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‘1 घंटे में इस्तीफा दो, नहीं तो परिणाम भुगतो’: मुख्य न्यायाधीश को धमकी, बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट सहित हाई कोर्ट को मुस्लिम भीड़ ने घेरा

विशेष संवाददाता

ढाका । बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्ता पलटने के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों के वेश में कट्टरपंथियों ने अब सर्वोच्च न्यायालय को निशाना बनाया है। प्रदर्शनकारी शनिवार (10 अगस्त 2024) की सुबह सुप्रीम कोर्ट को घेर लिए और मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों से इस्तीफे की माँग की। कहा जा रहा है कि मुख्य न्यायाधीश सहित सभी जज कोर्ट से भाग गए हैं।

दरअसल, शेख हसीना के इस्तीफा देकर भारत चले जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। मुख्य न्यायाधीश ने अंतरिम सरकार से परामर्श किए बिना ही न्यायालय के सभी जजों की एक बैठक बुला ली थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ न्यायालय परिसर पहुँचकर उसे घेर लिया।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि न्यायालय के न्यायाधीश एक साजिश रच रहे थे, जिसके कारण लोगों में आक्रोश फैल गया और उनसे जवाबदेही की माँग की गई। तनाव बढ़ने पर न्यायालय की बैठक रद्द कर दी गई। हालाँकि, प्रदर्शनकारी रूके नहीं सुप्रीम कोर्ट को घेरना जारी रखा। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को पद छोड़ने के लिए एक घंटे का अल्टीमेटम दिया है।

इस बैठक से पहले कार्यवाहक सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद ने मुख्य न्यायाधीश को ‘फासीवाद का मित्र’ बताते हुए उनके इस्तीफे की माँग की थी। इसके साथ ही उन्होंने पूर्ण न्यायालय की बैठक को रद्द करने का अल्टीमेटम भी जारी किया था। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पूर्ण न्यायालय की बैठक में आम तौर पर न्यायपालिका की प्रशासनिक गतिविधियों सहित विभिन्न एजेंडों पर चर्चा होती है।

दरअसल, मुख्य न्यायाधीश ने 10:30 बजे पूर्ण कोर्ट की बैठक बुलाई थी, ताकि मौजूदा परिस्थितियों में न्यायालय कैसे काम कर सकता है, इस पर एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा सके। प्रदर्शनकारियों ने इसे न्यायिक तख्ता पलट बता दिया। अंतरिम सरकार में युवा एवं खेल मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद ने फेसबुक पर पोस्ट करके मुख्य न्यायाधीश को तत्काल इस्तीफे की चेतावनी दी।

आसिफ महमूद ने कहा, “फासीवाद से पोषित और विभिन्न कुकृत्यों में शामिल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सरकार से कोई चर्चा किए बिना पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई है। पराजित ताकतों द्वारा कोई भी साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। छात्र और वकील पहले ही विरोध में इकट्ठा होना शुरू कर चुके हैं।” प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाई कोर्ट को भी घेर लिया है।

छात्र आंदोलन के एक अन्य समन्वयक हसनत अब्दुल्ला ने शनिवार की सुबह फेसबुक लाइव पर आकर कहा, “छात्रों और नागरिकों के विद्रोह की रक्षा और न्यायपालिका के तख्तापलट को रोकने के लिए उच्च न्यायालय को घेर लें।” इस आह्वान के बाद हजारों की संख्या में पहुँचे छात्र प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया।

इसके बाद में फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा, “हमने पहले ही मुख्य न्यायाधीश के इस्तीफे की माँग की थी। अगर वे छात्रों के खिलाफ रुख अपनाते हैं और उन्हें भड़काते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।” उनके तत्काल और बिना शर्त इस्तीफे की माँग करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “हसीना को सत्ता से हटाने वाली जनता आपको कुर्सी से उतारने में आधा घंटा भी नहीं लगाएगी।”

इतना ही नहीं, मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक आवास पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया और वहाँ रखे सारे सामान को अपने साथ ले गए। हालाँकि, उन्होंने इस भवन में आग नहीं लगाई। हमले के दौरान किसी ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश नहीं की। 5 अगस्त को बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद से ही वहाँ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है। सभी भाग गए हैं।

पुलिस की गैर मौजूदगी में कोई भी व्यक्ति बिना रोक-टोक मुख्य द्वार से अंदर आ-जा सकता है। शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को राजधानी के हरे रोड स्थित मुख्य न्यायाधीश के आवास के मुख्य द्वार पर कोई सुरक्षा गार्ड ड्यूटी पर नहीं दिखा। अंदर घर का सामान बिखरा पड़ा था। घटना के बाद से उस मकान में कहीं कोई नहीं दिख रहा है और ना ही कोई सुरक्षाकर्मी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 अगस्त की दोपहर को अचानक हुए हमले के कुछ देर पहले ही मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन घर से निकल गए थे। उस दिन मुख्य न्यायाधीश के आवास के सामने जज कॉम्प्लेक्स आवासीय इमारत पर भी हमला हुआ था और भीड़ न्यायाधीशों को गालियाँ दे रही थीं। उनमें से कुछ लोग बाड़ फाँदकर अंदर घुस गए थे और इमारत पर हमला कर तोड़फोड़ की थी।

बता दें कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार की अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण बांग्लादेश (ICT-B) में पूर्व मुख्य अभियोजक बैरिस्टर तूरीन अफरोज पर भी हमला किया गया है। तूरीन ने साल 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए कई रजाकरों के खिलाफ मुकदमों की पैरवी की थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी भीड़ ने उनके घर को घेर लिया और उन पर हमला किया। हमलावरों ने उन्हें पकड़कर जबरन उनके बाल काट दिए और उनके पैरों को घायल कर दिया। सोशल मीडिया पर इस घटना की कई परेशान करने वाली तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसे पीड़िता की बताई जा रही हैं। हालाँकि, ऑपइंडिया इन तस्वीरों की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सका।

तूरीन अफ़रोज़ ने 6 अगस्त 2024 को इंडिपेंडेंट टेलीविज़न से कहा, “उन्होंने (हमलवारों ने) पूछा- ‘तुमने हिजाब क्यों नहीं पहना है? तुम्हारी माँ देश छोड़कर चली गई है। तुम क्यों नहीं गईं?’ उन्होंने लगातार मेरे पैरों पर पेंसिल से वार किया। मैं मधुमेह से पीड़ित हूँ। मेरी 16 वर्षीय बेटी मेरे साथ थी। मैं बहुत डरी हुई थी। अगर उन्होंने उसके साथ बलात्कार किया होता तो एक माँ के तौर पर मैं क्या करती?”

 

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