विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। 31 अक्टूबर या फिर एक नवंबर, कब मनाएं दिवाली… इसको लेकर एक बार फिर से पेंच फंसता दिखाई दे रहा है. ये सवाल पहले भी उठ रहे थे, लेकिन काशी विद्वत परिषद ने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कही थी. लेकिन अब सांग्वेद विद्यालय स्थित गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा और वैदिक सिद्धांत संरक्षिणी सभा ने देश भर के पंचागों का अध्ययन कर एक नवंबर को दिवाली मनाने को कहा है.
पं विशेश्वर शास्त्री ने बताया कि हृषिकेश पंचांग के अनुसार, 31 अक्तूबर को दिवाली मनाई जाएगी. वहीं, गणेश आपा पंचांग, म.म.श्रीमद् बापूदेवशास्त्रीप्रवर्तित द़क्सिद्ध पंचाग के अनुसार, एक नवंबर को दिनमान 27 घटी 40 पल हैं. अमावस्या 30 घटी 25 पल हैं. पंचांग के दिनमान और तिथिमान के अनुसार, एक नवंबर को लक्ष्मीपूजन होगा. श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांग के अनुसार, एक नवंबर को दिनमान 27 घटी 23 पल हैं. उस दिन अमावस्या 29 घटी 32 पल हैं. इसके अनुसार लक्ष्मीपूजन एक नवंबर को होगा.
दिवाली कब मनाएं? बोले पंडित गनेश्वर शास्त्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव में प्रस्तावक रहे और अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले विद्वान गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने काशी विद्वत परिषद से 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है. गनेश्वर शास्त्री ने कहा कि पांच प्रमुख पंचागों में से तीन ने एक नवंबर को दिवाली मनाने की बात कही है. एक नवंबर को उदया तिथि में प्रदोष और सूर्यास्त के बाद अमावस्या भी मिल रही है. इसके साथ ही स्वाति नक्षत्र और प्रतिपदा मिल रही, जो कि महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम है.
क्या कहा था काशी विद्वत परिषद?
काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा था कि काशी विद्वत परिषद में दिवाली मनाने की तिथि पर चर्चा हुई. पंचांग के हिसाब से विद्वानों ने निर्णय लिया कि 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जाए. वहीं, उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास के मुताबिक, इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना सर्वश्रेष्ठ है. 31 को अमावस्या है, इसीलिए इसी दिन दिवाली मनाना चाहिए. हालांकि, संयोग तो 1 नवंबर के दिन भी है, लेकिन इस दिन अमावस्या तिथि शाम 5 बजे तक ही है, ऐसे में दिवाली 31 को मनाना चाहिए.