विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के अमरावती की पूर्व सांसद नवनीत राणा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने माँग की है कि जय फिलिस्तीन का नारा लगाने के कारण AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सदस्यता रद्द की जाए। उन्होंने जय फिलिस्तीन का नारा लगाने को राष्ट्रद्रोह बताया है।
नवनीत राणा ने गुरुवार (27 जून, 2024) को राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए यह पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में शपथ लेने के बाद ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे लगाए। फिलिस्तीन वह देश है, जिसका भारतीय नागरिक या भारतीय संविधान से कोई लेना-देना है।
सांसद नवनीत राणा ने आगे अपने पत्र में लिखा कि असदुद्दीन ओवैसी ने फिलिस्तीन के नारे संसद में लगा कर अपनी निष्ठा और लगाव इस देश के प्रति स्पष्ट कर दिया है और यह संविधान का उल्लंघन है। नवनीत राणा ने इसे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा भी बताया है। उन्होंने कहा है कि ओवैसी का यह बयान राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
पूर्व सांसद नवनीत राणा ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 102 का हवाला भी दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत कार्रवाई करते हुए ओवैसी की सांसदी खत्म करने की माँग की है।
क्या कहता है अनुच्छेद 102 और 103
संविधान के अनुच्छेद 102 में वह स्थितियाँ बताई गई हैं, जिनके अंतर्गत किसी संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’ में लिखा है कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी दूसरे राष्ट्र की नागरिकता ले ली है। इसके अलावा उसे इस आधार पर भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि वह दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रृद्धा रखता है।
वहीं संविधान का अनुच्छेद 103, अनुच्छेद 102 के तहत किसी संसद सदस्य को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर फैसला सम्बन्धी शक्तियाँ देश के राष्ट्रपति को देता है। इसमें कहा गया है कि यदि अनुच्छेद 102 के तहत अयोग्यता का मामला उठता है इस मामले में इसे राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए और उसका ही निर्णय अंतिम होगा। इसी अनुच्छेद में कहा गया है कि अयोग्य घोषित करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सलाह लेगा और उसी के अनुसार निर्णय लेगा।
ओवैसी ने ‘जय फिलिस्तीन’ के लगाए थे नारे
हैदराबाद से सांसद चुने गए असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार (26 जून, 2024) को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद जय फिलिस्तीन के नारे लगाए। उन्होंने अपनी शपथ उर्दू में ली। उर्दू में शपथ लेने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने अंत में ‘जय भीम, जय मीम’ कहा और ‘अल्लाह-हू-अकबर’ का नारा भी लगाया, लेकिन अंत में उन्होंने ‘जय फिलिस्तीन’ भी कहा। इस दौरान पूर्वी चम्पारण से भाजपा के सांसद राधामोहन सिंह पीठासीन थे और नव-निर्वाचित सांसदों को शपथ दिला रहे थे।
जब असदुद्दीन ओवैसी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये संविधान के खिलाफ कैसे हुआ, ये संविधान के कौन से प्रावधान के हिसाब से गलत है? G किशन रेड्डी के विरोध पर उन्होंने कहा कि उनका काम है विरोध करना, हम उन्हें खुश करने के लिए क्यों बोलेंगे। उन्होंने इस दौरान फिलिस्तीन को लेकर महात्मा गाँधी के विचार पढ़ने की सलाह भी दी।
इससे पहले वकील हरि शंकर जैन ने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ इस मामले में राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत की थी। हरि शंकर जैन ने ओवैसी की सदस्यता संसद सदस्य के रूप में खत्म करने की माँग की है। ऐसी ही एक शिकायत एक और वकील विभोर आनंद ने भी लोकसभा सचिवालय से की है।
नवनीत राणा इससे पहले भी असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती दे चुकी हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान हैदराबाद में कहा था, “एक छोटा भाई है, एक बड़ा भाई है…छोटा (अकबरुद्दीन ओवैसी) बोलता है कि पुलिस को 15 मिनट हटा दो तो हम दिखाएंगे की क्या कर सकता है। छोटे को मेरा कहना है कि तेरे को 15 मिनट लगेंगे और हमको सिर्फ 15 सेकेंड लगेंगे। 15 सेकेंड पुलिस को हटाया तो छोटे और बड़े (असदुद्दीन ओवैसी) को पता नहीं लगेगा कि कहाँ से आया और कहाँ से गया। सिर्फ 15 सेकेंड लगेंगे।”