विशेष संवाददाता
कनाडा । कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की पोल खुद ही खोल दी है। ट्रूडो ने माना है कि कनाडा के पास भारत सरकार के निज्जर की हत्या में शामिल होने के कोई स्पष्ट सबूत नहीं हैं। भारत ने इस कबूलनामे पर कहा है कि कनाडा और भारत के रिश्ते खराब करने के जिम्मेदार अकेले ट्रूडो ही होंगे।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बुधवार (16 अक्टूबर, 2024) को कनाडा में विदेशी दखल की जाँच करने वाली कमिटी के सामने पेश हुए थे। यहाँ उन्होंने कनाडा में हो रही जासूसी और दखल को लेकर अपना बयान दर्ज करवाया। उन्होंने इस दौरान भारत के कनाडा के भीतर दखल का पुराना राग छेड़ा।
अपने बयान में ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया। उन्होंने कमिटी को बताया कि कनाडा ने भारत को इस संबंध में जानकारी दी थी। लेकिन जब सबूतों की बात आई तो ट्रूडो ने खुद स्वीकारा कि उन्होंने भारत को कोई मजबूत सबूत नहीं उपलब्ध करवाए हैं।
ट्रूडो ने क्या कहा?
ट्रूडो ने बताया, “हमारे पास मौक़ा था कि हम यह जानकारी (निज्जर की हत्या) को G-20 से पहले सार्वजनिक कर देते, इससे भारत काफी मुश्किल परिस्थिति में पड़ता। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हम परदे के पीछे से भारत से इस मुद्दे को सहयोग करने को कहते रहे। भारत ने हमसे पूछा कि आप आखिर क्या जानते हैं, हमें वो सबूत दीजिए जो आपके पास है। हमने (कनाडा) ने कहा कि यह आपकी (भारत) की एजेंसी हैं, आपको इसमें जाँच करनी चाहिए। लेकिन उन्होंने हमसे कहा कि आप सबूत दिखाइए।”
ट्रूडो ने आगे कहा, “उस समय यह केवल ख़ुफ़िया जानकारी ही थी और हमारे पास कोई पक्का सबूत नहीं था। ऐसे में हमने कहा कि आपकी सुरक्षा एजेंसियों की जाँच करें और सच सामने लाएँ। उन्होंने (भारत) ने कहा कि नहीं हमें सबूत दिखाइए। मैंने पीएम मोदी से इस बारे में G20 के बाद बात की। उन्होंने कहा कि कनाडा में लोग भारत के खिलाफ काम कर रहे है और हम उनके खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं। हालाँकि, हमने उन्हें बोलने की आजादी का हवाला दिया।”
भारत ने दिया जवाब
कैमरे के सामने ट्रूडो ने अपनी ही पोल खोल दी है। इससे भारत की स्थिति और मजबूत हो गई है। भारत लगातार कहता आया है कि कनाडा ने उसे निज्जर की हत्या के संबंध में कोई भी सबूत नहीं दिया है। यही बात ट्रूडो ने खुद ही दोहरा दी। ट्रूडो के इस कबूलनामे के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और कनाडा के रिश्ते खराब करने के जिम्मेदार ट्रूडो ही हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, “आज हमने जो सुना है, उससे वही बात पुष्ट होती है जो हम लगातार पहले से कहते आ रहे हैं। कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के विरुद्ध लगाए गए गंभीर आरोपों के लिए में हमें कोई भी सबूत नहीं दिया है। इस लापरवाह रवैये के कारण भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुँचा है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की है।”
गौरतलब है कि भारत ट्रूडो के आरोपों पर सबूतों की माँग करता आया है। भारत ने लगातार यह कहा है कि कनाडा ने उसे रत्ती भर भी सबूत नहीं उपलब्ध करवाए हैं। वहीं कनाडा पहले दिन से एक ही जैसे आरोप दोहरा रहा है। उसका एक ही राग है कि भारत ने कनाडा में निज्जर को मरवाया और इसमें भारतीय अधिकारी शामिल थे। कनाडा की सरकार और पुलिस ने आज तक कोई भी सबूत इस संबंध में सामने नहीं रखे हैं। वह इस मामले में सिर्फ जानकारी को लेकर बात कर रहे हैं।
अपने ही देश में फंसे ट्रूडो
जस्टिन ट्रूडो भारत पर आरोप लगाते-लगाते अपने ही देश में घिर गए हैं। कनाडा के नेता प्रतिपक्ष पिएरे पोलिवर ने ट्रूडो पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रूडो ने इसी कमिटी के सामने कुछ सांसदों के चीन से मिले होने की बात कही थी। अब पियरे पोलिवर ने जस्टिन ट्रूडो को उन सांसदों के नाम सार्वजनिक करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा आरोप लगाया है कि जस्टिन ट्रूडो अपनी कुर्सी बचाने को लेकर ऐसे आरोप लगाए हैं और वह नाम कभी सार्वजनिक नहीं करेंगे।
दूसरी तरफ ट्रूडो की पार्टी के भीतर से भी असंतोष बढ़ रहा है। उनकी लिबरल पार्टी के ही कुछ सांसद उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी से उतारने के लिए काम कर रहे हैं। कई सांसदों ने ट्रूडो सरकार की नाकामियों के चलते जस्टिन ट्रूडो से प्रधानमंत्री पद छोड़ने को कहा है। कई सांसद मुखर होकर यह बात उठा रहे हैं। कनाडाई मीडिया बता रहा है कि लिबरल पार्टी के सांसद एक साथ आकर ट्रूडो पर दबाव बना रहे है कि वह आगामी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ दें। उन पर यह दबाव हालिया टोरंटो उपचुनाव में हार के बाद और बढ़ा है।
CBC की एक रिपोर्ट बताती है कि सांसद सीन केसी ने जस्टिन ट्रूडो से खुले तौर पर पद छोड़ने को कहा है। इसके अलावा बाकी सांसद संख्याबल जुटा रहे हैं ताकि वह ट्रूडो को किनारे लगा सकें। ट्रूडो के विरोधी सांसद तब तक इस पूरी प्रक्रिया को चुपचाप कर रहे हैं। कई सांसदों से एक ऐसे कागज पर दस्तखत करने को कहा जा रहा है जिसमें ट्रूडो को हटाने की बात कही गई है। ट्रूडो को हटाने की यह कोशिश अकारण ही नहीं हो रही है। कनाडा में 2025 में आम चुनाव होने हैं।
चुनाव से पहले जस्टिन ट्रूडो की जनता में लोकप्रियता रसातल को चली गई है। जनता की पसंद-नापसंद बताने वाली अप्रूवल रेटिंग में भारी गिरावट हुई है। सितम्बर, 2024 में ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग मात्र 30% थी। यानी 100 में से 70 लोग ट्रूडो को पसंद नहीं करते। जब ट्रूडो प्रधानमंत्री बने थे, तब उनको पसंद करने वालों का आँकड़ा 60% के पार था। युवा वर्ग और पुरुषों में तो ट्रूडो की रेटिंग 25% पर पहुँच गई है। उनकी लोकप्रियता घटने का सबसे बड़ा कारण कनाडा में बढती महंगाई और बेरोजगारी है।