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गाजियाबाद में केशव प्रसाद मौर्य का सपा पर कड़ा वार, पीडीए को कहा ‘फर्जी संस्था’

विशेष संवाददाता

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य  ने आज गाजियाबाद के घंटाघर रामलीला मैदान में आयोजित महर्षि कश्यप जयंती समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने समाजवादी पार्टी और उसके पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) गठबंधन पर तीखा हमला बोला।

उपमुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी को “खत्म हो चुकी पार्टी” बताकर इसकी पीडीए को फर्जी करार दिया। उन्होंने कहा, “यह एक एजेंसी है, जिसके चेयरमैन अखिलेश यादव हैं, डायरेक्टर डिंपल यादव हैं, और अन्य शेयरहोल्डर-गोपल यादव, शिवपाल यादव, जो अपराधी, माफिया और गुंडे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद हर जगह तिरंगा फहराया जा रहा है और अब वहाँ हर त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि पहले ये त्योहार नहीं मनाए जाते थे, लेकिन अब कश्मीर भी महर्षि कश्यप जयंती को धूमधाम से मनाने जा रहा है, क्योंकि यही महर्षि कश्यप की जन्मस्थली है।

मौर्य ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने का उल्लेख करते हुए इसे केंद्र सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताया।

गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक संजीत शर्मा ने उपमुख्यमंत्री के बयानों का समर्थन करते हुए कहा, “केशव प्रसाद मौर्य जी ने जो कहा, वह बिलकुल सही है। हम भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में इस संदेश को जनता तक पहुंचाएंगे।”

लोनी से भाजपा विधायक के हालिया बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में संजीत शर्मा ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत मामला है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस पर निर्णय लेगा, और हम सभी उस आदेश का पालन करेंगे।

उप मुख्यमंत्री से मिलने की जिद पर महिला पार्षद को किया गया नजरबंद, खून से लिखा गया शिकायती पत्र

नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाला गाजियाबाद एक बार फिर विवादों में आया है। इस बार मामला एक महिला पार्षद से जुड़ा है, जिन्होंने प्रशासनिक भेदभाव और उपेक्षा से नाराज होकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अपने खून से एक शिकायत पत्र लिखा।

यह मामला शुक्रवार को होने वाले महर्षि कश्यप जयंती महाकुंभ कार्यक्रम से संबंधित है, जो घंटाघर रामलीला मैदान में आयोजित किया जाना था। पार्षद रुकसाना सैफी नगर निगम में हो रहे कथित भ्रष्टाचार और अधिकारियों के भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ अपनी शिकायत सीधे उप मुख्यमंत्री तक पहुंचाना चाहती थीं।

पार्षद रुकसाना सैफी का कहना है कि जैसे ही प्रशासन को उनके इरादों का पता चला, अधिकारियों ने उन्हें नजरबंद कर दिया ताकि वह कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर अपनी बात उप मुख्यमंत्री के सामने न रख सकें। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक स्तर पर कई बार शिकायतें करने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हुई, जिससे उन्हें खून से पत्र लिखने का कदम उठाना पड़ा।

पार्षद ने यह भी आरोप लगाया कि नगर निगम में कुछ अधिकारी जानबूझकर उनके वार्ड की अनदेखी कर रहे हैं और विकास कार्यों में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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