विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। केंद्र सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के तहत आंख दान करने के नाम पर लोग आंख दिखा रहे हैं। रिपोर्ट में पता चला है कि उत्तर प्रदेश में पंजीकृत 75 नेत्रबैंकों के सापेक्ष केवल 11 नेत्रबैंकों ने शासन को दान में मिले कार्निया के प्रत्यारोपण की रिपोर्ट शासन को भेजी है। 64 नेत्रबैंकों ने कोई रिपोर्ट नहीं भेजी है।
11 की रिपोर्ट के अनुसार भी बहुत कम लोग आंख दान करने को आगे आ रहे हैं। गाजियाबाद में तो कोई नेत्रबैंक ही नहीं है। ऐसे में यदि कोई आंख दान करना भी चाहे तो दिल्ली के नेत्रबैंकों का पता ढ़ूंढना पडता है। रिपोर्ट के अनुसार एक साल में उत्तर प्रदेश में 1500 के लक्ष्य के सापेक्ष 1406 कार्निया दान में मिले और 1066 का सफल प्रत्यारोपण करते हुए लोगों की जिंदगी में उजाला हुआ है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में 1500 कार्निया कलेक्शन का लक्ष्य रखा गया
- अब तक 1406 कार्निया दान में मिले और 1066 का सफल प्रत्यारोपण किया गया
- अकेले गाजियाबाद में प्रतिमाह सड़क हादसों में डेढ़ सौ से अधिक लोगों की मौत होती है।
- यदि लोग जागरूक होकर आंख दान करने को आगे आएं तो अनेक लोगों को रोशनी मिल सकती है।
जनता में नेत्रदान की जागरूकता की कमी एवं सामाजिक रूढ़ियों के कारण लक्ष्य के सापेक्ष अपेक्षित उपलब्धियां प्राप्त नहीं हो पा रही हैं। हादसों में होने वाली मौतों के तुरंत बाद नेत्रदान के प्रयास शून्य हैं। नेत्रदान शपथपत्र भरवाने का काम भी सुस्त है। इस संबंध में सोसायटी के लोगों में जानकारी पहुंचाना बहुत जरूरी है। जिले में नेत्रबैंक स्थापित किया जाना चाहिए। लोग नोएडा, मेरठ और दिल्ली में संपर्क करते हैं। महीने-दो महीने में उनके पास एक-दो लोग आंख दान करने के लिए जानकारी करने आते हैं। -डॉ. नरेन्द्र कुमार, नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं नोडल राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान