
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है. यह तो हम सब ने बचपन से ही सुना है. लेकिन मंदिर के अंदर स्कूल का होना पहली बार दिल्ली के लाल किले के पीछे आपको देखने के लिए मिलेगा. क्योंकि यह स्कूल कोई साधारण स्कूल नहीं है, बल्कि इस स्कूल का नाम है थान सिंह की पाठशाला है. इसमें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे निशुल्क शिक्षा लेते हैं. थान सिंह दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं.
उनसे जब लोकल 18 ने बात की तो उन्होंने बताया कि साल 2015 में उन्होंने लाल किले के आसपास गरीब बच्चों को कूड़ा उठाते, झाड़ू लगाते और भीख मांगते हुए देखा था. यह देखने को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा. क्योंकि उनका खुद का बचपन भी पिता के साथ सड़कों पर ठेला लगाने और कपड़ों को प्रेस करने में बीता था. इसीलिए उन बच्चों में इन्हें अपनी छवि नजर आई और उन्होंने उनके माता-पिता को खोज कर कहा कि इन बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भेजें.
थान सिंह ने पेरेंट्स को किया इंस्पायर
थान सिंह के माता-पिता ने आर्थिक कमजोरी का हवाला देकर मना कर दिया. फिर थान सिंह ने इन सभी बच्चों को इकट्ठा करके मंदिर के अंदर ही अस्थाई रूप से स्कूल बनाया और उसके अंदर इन बच्चों को सातों दिन पढ़ाना शुरू कर दिया. पांच बच्चों से शुरू हुई पाठशाला का सफर आज 200 बच्चों तक पहुंच गया है. थान सिंह ने बताया कि बिना शिक्षा ये बच्चे अधूरे हैं. पढ़ लिख लेंगे तो आत्मनिर्भर बन सकेंगे. अपने माता-पिता का जीवन भी ये बच्चे संवार सकेंगे.
सोनू सूद और प्रियंका चोपड़ा कर चुके हैं तारीफ
थान सिंह ने बताया कि वह राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले हैं. उनकी पढ़ाई लिखाई दिल्ली से हुई है. साल 2010 में जब दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे तब ही कुछ अलग करने की सोच रखी थी. आज वह दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं और दिल्ली पुलिस को भी उनके इस काम पर काफी गर्व महसूस होता है. उन्होंने बताया कि उनके इस काम की तारीफ की वजह से ही सोनू सूद और प्रियंका चोपड़ा ने भी सोशल मीडिया पर उनके काम को सराहा है. इसके अलावा जर्मनी से एक दल आया था उनकी इस पाठशाला को देखने के लिए उसने भी खुश होकर पांच लाख रुपए का सामान दिया है जिसमें कंप्यूटर, टीवी और लैपटॉप शामिल हैं.
बच्चे कहते हैं पुलिस वाले अंकल
हमने जब बच्चों से बात की तो यहां पर पढ़ने वाले 6 साल के बच्चे कर्मचंद ने कहा कि इससे पहले वह कहीं नहीं पढ़ने जाते थे. पढ़ाई का महत्व अब समझ में आया है और थान सिंह को वह पुलिस वाले अंकल कहते हैं. जबकि छात्रा अनुराधा ने बताया कि हाल ही में उनके घर टूट गए थे. तब पुलिस वाले अंकल थान सिंह ने ही उन लोगों के लिए कमरे की व्यवस्था की. खाना-पीना से लेकर कपड़े तक उपलब्ध करवाए थे. वहीं सूरज, काजल, संजना और रागिनी से जब बात की गई तो इन बच्चों ने कहा कि बड़े होकर थान सिंह की तरह ही पुलिस वाला बनना चाहते हैं.