जसविंदर सिद्धू
नई दिल्ली, 17 सितंबर, 2024 । पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को भारत में अपने जासूस स्थापित करने के लिए कामयाबी से इस्तेमाल कर रही है.
पिछले पांच साल के दौरान यह खतरनाक पैट्रन सामने आया है. जवान लड़कियों के फेक सोशल मीडिया एकाउंट, हनी ट्रेप, अशलील चैट और वीडियो को आईएसआई भारत में अपने जासूसों की भर्ती के लिए एक मजबूत हथियार के रुप में इस्तेमाल कर रही है.
सबसे परेशान कर देने वाला पहलू यह है कि भारत में ऐसे तैयार किए गए एजेंटों की गिरफ्तारियां तब हुई जब वे खुफिया दस्तावेज खुद को लड़कियों के रुप में सोशल मीडिया पर पेश करने वाले आईएसआई हैंडलर्स को पहले ही सौंप चुके थे.
2007 की बात है. निशांत अग्रवाल एक दिन अपने सौशल मीडिया एकाउंट को खंगाल रहा था. 29 साल का निशांत उस समय नागपुर में वर्धा स्थित ब्राहमोस ऐरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड में बतौर जूनियर साइंटिस्ट काम कर रहा था. एकाएक उसे फेसबुक पर फ्रैंडशिप गुजारिश आई. फोटो में गजब की बला खुबसूरत लगने वाली उस युवती का नाम था पूजा रंजन.
निशांत ने तुरंत ही रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली और उसके बाद आपस में चैट और फोटूओं का आदान-प्रदान होने लगा. कुछ ही दिन बाद निशांत को निशा शर्मा नामक एकांउट से भी रिक्वेस्ट आई. इस बार भी मोडस ओपरेंडी पूजा रंजन जैसी थी.
इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के अनुसार निशांत पूजा और निशा की कामूकता में ऐसा डूबा कि कुछ ही महीनों में उसने ब्राहमोस मिसाइल से जुड़ी टेक्नोलॉजी के दस्तावेज पूजा और नेहा को मुहैया करवा दिए. जांच में पता लगा कि यह दोनों ही एकाउंट इसलामाबाद स्थित आईएसआई के हेडक्वार्टर से ऑपरेट हो रहे थे.
जांच के अनुसार लिंकडिन पर भी निशांत सेजल नाम के एकाउंट से संपर्क में था. सेजल ने निशांत को चैट ऐप डाउनलोड करने के लिए लिंक भेजा. इसके बाद निशांत से लेपटॉप से सारा डाटा चुरा लिया गया.
80 मिसाइल प्रोग्राम से जुड़े निशांत ने कोर्ट में दलील दी कि उसने बेहतर नौकरी पाने के लिए सिर्फ अपना बायोडाटा इस कथित एकाउंट के साथ शेयर किया था.
2018 में यूपी के एंटी-टेरोरिजम सेल के हाथों गिरफ्तार हुए निशांत को नागपुर की एक अदालत ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट के तहत ताउम्र की सजा सुना चुकी है. अब निशांत ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर रखी है.
मामले के बारे में जानकारी रखने वाले एक इटेलिजेंस ऑफिसर ने इस लेखक का बताया कि, “यह पूरा बाकया ही परेशान कर देने वाला है. हाल ही के सालों में जितनी भी गिरफ्तारियां हुईं हैं, उनमें से कुछ आरोपी देश की सबसे संवेदनशील सुरक्षा संस्थाओं में काम कर रहे थे और आईएसआई ने उन्हें बेहद आसानी से अपने जाल में फंसा लिया. ये सभी देश में बेहतरीन दिमाग के मालिक हैं लेकिन ये छोटे दिमाग वाले बच्चों की तरह गलती कर गए.”
डॉक्टर प्रदीप कुरुल्कर देश के सबसे काबिल रक्षा वैज्ञानिकों में गिने जाते हैं. उनके खिलाफ कोर्ट में देश को धोखा देने और खुफिया रक्षा जानकारियां पाकिस्तान को देने का मुकदमा चल रहा है.
60 साल के कुरुल्कर डॉयरेक्टर ऑफ रिसर्च एड डेवेलपमेंट के साइंटिस्ट थे. डीआरडीओ की यह संस्था मिसाइल के अलावा अन्य सैन्य उपकरणों पर शौध का काम करती है. कुरुल्कर को पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के एंटी-टेरोरिजम स्क्वाड ने गिरफ्तार किया था.
कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार कुरुल्कर डीआरडीओ के रिसर्च एंड डेवेलपमेंट डिवीजन से जुड़ी अति खुफीया जानकारियां वाट्सऐप पर जारा सेनगुफ्ता नामक महिला को भेजी. भारतीय नबंर पर चल रहा यह एकाउंट फेक था और एकाउंट आईएसआई ने प्लांट किया था.
जांचकर्ताओं का दावा है कि कुरुल्कर ने जारा को ब्राहमोस, अग्नि-6, आकाश मिसाइल, अस्त्रा मिसाइल, ड्रोन प्रोजेक्ट, क्यूपटोर प्रोजेक्ट और अऩ्य कई मिसाइलों के बारे में जानकारी मुहैया करवाई. कुरुल्कर के खिलाफ सिक्रेट एक्ट, 1923 के सेक्शन 3 (1) के तहत मुकदमा चल रहा है.
आईएसआई सिर्फ वैज्ञानिकों की ही अपने चाल में फंसा पाने में कामयाब हो रही है बल्कि उसने आम आदमी को भी अपने लिए काम कराने के भी कई नए तरीके खोज निकाले हैं.
राजस्थान के जैसलमेर में 22 साल के मोटरसाईकिल मैकेनिक नरेंदर कुमार इस तथ्य का दस्तावेज है. बीकानेर जिले के आनंदगढ़ खाजूवाला में रहने वाले नरेंदर को स्थानीय गुप्तचर पुलिस ने अक्तूबर 2023 में गिरफ्तार किया.
गिरफ्तारी के बाद नरेंदर ने बताया कि उसे फेसबुक पर पूनम बाजवा और सुनीता नाम की लड़कियों से फ्रैंडशिप रिक्वेस्ट मिली थी जिसे उसने तुरंत ही स्वीकार कर लिया. करीब दो साल तक इन दोनों एकाउंट से सेक्स चैट और अश्लील वीडियो मिलने के बाद नरेंदर ने बिकानेर से जड़े अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के आसपास तैनाती व अन्य जानकारी आईएसआई की ओर से प्लांट की गई पूनम और सुनीता के सौंप दी.
नरेंदर के फोन की जांच करने पर पता लगा कि उसने पूनम और सुनीता को कई वीडियो और फोटोग्राफ भेजे थे. नरेंदर के खिलाफ भी सिक्रेट एक्ट, 1923 के सेक्शन 3 (1) के तहत मुकदमा चल रहा है.
नरेंदर की गिरफ्तारी के दो महीने पहले आंध्र प्रदेश पुलिस ने सीआईएसएफ के कांस्टेबल कपिल कुमार से उसके तीन फोन जब्त किए थे. कपिल विशाखापत्तनम स्टील प्लांट में तैनात था.
जांच में पता लगा कि कपिल सोशल मीडिया पर तमिशा नामक किसी लड़की के संपर्क में था. पुलिस का दावा है कि कपिल ने प्लांट की सुरक्षा और आपरेशन के बारे में जानकारी तमिशा को दी. जांचकर्ताओं का मानना है कि तमिशा आईएसआई की एजेंट है. कपिल पर भी ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट तहत मामला अदालत में लंबित है.
(लेखक एक इंडिपेडेंट इन्वेसटिगेटिव जर्नलिस्ट हैं.)