latest-newsदिल्लीदेश

प्रेस एसोसिएशन की नई टीम क्या पीआईबी पत्रकारों काे लंबित समस्याओ से दिला पाएगी मुक्ति ?

पीआईबी पत्रकारों में क्यों कम हो रही है प्रेस एसोसिएशन का सदस्य बनने और मतदान करने की रूचि

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । पीआईबी मान्यता प्राप्त पत्रकारों की 58 साल पुरानी संस्था ” प्रेस एसोसिएशन ” के द्विवार्षिक चुनाव में इस बार एक बड़ा उलट फेर हुआ है। 13 जुलाई को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में संपन्न हुए प्रेस एसोसिएशन के चुनाव संपन्न में नई टीम जीत हासिल करने वालों में कुछ पुराने चेहरों की जीत हुई तो कुछ नए चेहरे टीम में शामिल हुए। इस चुनाव में हालॉकि अध्यक्ष सी.के.नायक गुट के ही ज्यादातर लोग विजयी हुए हैं लेकिन मैनेजिंग कमेटी में दो नए उम्मीदवारों की जीत से नायर गुट को बड़ा झटका लगा है।

अध्यक्ष पद पर सी.के.नायक के खिलाफ किसी ने नामांकन ही दाखिल नहीं किया था इसलिए इसलिए वह निर्विरोध जीत हासिल कर दोबारा इस पद पर आसीन हो गये। चुनाव में उनके पैंनल को विरोधी उम्मीदवारों से कड़ा मुकाबला हुआ। हालाँकि नायक के पैनल के खिलाफ विरोधी उम्मीदवारों के पैनल का कोरम भी पूरा नहीं हुआ।
मुख्य चुनाव अधिकारी अशोक टुटेजा व चुनाव अधिकारी देवसागर सिंह के अनुसार प्रेस एसोसिएशन की दस सदस्यीय कार्यकारिणी के चुनाव के लिए शनिवार 13 जुलाई को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में सुबह 11 बजे से सांय पांच बजे तक मतदान हुआ। हालांकि मतदान के लिए पत्रकारों में रुझान कम देखा गया, जिसके कारण करीब 238 मत डाले गये। इसके एक घंटे बाद मतगणना कराई गई। मतगणना के बाद उपाध्यक्ष पद पर सागर कुलकर्णी ने 168 मत लेकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी वीरेन्द्र प्रसाद सैनी(44) को पराजित कर जीत दर्ज की। जबकि महासचिव पद पर आशु सक्सेना के 94 मतों के मुकाबले लक्ष्मीदेवी ऐरे ने सर्वाधिक 129 मत लेकर कब्जा किया। संयुक्त सचिव पद के लिए श्रीकांत भाटिया के 94 मतों के मुकाबले ज्ञानेश्वर दयान ने 141 वोट हासिल करके जीत हासिल की। जबकि कोषाध्यक्ष पद विनोद कुमार सिंह ‘तकियावाला’ के 85 मतों के मुकाबले 137 मत लेकर जेपी वर्मा ने एक बार फिर जीत दर्ज की है। उपाध्यक्ष पद सागर कुलकर्णी व महासचिव लक्ष्मीदेवी ऐरे दाेनाें ही समाचार एजेंसी पीटीआई से हैं।

जोगेन्द्र सोलंकी तथा के.पी. मलिक

कार्याकरिणी समिति सदस्यों में विजयी उम्मीदवार

एसोसिएशन के पांच कार्यकारिणी समिति सदस्यों के लिए आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिनमें नायक पैनल के तीन उम्मीदवार विजयी रहे, जिनमें अरविंद कुमार सिंह (169), चमनलाल गौतम (138), शाहिद अब्बास (138) विजेताओं में शामिल रहे। इसके अलावा जोगेन्द्र सोलंकी(148) तथा के.पी. मलिक(126) वरीयता के आधार पर कार्यकारिणी सदस्य के रुप में निर्वाचित हुए हैं। इसके अलावा इस पद के लिए असीम मनचंदा(116), गोपाल प्रसाद वर्मा(101) तथा श्रीनाथ मेहरा ने (78) भी चुनाव मैदान में थे।

नई टीम में मैनेजिंग कमेटी के दो लोगों की जीत बेहद मायने रखती है,जो स्वतंत्र रुप से चुनाव लड़कर जीत का परचम लहराने में कामयाब हुए। पहले हैं,जोगेंद्र सोलंकी और दूसरे के.पी.मलिक। मलिक पहले भी कमेटी के सदस्य रह चुके हैं। लेकिन जोगेंद्र सोलंकी की जीत इसलिये ज्यादा खास बन जाती है क्योंकि वे पहली बार चुनावी-मैदान में उतरे और सबसे अधिक वोट पाने में दूसरे नंबर पर आकर सबको चौंका दिया। वह पुराने क्राइम रिपोर्टर हैं और आज भी क्राइम के साथ गृह मंत्रालय की बीट पर काम करते हैं।

बता दें कि प्रेस एसोसिएशन एक बड़ी और प्रतिष्ठित संस्था है क्योंकि इससे जुड़े पत्रकारों ने रातों रात लागू हुई एमरजेंसी के समय भी सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी। तब संस्था का कार्यालय बना था प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया बना जहां से बैठकर कुलदीप नैयर,एस. सहाय , इंद्रजीत और अरुण शौरी जैसे न जाने कितने नामी-गिरामी पत्रकारों-लेखकों ने सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला और अपनी आवाज को बुलंद कर मीडिया के दमन को रोकने का काम किया था। प्रेस एसोसिएशन की टीम में चुनाव में विजयी सदस्यों को प्रेस कॉउंसिल, प्रेस मान्यता समिति समेत पत्रकार हितों के लिए गठित समितियों में नामांकित किया जाता है।

लेकिन प्रेस एसोसिएशन के 650 सदस्य होने के बावजूद इसके चुनाव में बेहद कम मतदान चिंता का विषय है। जब प्रेस एसोसिएशन के सदस्यों से इस बारे में बात की गई तो ज्यादातर लोगों का कहना था कि पिछले कुछ सालों में प्रेस एसोसिएशन की कमेटी के बड़े पदाधिकारयों ने मीडिया की आवाज बुलंद करने की जगह सरकार की चाटुकारिता शुरू कर दी है। यहाँ पिछले कुछ सालों से म्यूजिकल चेयर का गेम खेला जा रहा है। कुछ चुनिंदा पत्रकार पद बदल बदल कर चुनाव लड़ते हैं और जीत हासिल कर बड़ी समितियों के सदस्य बनकर सरकार की चाटुकारिता करते हैं। पिछले कुछ सालों में पीआईबी पत्रकारों को रेल किराए समेत कई तरह की सुविधाओं से वंचित कर दिया गया लेकिन ये कमेटी सरकार पर कोई दबाव नहीं बना सकी। इतना ही नहीं कुछ सालों में पत्रकारों को मिल रही इकलौती सुविधा सीजीएचएस की प्रक्रिया और पीआईबी मान्यता की प्रक्रिया को बेहद कठिन बना दिया गया। लेकिन प्रेस एसोसिएशन के पदाधिकारी धृतराष्ट्र बने रहे। ज्यादातर पीआईबी पत्रकारों का आरोप है कि लगातार उद्देश्यहीन होती जा रही प्रेस एसोसिएशन का सदस्य बनने से लेकर उसके चुनाव के प्रति पत्रकारों की रूचि कम होती जा रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com