विशेष संवाददाता
पटना। बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर हर साल की तरह चूड़ा-दही भोज इस बार भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मौज़ू बना हुआ हैं. आरजेडी, एलजेपी (R) और कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दल और नेता अपने-अपने पार्टी कार्यालयों और आवासों पर इस पारंपरिक भोज का आयोजन कर रहे हैं. इसमें सबसे अहम आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के 10, सर्कुलर रोड आवास पर होने वाला चूड़ा दही का कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है. राबड़ी आवास पर लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसके साथ ही चिराग पासवान के घर पर हुए भोज की भी खूब चर्चा हो रही है.
चिराग पासवान के निमंत्र पर CM नीतीश कुमार दही-चूड़ा भोज में पहुंचे. जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार ने भोज में आने का वक्त 12 बजे का दिया था लेकिन वे सुबह दस बजे ही पहुंच गए थे. ऐसे में प्रदेश कार्यालय में चिराग पासवान मौजूद नहीं थे.
चिराग पासवान के बदले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष मौजूद रहे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब 10 मिनट तक चिराग पासवान के कार्यालय में रुके, उसके बाद वहां से निकल आए.
लालू ने चुनिंदा नेताओं को दिया न्योता
जानकारी के मुताबिक, लालू यादव अपने आवास पर पार्टी के कुछ चुनिंदा नेताओं को ही आमंत्रित किया है. कुछ साल पहले तक लालू का घर चूड़ा दही भोज के लिए पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और आम लोगों के लिए भी खुला रहता था, लेकिन अब हालात बदले हुए हैं और इसीलिए पिछले साल की तरह इस साल भी पार्टी के कुछ चुनिंदा नेताओं के लिए ही चूड़ा दही भोज का आयोजन किया गया है.
सूबे में कई जगह चूड़ा-दही भोज
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के पार्टी दफ्तर में भी चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिरकत करेंगे. चिराग पासवान के आवास पर चूड़ा दही भोज में पूरा एनडीए साथ नजर आएगा, क्योंकि इसमें बीजेपी के साथ-साथ जनता दल यूनाइटेड और घटक दलों के बड़े नेता सब शामिल होंगे.
चिराग के आवास पर आयोजित होने वाला चूड़ा दही का भोज एनडीए का शक्ति प्रदर्शन और एकजुटता दिखाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. मंगलवार को बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल भी पार्टी दफ्तर पर आयोजन कर रहे हैं, जिसमें एनडीए के सभी नेताओं को आमंत्रण भेजा गया है.
कांग्रेस भी अपने पार्टी दफ्तर सदाकत आश्रम पर महागठबंधन के नेताओं के लिए चूड़ा दही भोज का आयोजन कर रही है. बिहार की राजनीति में चूड़ा-दही भोज केवल एक पारंपरिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह गठबंधन की ताकत दिखाने और सियासी समीकरण साधने का अहम जरिया भी बन गया है.