंसर्स और अन्य आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाए। सोसायटी की भागीदारी: हर हाई-राइज सोसाइटी में फायर सेफ्टी कमिटी का गठन किया जाए, जो उपकरणों की समय-समय पर जांच और अभ्यास सत्रों का आयोजन करे।

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