संवाददाता
गाजियाबाद। जीडीए की इंदिरापुरम योजना में 20 साल पहले तत्कालीन सचिव श्याम सिंह यादव द्वारा अपने परिचितों और रिश्तेदारों को नियम विरूद्ध आवंटित किए गए आठ भवनों का आवंटन निरस्त कर दिया गया है। भाजपा नेता राजेंद्र त्यागी की शिकायत के बाद शासन के निर्देश पर जीडीए उपाध्यक्ष ने आवंटन को निरस्त किया है। 2003-04 में इंदिरापुरम योजना में अपने रिश्तेदारों और परिचितों को गलत तरीके से भूखंड आवंटन का आरोप तत्कालीन जीडीए सचिव श्याम सिंह यादव पर हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 2012 में दायर की गई थी याचिका
इसमें उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के समक्ष याचिका 2012 में दायर की गई थी। इस भूखण्ड आवंटन में जांच एवं परीक्षण हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी थी। समिति की जॉच आख्या एवं तत्क्रम में की गयी अनुशंसा के क्रम में उपाध्यक्ष, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा निम्नानुसार भूखण्डों को निरस्त कर दिया गया है।
पूर्व अफसरों ने नियमों का उल्लंघन किया
जीडीए के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि विधायकों के लिए आरक्षित भूखंडों को नियमों का उल्लंघन करते हुए अन्य लोगों को आवंटित किए जाने की शिकायतों की जांच के बाद यह कदम उठाया गया है। एक जांच समिति की सिफारिशों पर कुल सात भूखंडों के आवंटन को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सदस्यों और रिश्तेदारों के नाम है प्लॉट
अतुल वत्स ने बताया कि रद्द किए गए आवंटनों में जीडीए के पूर्व सचिव के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों आदि के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन करके आवंटन प्राप्त किया था। आरोप है कि सात मामलों में आवंटियों ने कथित मिलीभगत या पूर्व सचिव के निर्देश पर विधायक योजना में प्लॉट प्राप्त करने के लिए अपने मूल आवंटन को परिवर्तित करवा लिया था।
एक ही परिवार के सदस्यों को प्लॉट आवंटित किए
जीडीए ने एक प्रेस बयान में बताया कि इन आवंटनों में कई अनियमितताएं और अवैधताएं पाई गईं। एक मामले में पूर्व सचिव के एक परिवार के सदस्य ने वैशाली योजना से इंदिरापुरम योजना में आवंटन परिवर्तित करवा लिया था। एक अन्य मामले में पूर्व सचिव की पत्नी के नाम पर आवंटित किया गया भूखंड योजना शुरू होने के सात साल बाद परिवर्तित किया गया था।
14 साल के बाद हुआ एक्शन
कुछ मामलों में आवंटियों ने फर्जी या जाली अपंजीकृत पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए भूखंडों की रजिस्ट्री कराई थी, जिसकी जांच मंडलायुक्त द्वारा की गई थी। एक मामले में 14 साल के बाद भूखंड का रूपांतरण किया गया था। एक अन्य मामले में भूखंड पूर्व सचिव के भाई को आवंटित किया गया था। वत्स ने कहा कि फर्जी आवंटन मामलों में यदि कोई एफआईआर या कानूनी कार्रवाई शुरू की जाती है तो जीडीए राज्य सरकार के अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार करेगा