विशेष संवाददाता
नोएडा। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता गौरव टिकैत ने ज़ीरो पॉइंट पर पहुंचकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारें तानाशाही रवैया अपना रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों से किए गए वादे पूरे करने की बजाय सरकार उन्हें लाठीचार्ज और गिरफ्तारियों के जरिए दबाने का प्रयास कर रही है। गौरव टिकैत ने स्पष्ट किया कि किसान इन दबावों से डरने वाले नहीं हैं और उनका आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार की उदासीनता और आंदोलन की वजह
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव से पहले किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। समिति में राजस्व परिषद के अध्यक्ष, मेरठ मंडल के कमिश्नर, और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी शामिल थे। हालांकि, इस समिति ने किसानों की मुख्य माँगों को खारिज कर दिया। इससे आक्रोशित होकर किसानों ने एक बार फिर आंदोलन शुरू किया।
पुलिस कार्रवाई और किसान पंचायत
सोमवार को किसानों ने संसद कूच का ऐलान किया था, लेकिन नोएडा में पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद, मंगलवार को नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल से बड़ी संख्या में किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस कार्रवाई के विरोध में BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ग्रेटर नोएडा में पंचायत का ऐलान किया था।
बातचीत की बजाय लाठीचार्ज और जेल
बुधवार को राकेश टिकैत जब अलीगढ़ के टप्पल से पंचायत में शामिल होने के लिए रवाना हुए, तो उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया। टिकैत की गिरफ्तारी पर गौरव टिकैत ने कहा,यह पूरी तरह तानाशाही है। किसानों को अपनी समस्याएँ उठाने का संवैधानिक अधिकार है। सरकार बातचीत की बजाय लाठीचार्ज और जेल के जरिए समस्या का समाधान खोज रही है, जो कभी संभव नहीं होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा करेगा बड़ा फैसला
गौरव टिकैत ने आगे कहा कि नोएडा किसान आंदोलन पर संयुक्त किसान मोर्चा निर्णय लेगा और BKU उसका समर्थन करेगा। उन्होंने साफ किया कि किसान किसी भी हाल में अपने अधिकारों की लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे।
सरकार के लिए चेतावनी
किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और तेज होगा। सरकार और किसानों के बीच तनावपूर्ण माहौल ने ग्रेटर नोएडा और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को भी प्रभावित किया है। ग्रेटर नोएडा में किसानों का यह आंदोलन उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाती है।
बड़ी संख्या में किसान नेता घरों में नजरबंद, पुलिस तैनात
मंगलवार देर रात से पुलिस नोएडा-ग्रेटर नोएडा में कई किसान नेताओं के घर पर जमी हुई है। इसी तरह सपा, कांग्रेस, सीटू और आम आदमी पार्टी के नेताओं के घर पर भी पुलिस मौजूद है। पुलिस ने सभी को नजरबंद किया हुआ है। ग्रेटर नोएडा के लखनावली गांव में पुलिस ने युवा नेता प्रिंस शर्मा को मंगलवार रात से नजरबंद किया हुआ है। पुलिस किसान नेताओं को घर से निकलने नहीं दे रही है। किसान नेता प्रिंस शर्मा का कहना है कि सरकार पुलिस को आगे करके उनकी आवाज को दबाना चाहती है। लेकिन वह पीछे नहीं हटेंगे।
जेल में बंद किसानों पर भी पुलिस की पैनी नजर, खाने-पीने का रखा जा रहा ख्याल
नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल से मंगलवार को किसान नेता सुखबीर खलीफा समेत 123 किसानों को गिरफ्तार किया गया था। सभी किसानों को शांतिभंग की धारा में लुक्सर जेल भेजा गया है। बुधवार को किसानों ने जेल का ही नाश्ता किया। इसके बाद दोपहर के समय जेल में कैदियों को दिए जाने वाला भोजन किया। सूत्रों के मुताबिक सभी 123 किसानों को अलग-अलग सेल में डाला गया है। जिससे की किसान एकजुट होकर जेल में कोई रणनीति न बना सके। सूत्रों से पता चला है कि जेल में बंद किसान भी रणनीति बना रहे हैं। पुलिस सभी किसानों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। वहीं, जेल में बंद किसानों को लेकर भूख हड़ताल किए जाने अफवाह उड़ाई गई थी। इस पर लुक्सल जेल के जेलर का कहना है कि इस तरह की कोई बात नहीं है। किसानों को भी कैदियों वाला नाश्ता और भोजन कराया गया है। किसानों पर नजर रखी जा रही है। शांतिभंग में जेल भेजे गए कई किसानों को बुधवार को बेल मिल सकती है। उनके वकीलों ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि शाम तक जेल में कई किसानों का परवाना पहुंच जाएगा, जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। एक किसान नेता का कहना है कि जेल भेजे गए सभी किसानों को जल्द से जल्द रिहा कराया जाएगा। वकीलों की एक टीम को इस काम में लगाया गया है। कुछ किसा बुधवार देर शाम तक जेल से रिहा हो सकते हैं।
मुख्य मुद्दे और किसानों की मांगें
पिछले तीन वर्षों से गौतमबुद्ध नगर के तीन प्रमुख विकास प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों की मुख्य मांगे निम्नलिखित हैं:
अधिग्रहित जमीन के बदले किसानों को ज़मीन वापस दी जाए।
मुआवजे में 64.7% अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाए।
भूमि अधिग्रहण 2013 कानून के तहत लाभ दिए जाएं।
भूमिहीन किसानों को आवासीय भूखंड और बेरोजगार युवाओं को कंपनियों में नौकरी दी जाए।
स्थानीय स्कूलों और अस्पतालों में किसानों के परिवारों को प्राथमिकता दी जाए।