विशेष संवाददाता
गाजियाबाद । महिला संगठन पैराडाइज क्लब की पहल पर राजनगर स्थित आर्यसमाज मंदिर में एडीसीपी (क्राइम) सच्चिदानंद ने लोगों से आह्वान किया है कि अब जब आपका पूरा डेटा मोबाइल में आ गया है, तो साइबर क्राइम से बचने के लिए आपको ज्यादा चौकन्ना रहने की जरूरत है। इसलिए साइबर क्राइम के बारे में जाने और सुरक्षित रहे। एडीसीपी ने कहा कि एक बात कभी न भूलें, बीमारी के बारे में जितनी जल्दी संभव होकर डॉक्टर से परामर्श लेना बेहतर होता है, ठीक उसी प्रकार कोई भी अपराध होने पर पुलिस को सूचित करना भी जरूरी है। एसीपी (साइबर क्राइम) श्वेता यादव और साइबर थाना प्रभारी संतोष तिवारी ने भी लोगों को आजकल चल रहे साइबर क्राइम और उससे बचाव के बारे में बताते हुए अवेयर रहने की सलाह दी।
फेडेक्स कोरियर / डिजिटल अरेस्ट
साइबर अपराधियों द्वारा पीड़ित के पास FedEx Courier के नाम से फोन कॉल की जाती है कि आपके नाम से Courier बुक कराया गया है, जिसमें US Dollar, Drugs, Mobile Sim, Fake Passport आदि मिले हैं,जिसकी शिकायत नारकोटिक्स सेल को कर दी गयी है। FedEx Courier वाला नारकोटिक्स सेल वालों को कॉल ट्रांसफर करने का दिखावा करता है। नारकोटिक्स सेल वाला Skype app पर वीडियो कॉल से जुड़ने के लिये कहकर पीड़ित को वीडियो कॉल पर ले लेते हैं और उसे Fake पुलिस अधिकारी ID , Arrest Warrant शेयर करते हैं। साइबर अपराधी Skype Video Call पर पीड़ित को बैकग्राउण्ड में पुलिस थाने का सेटअप दिखाकर डराते हैं, उसके अकाउंट की डिटेल लेकर अपने खातों में पैसे ट्रॉसफर करा लेते हैं। चूँकि इस अपराध के दौरान साइबर अपराधी पीड़ित को डराकर उसे किसी से संपर्क नहीं करने तथा घर से बाहर नहीं निकलने देते इसलिये इसे मीडिया द्वारा डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।
फेडेक्स कोरियर/ डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से कैसें बचें
ऐसे फेडेक्स कोरियर / डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से बचने के लिये कोरियर संबंधित किसी भी अनजान कॉल पर रेस्पॉन्ड न करें, स्काइप वीडियो कॉल से न जुड़ें, किसी को भी बैंक के एकाउंट डिटेल कतई न दें। इस तरह की कॉल आने पर पुलिस से तत्काल शिकायत करें।
पुलिस थ्रेट फ्रॉड
साइबर अपराधी पुलिस वाला बनकर पीड़ित को कॉल कर कहते हैं कि आपका बेटा रेप केस में या बेटी ड्रग्स के केस में फंस गई है। Artificial Intelligence का प्रयोग कर सोशल मीडिया से उसकी आवाज की कॉपी कर उस बच्चे की रोते हुए एवं बचाने की आवाज सुनवाकर पीड़ित को पूरी तरह झांसे में ले लेते हैं। पीड़ित से साइबर अपराधी कहता है कि अगर तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दो तो वो उसे छोड़ देंगे। पीड़ित भयवश पैसे ट्रांसफर कर देता है। पीड़ित को बाद में अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड का पता चलता है।
पुलिस थ्रेट फ्रॉड से कैसें बचें
ऐसे पुलिस थ्रेट फ्रॉड से बचने के लिये इस तरह की कॉल आने पर सबसे पहले अपने बच्चे से स्वयं संपर्क करें। इस तरह की कॉल आने पर पुलिस से तत्काल शिकायत करें।
फोन हैक / कस्टमर केयर फ्रॉड
पीड़ित जब गूगल पर किसी कम्पनी/बैंक आदि के कस्टमर केयर का नम्बर सर्च कर कम्पनी/बैंक की अधिकृत बेवसाइट से नंबर न लेकर अन्य जगह से नंबर ले लेता है जो कि साइबर अपराधियों का नंबर होता है। पीड़ित इन नम्बरों पर कॉल करता है तो साइबर अपराधी उसकी समस्या हल करने के लिए कंपनी का कस्टमर केयर एप के नाम पर Remote Access App की APK फाइल/ऐप डाउनलोड कराकर मोबाइल का एक्सेस ले लेते हैं। पीड़ित के मोबाइल को हैक कर उसका कन्ट्रोल लेकर उसके मोबाइल बैंकिग का उपयोग कर पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं।
कभी भी लिंक से एप डाउनलोड न करें
ऐसे फोन हैक / कस्टमर केयर फ्रॉड से बचने के लिये कस्टमर केयर का नंबर सदैव अधिकृत बेवसाइट से ही लें। किसी भी अनधिकृत लिंक के माध्यम से कोई भी ऐप डाउनलोड न करें। कोई भी एप यदि डाउनलोड करना है तो सिर्फ प्ले स्टोर से करें। यदि लिंक से कोई ऐप मोबाइल में डाउनलोड हो जाये तो मोबाइल का इंटरनेट तत्काल बंद कर दें और तत्काल पुलिस से शिकायत करें।
साइबर क्राइम होने पर क्या करें
वित्तीय साइबर फ्रॉड होने पर 1930 पर कॉल करें
सभी प्रकार की साइबर अपराध की घटना पर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) की वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
अपने थाने की साइबर सेल से सम्पर्क करें।