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द‍िल्‍ली के ‘माननीयों’ को नहीं सरकारी अस्‍पतालों पर भरोसा, प्राइवेट में इलाज कराने का हर साल बढ़ रहा खर्च

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । द‍िल्‍ली की आम आदमी पार्टी सरकार भले ही प‍िछले कई सालों में राजधानी के स्‍वास्‍थ्‍य स‍िस्‍टम में बेहतर सुधार करने का दंभ भरती आ रही हो, लेक‍िन इन सुव‍िधाओं पर चुने हुए जनप्रत‍िन‍िध‍ियों को ही भरोसा नहीं है। द‍िल्‍ली के माननीय अपनी बीमारी का इलाज कराने के ल‍िए सरकारी की बजाय प्राइवेट अस्‍पताल में भर्ती होना ज्‍यादा पसंद कर रहे हैं।

सरकार में रहने वाले ही सरकारी स‍िस्‍टम में भरोसा नहीं रख पा रहे हैं, ज‍िसके चलते इन सालों में जनप्रत‍िन‍िध‍ियों के मेड‍िकल ट्रीटमेंट पर सरकार ने करोड़ोंरुपए खर्च क‍िया है। माननीयों के मेड‍िकल ट्रीटमेंट पर खर्च की जाने वाली राश‍ि में साल दर साल लगातार बढ़ोतरी र‍िकॉर्ड की जा रही है। द‍िल्‍ली व‍िधानसभा सच‍िवालय से उपलब्‍ध आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो द‍िल्‍ली के व‍िधायकों व पूर्व व‍िधायकों के अलावा स्‍पीकर और ड‍िप्‍टी स्‍पीकर के इलाज पर भी लाखों रुपये खर्च क‍िए गए हैं।

द‍िल्‍ली की आम आदमी पार्टी के सत्‍ता पर काबिज होने के बाद हर साल इस खर्चे में बड़ा इजाफा र‍िकॉर्ड कि‍या गया है। इसका बड़ा उदाहरण यह है क‍ि द‍िल्‍ली व‍िधानसभा के स्‍पीकर/ड‍िप्‍टी स्‍पीकर के ऊपर मेड‍िकल पर जो खर्चा 2014-15 में 60,409 रुपये र‍िकॉर्ड क‍िया गया था वो 2022-23 में 2,78,625 रुपये हो गया है।

बात अगर स‍िर्फ स्‍पीकर/ड‍िप्‍टी स्‍पीकर के प‍िछले 9 सालों के मेड‍िकल खर्चों की बात करें तो इनके स्‍वास्‍थ्‍य को सही रखने की ल‍िए सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही है। 2014-15 में 60,409 रुपये खर्च क‍िए थे तो 2015-16 में यह राश‍ि 2,26,179 रुपये र‍िकॉर्ड की गई. इसी तरह से 2016-17 में यह राश‍ि 87,098 दर्ज की गई। वहीं, 2017-18 में 1,33,132 रुपये खर्च क‍िए। वहीं अगले साल 2018-19 में यह राश‍ि 2,06,000 रुपये र‍िकॉर्ड किया गया। इसके अलावा 2019-20 में 1,47,769 रुपये मेड‍िकल पर खर्च क‍िए गए. 2020-21 में भी 1,68,353 रुपये, 2021-2022 में 2,01,792 रुपये और 2022-23 में 2,78,635 रुपये मेड‍िकल सुव‍िधाओं पर खर्च क‍िए गए।

बात अगर दिल्ली के विधायकों और पूर्व विधायकों के स्वास्थ्य सुव‍िधाओं पर किए जाने वाले खर्चे की करें तो हर साल करोड़ों रुपये मेडिकल सुविधाओं पर खर्च किया जा रहा है। 2014-15 में दिल्ली के विधायक और पूर्व विधायकों के इलाज पर एक करोड़ 26 लाख 74 हजार 270 रुपए खर्च किए गए। जबकि 2015-16 में यह राशि 94 लाख 08 हजार 305 रुपये रिकॉर्ड की गई। इसके बाद 2016-17 से लेकर 2022-23 तक भी माननीयों के इलाज पर कई करोड़ रुपये खर्च किए गए है। साल 2016-17 में एक करोड़ 19 लाख 93 हजार 492 रुपये, 2017-18 में एक करोड़ 25 लाख 86 हजार 341 रुपये, 2018-19 में एक करोड़ 90 लाख रुपये, 2019-20 में एक करोड़ 84 लाख 16 हजार 433 रुपये, 2020-21 में एक करोड़ 99 लाख 94 हजार 748 रुपये खर्च किए गए। इसी तरह से 2021-22 में 2 करोड़ 33 लाख 52 हजार 855 रुपये और 2022-23 में 2 करोड़ 96 लाख 32 हजार 960 रुपये माननीयों की बीमारियों के इलाज पर खर्च किए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक, द‍िल्ली के सरकारी अस्‍पतालों में हर रोज आम लोगों को दवाईयों से लेकर संबंध‍ित बीमार‍ियों से जुड़े टेस्‍ट आद‍ि कराने को लेकर बड़ी जद्दोजहद करनी होती है। कई बार तो उनको अल्‍ट्रासाउंउ या एक्‍सरे कराने के ल‍िए 2 से 4 माह की डेट तक दे दी जाती है। सीटी स्‍कैन कराने से लेकर ऑपरेशन आद‍ि की डेट तो ऐसी दे दी जाती हैं ज‍िसको सुनकर मरीज और तीमारदार दांतों तले उंगली दबा बैठते हैं। बावजूद इसके सरकार स्‍वास्‍थ्‍य सुव‍िधाओं की बेहतरी का दावा करते नहीं थकती है। सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य पर सरकार में बैठे प्रत‍िन‍िध‍ियों को क‍ितना भरोसा है, यह सब कुछ साफ नजर आता है।

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