विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 3 जुलाई को राज्यसभा में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दशकों बाद एक सरकार को लगातार तीसरी बार सेवा करने का मौका मिला लेकिन कुछ लोगों को यह जनादेश समझ में नहीं आया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 60 साल के बाद हुआ है कि 10 साल के बाद, कोई एक सरकार उसकी वापसी हुई है। भारत के लोकतंत्र की 6 दशक के बाद यह असमान्य घटना है। कुछ लोग जानबूझकर उससे अपना मुंह फेर कर बैठे रहे। कुछ लोगों को समझ नहीं आया। जिन्हें समझ आया उन्होंने हल्ला इस वजह से किया कि जनता के निर्णय पर कैसे छाया कर दी जाए। कैसे उसे ब्लैकआउट किया जाए।
विपक्ष पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र की जांच एजेंसियों पर आरोप लगाए गए हैं। जांच एजेंसियों का सरकार दुरुपयोग कर रही है, ऐसा कहा गया है। शराब घोटाला करे AAP, भ्रष्टाचार करे AAP, बच्चों के क्लासरूम बनाने में घोटाला करे AAP, पानी तक में घोटाला करे AAP… AAP की शिकायत करे कांग्रेस, AAP को कोर्ट तक घसीट कर ले जाए कांग्रेस और कार्रवाई हो तो गाली दें मोदी को। जवाब मांगे। कांग्रेस देश को बताए कि कांग्रेस ने प्रेस वार्ता करके AAP के घोटालों के इतने सारे सबूत देश के सामने रखे थे, वो सबूत सच्चे थे या झूठे थे?
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हमारे लिए मिशन है। ये हमारे लिए चुनाव में हार-जीत का विषय नहीं है। हमने 2014 में जब सरकार बनाई तब हमने कहा था कि हमारी सरकार गरीबों के कल्याण के लिए काम करेगी। हमारी सरकार भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करेगी, कालेधन पर वार करेगी। मैं बिना लाग-लपेट के कह रहा हूं, हमने एजेंसियों को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए खुली छूट दे रखी है। हां, वो ईमानदारी से ईमानदारी के लिए काम करे। कोई भी भ्रष्टाचारी बच नहीं पाएगा, ये मोदी की गारंटी है।
उन्होंने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि संवेदनशील मामलों में जब राजनीति होती है, तो देशवासियों को और खासकर महिलाओं को अकल्प पीड़ा होती है। ये जो महिलाओं के साथ होते अत्याचार में विपक्ष का सेलेक्टिव रवैया है, ये सेलेक्टिव रवैया चिंताजनक है। मैं किसी राज्य के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं और न ही कोई राजनीतिक स्कोर करने के लिए बोल रहा हूं। कुछ समय पहले, मैंने बंगाल से आई कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर देखा। एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है। वहां खड़े हुए लोग उसकी मदद के लिए नहीं आ रहे है, वीडियो बना रहे हैं। जो घटना संदेशखाली में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं, लेकिन बड़े बड़े दिग्गज जिनको मैं कल से सुन रहा हूं, पीड़ा उनके शब्दों में भी नहीं झलक रही है। इससे बड़ा शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है? जो लोग खुद को प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं, वो भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए हैं। क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने जी भरकर समर्थन और आशीर्वाद दिए हैं। उन्होंने भरोसे की राजनीति पर मुहर लगाई है। नतीजे आए तब से हमारे एक साथी की ओर से बार-बार ढोल पीटा गया था कि एक तिहाई सरकार…इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे 10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है और इसलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए उनके मुंह में घी शक्कर।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव नतीजों से कैपिटल मार्केट में तो उछाल नजर ही आ रहा है, लेकिन दुनिया में भी उमंग और आनंद का माहौल है। इस बीच हमारे कांग्रेस के लोग भी खुशी में मग्न हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस खुशी का कारण क्या है? क्या ये खुशी हार की हैट्रिक पर है? क्या ये खुशी नर्वस 90 का शिकार होने की है? क्या ये खुशी एक और असफल लॉन्च की है?
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब लोकसभा में जब हमारी सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे तो मैं हैरान हूं कि जो आज संविधान की प्रति लेकर घूमते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन्होंने विरोध किया था कि 26 जनवरी तो है, फिर संविधान दिवस क्यों लाएं? आज संविधान दिवस के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों को संविधान की भावना को, संविधान की रचना में क्या भूमिका रही है, देश के गणमान्य महापुरुषों ने संविधान के निर्माण में किन कारणों से कुछ चीजों को छोड़ने का निर्णय किया और किन कारणों से कुछ चीजों को स्वीकार करने का निर्णय किया इसके विषय में विस्तार से चर्चा हो। एक व्यापक रूप से संविधान के प्रति आस्था का भाव जगे और संविधान के प्रति समझ विकसित हो। संविधान हमारी प्रेरणा रहे इसके लिए हम कोशिश करते रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जो ये मानते हैं कि इसमें क्या है, ये तो होने ही वाला है, ये तो अपने आप हो ही जाएगा… ऐसे विद्वान हैं। ये लोग ऐसे हैं, जो ऑटो पायलट मोड में, रिमोट कंट्रोल सरकार चलाने के आदी हैं। ये कुछ करने धरने में विश्वास नहीं रखते, ये इंतजार करना जानते हैं। लेकिन हम परिश्रम में कोई कमी नहीं रखते हैं।
संबोधन के बीच विपक्ष के वॉकआउट पर प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में कहा कि देश की जनता ने हर प्रकार से उनको इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवाय कुछ बचा नहीं है। नारेबाजी, हो-हल्ला और मैदान छोड़कर भाग जाना… यही उनके नसीब में लिखा हुआ है। देश देख रहा है झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती है। सत्य से मुकाबला करना इसके लिए जिनके हौसले नहीं हैं, उनमें बैठकर के इतनी चर्चा के बाद अपने द्वारा ही उठाए हुए सवालों के जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है। ये अपर हाउस को अपमानित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैं किसानों को लेकर सभी सदस्यों का और उनकी भावनाओं का आदर करता हूं। बीते 10 वर्षों में हमारी खेती लाभकारी हो, किसान को लाभकारी हो, इस पर हमने हमारा ध्यान केंद्रित किया है और अनेक योजनाओं से उसको ताकत देने का प्रयास किया है। एक प्रकार से बीज से बाजार तक हमने किसानों के लिए हर व्यवस्था को बहुत माइक्रो प्लानिंग के साथ मजबूती देने का भरसक प्रयास किया है और व्यवस्था को हमने चाक चौबंद किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक संकटों की वजह से कुछ समस्याएं उत्पन्न हुईं, लेकिन हमने 12 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर इसका असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया। हमने कांग्रेस के मुकाबले कहीं अधिक पैसा किसानों तक पहुंचाया। अन्न भंडारण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान हमने हाथ में लिया और इस दिशा में काम चल पड़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने पिछले पांच साल में जितना काम किया है, उतना काम करना होता तो कांग्रेस को 20 साल लग जाते। नॉर्थईस्ट में स्थायी शांति के लिए 10 साल निरंतर प्रयास किए गए हैं। बिना रुके, बिना थके प्रयास किए गए हैं। उसकी चर्चा देश में कम हुई है, लेकिन परिणाम व्यापक रहे हैं। राज्यों के बीच सीमा विवाद संघर्षों को जन्म देता रहा है और आजादी के बाद से ये निरंतर चलता रहा है। हम राज्यों के साथ इसे हल करते जा रहे हैं। ये नॉर्थईस्ट की बहुत बड़ी सेवा है। हिंसा से जुड़े संगठन, जो हथियारबंद गिरोह थे जो लड़ाई लड़ते रहते थे, आज उनको साथ लेकर स्थायी समझौते हो रहे हैं। जिनके खिलाफ गंभीर मामले हैं, वे अदालत में जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। न्यायतंत्र में भरोसा बढ़ना महत्वपूर्ण बात है।
राज्यसभा में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। वहां जो घटनाएं घटीं, 11 हजार से ज्यादा FIR की गईं हैं, 500 से ज्यादा लोग अरेस्ट हुए हैं। इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं। मणिपुर में भी स्कूल-कॉलेज संस्थान खुले हुए हैं। जैसे देश में परीक्षाएं हुईं, वहां भी परीक्षाएं हुई हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार सभी से बातचीत करके सौहार्द का रास्ता खोलने की कोशिश कर रही है। छोटे-छोटे ग्रुपों से बात की जा रही है। गृहमंत्री वहां जाकर कई दिन रहे हैं। अधिकारी भी लगातार जा रहे हैं। समस्या के समाधान के लिए हर प्रकार से प्रयास किया जा रहा है। जो भी तत्व मणिपुर की आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें आगाह करना चाहता हूं कि ये हरकतें बंद करें। एक समय आएगा जब मणिपुर ही रिजेक्ट करेगा उन लोगों को।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोग ये ना भूलें कि इन्हीं हालातों की वजह से इस छोटे से राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है। ये हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ है। कुछ तो वजह होगी। लेकिन फिर भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वहां हरकतें हो रही हैं। हमें समझदारी के साथ स्थितियों को ठीक करने के लिए प्रयास करना है।