संवाददाता
नई दिल्ली। देश आज 25वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लद्दाख के द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कारगिल को लेकर राजनीति करने वालों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘कारगिल की विजय किसी सरकार या दल की विजय नहीं थी। ये विजय देश की थी, ये विजय देश की विरासत है। ये देश के गर्व और स्वाभिमान का पर्व है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आज लद्दाख की ये महान धरती कारगिल विजय के 25 वर्ष पूरे होने की साक्षी बन रही है। कारगिल विजय दिवस हमें बताता है कि राष्ट्रीय के लिए दिए गए बलिदान अमर होते हैं। दिन, महीने, वर्ष, सदियां गुजरती हैं, मौसम भी बदलते हैं लेकिन राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वालों के नाम अमिट रहते हैं। ये देश हमारी सेना के पराक्रमी महानायकों का सदा सर्वदा ऋणी है।’
उन्होंने कहा कि ‘मेरा सौभाग्य है कि कारगिल युद्ध के समय मैं एक सामान्य देशवासी के रूप में अपने सैनिकों के बीच था। आज जब मैं फिर कारगिल की धरती पर हूं, तो स्वाभाविक है कि वो स्मृतियां मेरे मन में ताजा हो गई हैं। मुझे याद है कि किस तरह हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर, इतने कठिन युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था। मैं देश को विजय दिलाने वाले ऐसे सभी शूरवीरों को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।’
कारगिल से आतंक के आकाओं को सीधा संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि ‘कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था, हमने ‘सत्य, संयम और सामर्थ्य’ का अद्भुत परिचय दिया था। आप जानते हैं, भारत उस समय शांति के लिए प्रयास कर रहा था, बदले में पाकिस्तान ने फिर एक बार अपना अविश्वासी चेहरा दिखाया। लेकिन सत्य के सामने असत्य और आतंक की हार हुई। पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किए, उसे मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है। वो आतंकवाद के सहारे, प्रॉक्सी वॉर के सहारे अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। लेकिन आज मैं उस जगह से बोल रहा हूं, जहां आतंक के आकाओं को सीधे सुनाई पड़ रही है। मैं आतंकवाद के इन सरपरस्तों को कहना चाहता हूं कि उनके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे।’
कारगिल में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘अग्निपथ योजना के जरिए देश ने इस महत्वपूर्ण सपने को एड्रेस किया है। अग्निपथ का लक्ष्य सेनाओं को युवा बनाना और सेनाओं को युद्ध के लिए निरंतर योग्य बनाए रखना है। दुर्भाग्य से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील विषय को कुछ लोगों ने राजनीति का विषय बना दिया है। कुछ लोग सेना के इस रिफॉर्म पर भी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए झूठ की राजनीति कर रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने सेनाओं में हजारों-करोड़ के घोटाले करके हमारी सेनाओं को कमजोर किया। ये वही लोग हैं, जो चाहते थे कि एयरफोर्स को कभी आधुनिक फाइटर जेट न मिल पाएं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने तेजस फाइटर प्लेन को भी डिब्बे में बंद करने की तैयारी कर ली थी।’
उन्होंने कहा कि ‘सच्चाई ये है कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और देश का सामर्थ्यवान युवा भी मातृभूमि की सेवा के लिए आगे आएगा। प्राइवेट सेक्टर और पैरा मिलिट्री फोर्सेस में भी अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणाएं की गई हैं। मैं हैरान हूं कि कुछ लोगों की समझ को क्या हुआ है, उनकी सोच को क्या हो चुका है। ऐसा भ्रम फैला रहे हैं कि सरकार पेंशन के पैसे बचाने के लिए ये योजना लेकर आई है। मुझे ऐसे लोगों की सोच से शर्म आती है लेकिन मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि आज मोदी सरकार के शासनकाल में जो भर्ती होगा क्या उसे आज ही पेंशन देनी होगी? उसे पेंशन देने की नौबत 30 साल में आएगी और तब तो मोदी 105 साल का हो चुका होगा, क्या तर्क दे रहे हैं? मेरे लिए ‘दल’ नहीं ‘देश’ सर्वोपरि है। हम राजनीति के लिए नहीं राष्ट्रनीति के लिए काम करते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘हम राजनीति के लिए नहीं, राष्ट्रनीति के लिए काम करते हैं। हमारे लिए राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है। हमारे लिए 140 करोड़ लोगों की शांति सबसे पहले है। जो लोग देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। उनका इतिहास साक्षी है कि उन्हें सैनिकों की कोई परवाह नहीं है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने 500 करोड़ की मामूली रकम दिखाकर OROP पर झूठ बोला। ये हमारी सरकार है, जिसने आरोप लागू किया। पूर्व सैनिकों को 1.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए गए।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘कुछ ही दिन बाद 5 अगस्त को आर्टिकल 370 का अंत हुए 5 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर आज नए भविष्य की बात कर रहा है, बड़े सपनों की बात कर रहा है। जम्मू-कश्मीर की पहचान जी-20 जैसी ग्लोबल समिट की अहम बैठक करने के लिए हो रही है। आज लद्दाख में भी विकास की नई धारा बनी है। शिनखुन ला टनल के निर्माण का काम आज शुरू हुआ है। इसके जरिए लद्दाख पूरे साल, हर मौसम में देश से कनेक्टेड रहेगा। ये टनल लद्दाख के विकास और बेहतर भविष्य के लिए नई संभावनाओं का नया रास्ता खोलेगी। बीते 5 वर्षों में हमने लद्दाख के बजट के 1,100 करोड़ से बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये कर दिया है। ये पैसा आज लद्दाख के लोगों के विकास में और यहां सुविधाएं बढ़ाने में काम आ रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में टूरिज्म सेक्टर भी तेजी से ग्रो कर रहा है।’
उन्होंने कहा कि ‘बीते 10 वर्षों में हमने डिफेंस रिफॉर्म को रक्षा क्षेत्र की पहली प्राथमिकता बनाया है। इन रिफॉर्म के कारण, आज हमारी सेनाएं ज्यादा सक्षम हुई हैं, आत्मनिर्भर हो रही हैं। कभी भारत की गिनती हथियार मंगाने वाले देश के रूप में थी। अब भारत एक्सपोर्टर के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है। मुझे खुशी है कि हमारी सेनाओं ने 5 हजार से ज्यादा हथियारों और सैन्य उपकरणों की लिस्ट बनाकर ये तय किया है कि ये 5 हजार आइटम्स अब बाहर से नहीं मंगवाएं जाएंगे।’