विशेष संवाददाता
गाजियाबाद । गाजियाबाद से बड़ी खबर है। यहां का पाने योग्य नहीं है। स्थिति यह है कि पिछले पांच माह में गाजियाबाद में पानी के 266 नमूने फेल हुए हैं। केवल जून माह में 25 नमूने फेल हुए हैं। बरसात शुरू होने के बाद शहर में पीने के पानी की स्थिति और बिगड़ी है। सीवर ओवर फ्लो होकर पीने के पानी को दूषित कर देता है और गाजियाबाद में सीवर ओवर फ्लो की समस्या आम है। यानि जुलाई माह के आंकड़े इससे भी भयावह हो सकते हैं। लिहाजा गाजियाबाद वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
स्वास्थ्य विभाग की जांच में खुलासा
गाजियाबाद के स्वास्थ्य विभाग की ओर से पानी के नमूने लेकर जांच कराई जाती है। जून माह में विभाग ने कुल 113 नमूने लेकर जांच कराई तो 25 नमूने पीने योग्य नहीं मिले। फेल होने वाले नमूने सोसायटी, होटल और ढाबों के अलावा पानी के प्लांट से भी लिए गए थे। मई माह के दौरान जांच अधिक हुईं तो फेल होने वाले नमूनों की संख्या में काफी उछाल दर्ज किया गया था। विभाग के मुताबिक मई माह में 373 नमूनों की जांच हुई, इनमें से 162 नमूने फेल हो गए थे। यह आंकड़े देखकर आपको लग सकता है कि मई के मुकाबले जून माह के दौरान पानी की गुणवत्ता अच्छी रही, लेकिन ऐसा है नहीं, बात को समझने का प्रयास करें कि यदि जांच अधिक होगी तो फेल होने वाले नमूनों की संख्या कहीं अधिक हो जाएगी।
पानी का टीडीएस 500 से अधिक
जांच के दौरान शहर के अधिकतर क्षेत्रों में पानी का टीडीएस 500 से अधिक पाया गया है। जबकि मानकों के मुताबिक यह 200 से अधिक नहीं होना चाहिए। 200 से ज्यादा टीडीएस वाला पानी भारी माना जाता है जो पेट संबंधी तमाम रोगों का कारण बन सकता है। बीमारियों पर रोकथाम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर पानी के नमूने लेकर जांच कराता है। खासकर बरसात के मौसम में दूषित पानी पीने से डायरिया जैसी संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इस बात को देखते हुए शासन से पानी और खाद्य पदार्थों की जांच के आदेश प्राप्त हुए हैं।
इंदिरापुरम में सैकड़ों लोग बीमार पड़े थे
आपको याद होगा कि मई माह इंदिरापुरम स्थित साया सोसायटी में एक साथ सैकड़ों लोग बीमार पड़ गए थे। स्वास्थ्य विभाग को सोसायटी में कई दिन तक कैंप करना पड़ा था। पानी की जांच कराने पर पता चला था कि लोगों को मिल रहा पेयजल सीवर के साथ मिक्स होने का कारण दूषित हो रहा था। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सोसायटी से पानी के नमूने लेकर लगातार जांच कराई थी। इसीलिए मई माह के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए लिए गए नमूनों की संख्या सर्वाधित 373 रही। इनमें से 162 नमूने फेल हो गए थे।
स्वास्थ्य विभाग करता है मॉनी टरिंग
गाजियाबाद के जिला सर्विलांस अधिकारी डाॅ. आरके गुप्ता का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग पेयजल को लेकर लगातार मॉनीटरिंग करता है। इसके साथ ही पेयजल को लेकर लगातार सतर्कता बरतने की सलाह आमजन को दी जाती है। पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बीच-बीच में पानी के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजे जाते हैं। जांच में पानी की गुणवत्ता सही न पाए जाने पर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है। साथ ही संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए भी लिखा जाता है।
सीएमओ ने क्या कहा
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर का कहना है कि पीने की पानी की गुणवत्ता सही न होने पर पेट संबंधी तमाम बीमारियां हो सकती हैं। डायरिया जैसा संक्रामक रोग होने का सबसे बड़ा कारण दूषित पेयजल ही है। इसलिए पानी की गुणवत्ता के साथ कतई समझौता न करें। बेहतर हो कि पीने के पानी को अच्छे से उबाल लें और उसे अच्छे छानकर ही पिएं। कोई तकलीफ होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर डाक्टर से परामर्श लें।