विशेष संवाददाता
शिमला । कैसी विडंबना है! एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सेहत और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए देश भर में हर घर शौचालय अभियान चला रहे हैं। देश की माताएं और बहनें इसे इज्जतघर बताती हैं। दूसरी तरफ विपक्षी कांग्रेस इस अभियान को वाट लगाने पर लगी हुई है। कांग्रेस सरकार के कारण हिमाचल प्रदेश के लोगों को अब एक बार फिर से लोटा लेकर खेत में जाना होगा, नहीं तो उन्हें खटाखट टैक्स देना होगा।
रअसल में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार अब टॉयलेट टैक्स लगाने जा रही है। हिमाचल के लोगों को अब पखाना जाने के लिए भी टैक्स देना होगा। सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार ने लोगों पर टॉयलेट सीट के हिसाब से टैक्स लगाने का फैसला किया है। अब राज्य के लोगों को प्रति टॉयलेट सीट के लिए हर महीने 25 रुपये शुल्क का भुगतान करना होगा।
जल शक्ति विभाग ने अधिसूचना जारी कर सभी मंडलों को सीवरेज का प्रति सीट के हिसाब से शुल्क वसूलने को कहा है। अधिसूचना में कहा गया है कि अब पानी के बिल के साथ सीवरेज बिल भी लिया जाए। सीवरेज का बिल पानी के बिल का 30 प्रतिशत आएगा। इसके अनुसार, अब शहरी इलाकों में लोगों के घरों में बनी प्रति टॉयलेट सीट पर 25 रुपये का शुल्क चुकाना होगा।
इसके साथ ही कांग्रेसी सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फ्री पेयजल योजना को बंद कर दिया है। अब शहरी के साथ ग्रामीण इलाकों में भी मीटर के हिसाब से बिल लिया जाएगा। इससे पहले राज्य में पानी के बिल नहीं आते थे। अब सुक्खू सरकार ने हर महीने प्रति कनेक्शन 100 रुपये पानी का बिल जारी करने को कहा है।
कांग्रेस सरकार का कहना है कि इससे राजस्व में वृद्धि होगी। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इतने चुनावी वायदे किए कि राज्य की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खटाखट-खटाखट वायदे के कारण हिमाचल सरकार कर्मचारियों को वेतन और पेंशन तक समय पर दे नहीं पा रही है।
ऐसे में आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए लोगों पर टॉयलेट टैक्स लगाने को लेकर कांग्रेस सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। लोग सोशल मीडिया पर कांग्रेस सरकार पर तंज कस रहे हैं।