
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । भारत सहित दुनिया के कई देशों में बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे जुल्म के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं. भारत के विदेश सचिव भी बांग्लादेश पहुंचकर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं. वीएचएपी और आरएसएस जैसे कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने पहले से ही मोर्चा खोल दिया है. वहीं, राजनीतिक दलों में बीजेपी को छोड़कर किसी भी दल ने अभी तक खुलकर युनूस सरकार का विरोध नहीं किया है. लेकिन, इंडिया गठबंधन में शामिल उस पार्टी और नेता ने मोर्चा खोल दिया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह प्रो-मुस्लिम पार्टी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी ने बांग्लादेश को लेकर पिछले दिनों बड़ा बयान दिया था. ममता बनर्जी ने साफ कर दिया था कि बांग्लादेश हद में रहे. ममता के इस बयान के बाद राजनीतिक पंडित ममता की ‘लॉलीपॉप पॉलिटिक्स’ पर बात करने लगे हैं. क्या ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी हिंदुओं के बहाने यूपी-बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा और दिल्ली को साधने की कवायद शुरू कर दी है?
आपको बता दें कि अभी तक ममता बनर्जी की पॉलिटिक्स मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. खासकर बीते दो टर्म से ममता बनर्जी मुस्लिम वोट बैंक पर अपना शिकंजा मजबूत करने के लिए हर वह काम कर रही थीं, जिससे मुस्लिम वोट बैंक उनके हाथ से न खिसक पाए. ऐसे में बांग्लादेशी अल्पसंख्यक हिंदुओं के पक्ष में बोलकर ममता ने बंगाली मुस्लिमों को नाराज कर दिया है? क्या ममता के बांग्लादेश पर दिए बयान के बाद बंगाली हिंदू का टीएमसी की तरफ झुकाव होगा? क्या मुस्लिम वोट बैंक ममता के खिलाफ जा सकता है.
ममता क्या ताकतवर होंगी?
ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की निंदा करते हुए कहा था कि यह अस्वीकार्य है. सोशल मीडिया पर वायरल एक अन्य वीडियो में बांग्लादेशी सेना के पूर्व सैनिकों को यह कहते सुना जा सकता है कि बांग्लादेश कुछ ही दिनों में पश्चिम बंगाल पर कब्जा कर सकता है. ममता बनर्जी ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि ‘आप बंगाल, बिहार और ओडिशा पर कब्जा कर लेंगे और हम लॉलीपॉप खाते रहेंगे? ऐसा सोचना भी मत! किसी में हमारी जमीन लेने की हिम्मत नहीं है, इस बारे में सोचना भी मत! शांत और स्वस्थ रहें तथा मानसिक शांति रखें.’
बांग्लादेश मुद्दे के बाद ममता लीड करेंगी इंडिया गठबंधन?
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही वहां की अंतरिम सरकार के नेताओं की जुबान भारत के खिलाफ आग उगल रही है. इसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल पैदा हो गया है. बांग्लादेश की बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने भड़काऊ बयान देते हुए तो सारी हदें पार कर ली. रिजवी ने बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा पर दावा ठोक दिया.
क्या कहते राजनीतिक विश्लेषक
बांग्लादेश की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘इसमें कोई दो राय नहीं है कि बांग्लादेश और भारत का संबंध सबसे से बुरे दौर से गुजर रहा है. बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का व्यवहार भारत के प्रति ठीक नहीं है. यूनुस का व्यवहार ऐसा है जैसे पार्टिशन से पहले मुस्लिम लीग के नेताओं का था. लेकिन, बांग्लादेश के तमाम नेताओं को ये नहीं भूलना चाहिए पश्चिम पाकिस्तान के लीडरशीप ने पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों का दमन किया था. वैसे मौके पर भारत साथ खड़ा रहा. इंदिरा गंधी के दृढ़ फैसले ने बांग्लादेश का नाम दुनिया के मानचित्र पर आया.’
पांडेय कहते हैं, शेख हसीना की गलतियां रहीं होंगी, जिससे उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा, लेकिन आम भारतीय का बांग्लादेश के प्रति अभी भी व्यवहार ठीक है. हालांकि, वहां हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार जो हो रहा ठीक नहीं है. जबकि, पिछसले 40 साल में भारत ने बांग्लेदाश के साथ कई सैक्रिफाइज्ड किया चाहे वह सीमा विवाद हो या गंगा नदी या तीस्ता जल विवाद का ही मामला क्यों न हो. भारत ने हमेशा बांग्लादेश का साथ दिया. जहां तक ममता का इंडिया गठबंधन में कद की बात है तो वह मझे नहीं लगता है कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस का वर्चस्व खत्म होने वाला है.क्योंकि, मामता की क्रेडिबिलिटी डाउन है. बीजेपी के साथ वह सरकार में भी रही हैं. इसके अलावा ममता की राजनीति सिर्फ बंगाल तक ही सीमित है. जबकि, कांग्रेस अभी भी देश के तीन राज्यों कर्नाटक, हिमाचल और तेलांगना में सत्ता में है. लालू यादव, अखिलेश यादव या शरद पवार तय नहीं कर सकते कि इंडिया गठबंधन कौन लीड करेगा? कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव में 12 से 13 करोड़ लोगों ने वोट किया है.’