विशेष संवाददाता
गाजियाबाद । आज गाजियाबाद में पिश्चमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं की बैठक है। तमाम जिलों से अधिवक्ता गाजियाबाद पहुंच रहे हैं। बार एसोसिएशन सभागार में यह बैठक होनी है। बैठक में 22 जिलों के बार अध्यक्ष और सचिव शामिल होंगे और आंदोलन की रणनीति पर विचार करेंगे। बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के अधिवक्ता गाजियाबाद के वकीलों के समर्थन में आज हड़ताल पर हैं। दूसरी ओर गाजियाबाद कचहरी में चल रहा धरना शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी है।
क्या है पूरा मामला
29 अक्टूबर को गाजियाबाद जिला जज अनिल कुमार की कोर्ट में वकीलों के साथ हुई तीखी नोंकझोक के बाद पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज कर दिया गया था। कोर्ट रूम में लाठीचार्ज के बाद गाजियाबाद समेत पूरे प्रदेश और यहां तक की दिल्ली के अधिवक्ता भी आक्रोशित हो गए। मामले को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी गंभीरता से लिया था। इस घटना के विरोध में वकील चार नवंबर से हड़ताल पर चले गए। गाजियाबाद के अधिवक्ताओं के समर्थन में पहले दिन पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं ने काम का बहिष्कार कर विरोध दिवस मनाया। विरोध दिवस में इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बैंच और दिल्ली के जिला बार एसोसिएशन भी काम से विरत रहे। गाजियाबाद के वकील उसी दिन से हड़ताल कर धरने पर बैठे हैं।
22 नवंबर से बड़े आंदोलन की चेतावनी
हाईकोर्ट बैंच केंद्रीय संघर्ष समिति, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आह्वान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में जिला और तहसील बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ता शुक्रवार को हड़ताल पर हैं। वकील कोर्ट रूम में लाठीचार्ज के मामले में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को संघर्ष समिति के चेयरमैन एडवोकेट रोहिताश्व अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में वकीलों ने लाठी चार्ज की कड़े शब्दों में निंदा करने के साथ ही 22 नवंबर से बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
मेरठ में संघर्ष समिति ने ये प्रस्ताव पास किए
मेरठ में हुई संघर्ष समिति की बैठक में 22 जिलों में जिले और तहसील स्तर पर शुक्रवार को हड़ताल, लाठीचार्ज की न्यायिक जांच की मांग, हाईकोर्ट में अवमानना याचिका, 21 नवंबर तक जिला जज के खिलाफ कार्रवाई न होने पर 22 से बड़े आंदोलन की तैयारी, अधिवक्ताओं पर दर्ज मुकदमें वापस हों, घायल अधिवक्ताओं को दो- दो लाख रुपये की सहायता, गाजियाबाद बार एसोसिएशन संघर्ष समिति के बहिषकार का निर्णय वापस ले।