विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। जिले में ड्राइविंग लाइसेंस (DL) बनवाना चार गुना से अधिक महंगा होने वाला है। अभी तक डीएल बनवाने के लिए लोगों को 1350 रुपये का भुगतान करना पड़ता था। अब नए सिस्टम के तहत अब पब्लिक को डीएल बनवाने के लिए 6000 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। वहीं, कमर्शल वाहन चालाकों सेडीएल के लिए 10000 रुपये लिया जाएगा। लोगों की जेब पर यह भार आने वाले एक महीने के बाद पड़ने की संभावना जताई जा रही है। नोएडा की तरह की गाजियाबाद में भी प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोला जा रहा है। खास बात यह है कि दिल्ली में डीएल बनवाने के लिए 400 रुपये का खर्च आता है।
आरटीओ के अधिकारियों का कहना है कि यह नियम सरकार की तरफ से तैयार किया गया है। रोड हादसों को कम करने के लिए पहले लोगों को वाहन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद उनका लाइसेंस जारी किया जाएगा। ड्राइविंग ट्रेनिंग दिए जाने के दौरान आने वाले खर्च को इसमें जोड़ दिया गया है। इसकी वजह से लाइसेंस बनवाने की फीस काफी अधिक हो गई है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों में लोगों की ड्राइविंग टेस्ट लेकर लाइसेंस जारी किया जाता है। किसी को जबरन ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। केवल उत्तर प्रदेश में लोगों को जबरन ट्रेनिंग दी जा रही है। इससे साइट पर ही प्राइवेट सेक्टर के हाथों में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर दे दिया गया है, जिससे वह ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर मनमानी वसूली कर सके।
लोगों ने बताया कि पंजाब में लर्निंग से लेकर परमानेंट लाइसेंस बनवाने में 700 रुपये का खर्च आता है। इसमें लर्निंग के दौरान टेस्ट की 50 रुपये फीस ली जाती है। वहीं, परमानेंट के दौरान टेस्ट के लिए 200 रुपये फीस है। बाकी लाइसेंस बनवाने की फीस इसमें शामिल है।
‘और बढ़ेगा भ्रष्टाचार’
आरटीओ के डीएल के लिए दलाल एक लाइसेंस बनवाने के लिए 3500 से 6000 रुपये वसूलते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा तो होगा नहीं कि ट्रेनिंग सेंटर के खुल जाने के बाद दलाल खत्म हो जाएंगे। वहां पर भी यह सिस्टम शिफ्ट हो जाएगा। लोगों को टेस्ट पास करके लाइसेंस बनवाने के लिए अधिक दलाली देनी पड़ेगी। इससे और भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
सरकार नहीं खोल सकेगी ड्राइविंग टेस्ट सेंटर
सरकार अभी तक प्रदेश के अधिकांश जिलों में ड्राइविंग टेस्ट सेंटर तक नहीं खोल सकी, जिससे लोग ड्राइविंग टेस्ट लेकर लाइसेंस हासिल कर सके। यदि यहां पर सख्ती कर दिया जाए कि बिना टेस्ट पास किए हुए किसी को लाइसेंस जारी न किया जाए। तो इससे लोगों के जेब पर भार भी नहीं पड़ेगा और जबरन ट्रेनिंग दिए जाने का झंझट भी नहीं रहेगा।