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मूवी रिव्यू: जहानकिल्ला- सपनों को साकार करने का मैसेज देती है यह फिल्म

विशेष संवाददाता

अक्सर फिल्म मेकर बॉक्स ऑफिस पर मुनाफा कमाने की चाह में अपनी फिल्म में बेवजह की कॉमेडी, मारधाड़, बोल्ड सीन और डबल मीनिंग संवादों को फिट करते है, लेकिन इस फिल्म के मेकर, डायरेक्टर साधुवाद के पात्र है कि उन्होंने फिल्म की कहानी को पूरी ईमानदारी के साथ सिल्वर स्क्रीन पर पेश किया, शायद यही वजह है कि इंडियन क्रिकेट के बेताज बादशाह कपिल देव ने इस फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद फिल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग में पूरी फिल्म देखी और फिल्म की जमकर तारीफ की और फिल्म की टाइटल में भी अपना संदेश दिया। करीब 130 मिनिट की इस फिल्म को आज सिनेमाघरों में रिलीज किया गया लेकिन मेकर्स की और से फिल्म को प्रमोट क्यों नहीं किया गया , यह समझ से परे है मेरी सोच है अगर फिल्म को रिलीज से दस पंद्रह दिन पहले कुछ प्रमुख सिटीज में स्टार्स के साथ प्रमोट किया गया होता तो फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छा रिस्पॉन्स मिलता।

फिल्म की कहानी, एक खुशहाल और प्रगति विकास की और लगातार बढ़ते पंजाब की पॉजिटिव तस्वीर पेश करती है, ना कि उड़ता पंजाब जैसी कुछ फिल्मों में पंजाब की युवा पीढ़ी को ड्रग्स की दलदल में फंसता दिखाती है, यही वजह है पंजाब के सीएम भगवत मान ने भी इस फिल्म को पंजाब की युवा पीढ़ी के विकास की और अग्रसर करती फिल्म बताया है।

स्टोरी प्लॉट

फिल्म की शुरुआत फ्लैशबैक से होती है अपनी फ्रेंड के साथ कार में जा रहा युवा राइटर अपनी लिखी नई किताब जहानकिल्ला अपने बेहद खास दोस्त को भेंट करने जा रहा है । यही से अतीत की यादों का सफर शुरू होता है फिल्म एक ऐसे सिक्ख युवक शिंदा की कहानी है जो अपने गांव में पढ़ाई पूरी करने के बाद दोस्तों के मौज मस्ती करने में मस्त है शिंदा (जोबनप्रीत सिंह) अपने दोस्त गर्वीला (जश्न कोहली) और… संजू (जीत सिंह पंवार) के आसपास घूमती है – जो पुलिस फोर्स में सिलेक्ट होने के बाद पुलिस प्रशिक्षण केंद्र जहानकिल्ला एकेडमी
में आते हैं और यहां इन तीनों के बीच गहरा रिश्ता बन जाता हैं।
यहां सेवा सिंह (प्रकाश गढू) के अंडर ट्रेनिंग करते हुए तीनो अपने परिवारों को ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सरकारी सर्विस ज्वाइन होने के बाद खुशहाल देखने का सपना देखते हैं।

ट्रेनिंग के दौरान के बाद एक दिन शिंदा एकेडमी के चीफ के भतीजे की पिटाई करने की वजह से मुसीबत में पड़ जाता है। इसके बाद जब एकेडमी के चीफ और उसके भतीजे द्वारा हर दिन प्रताड़ित किया जाता है ऐसे में वह अपने दोस्तों की मदद से आईपीएस बनने का बड़ा फैसला करके अपने सपने को साकार करने में लग जाता है ।

ओवर ऑल:

डायरेक्टर विकी कदम ने पुलिस एकेडमी के माहौल को खूबसूरती और पूरी ईमानदारी के साथ पेश किया है , शिंदा की प्रेमिका सिमरन के किरदार में गुरबानी गिल को फुटेज कम मिली है लेकिन अपने किरदार में उन्होंने जान डाली है। फिल्म के लीड किरदार जोबनप्रीत सिंह ही इस फिल्म के लेखक भी हैं, उन्होंने अपने किरदार को जीवंत किया है । जीत सिंह पंवार संजू के रोल में फिट है और घबरीला की भूमिका में जश्न कोहली का जवाब नहीं । फिल्म के गाने कहानी पर फिट है। युवा निर्देशक विक्की कदम ने साफ सुथरी एक मैसेज देती स्टोरी को पूरी ईमानदारी के साथ पर्दे पर उतारा है।

बेशक फिल्म में कुछ खामियां भी है, फिल्म अचानक खत्म हो जाती है ऐसा लगता है कि मेकर फिल्म का पार्ट 2 बनाने की प्लानिंग में है, अगर आप साफ सुथरी और एक अच्छा संदेश देने वाली फिल्मों के फैन है तो इस फिल्म को मिस न करे।

कलाकार: जोबनप्रीत सिंह , गुरबानी गिल, जश्न कोहली, जीत सिंह पंवार, डायरेक्टर: विकी कदम, सेंसर: यू ए, अवधि: 130 मिनिट,

रेटिंग : 3 एंड हॉफ

 

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