विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । अदालत ने जम्मू-कश्मीर में कथित आतंकी फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को जमानत दे दी है। अदालत ने कहा कि शाह इस मामले में छह साल और 10 महीने तक हिरासत में थे, जिसमें अधिकतम सजा सात साल थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरज मोर ने आदेश में शाह को वैधानिक जमानत देते हुए कहा कि जिन अन्य मामलों में अलगाववादी नेता हिरासत में थे, वे बहुत गंभीर प्रकृति के थे।
न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि यह उसकी वैधानिक जमानत को अस्वीकार करने का पर्याप्त आधार नहीं हो सकता है, जब उसे किसी भी अपराध में दोषी नहीं ठहराया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि भले ही उन्हें इस मामले में जमानत दे दी जाए, लेकिन अन्य कथित अपराधों में उन्हें 24 जुलाई 2024 से पहले जेल से रिहा किए जाने की संभावना नहीं है। वह तारीख जिस दिन वर्तमान मामले में एक विचाराधीन कैदी के रूप में उसके लिए सात साल की अधिकतम सजा समाप्त हो रही है।
शाह ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वह इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि पहले ही भुगत चुके हैं। आवेदन में दावा किया गया कि शाह इस मामले में 26 जुलाई 2017 से हिरासत में हैं। वह 25 जुलाई को एक विचाराधीन कैदी के रूप में अधिकतम सात साल की कैद पूरी कर लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सह-अभियुक्त मो. असलम वानी को धारा 25 शस्त्र अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध को छोड़कर सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। आवेदन में दावा किया गया है कि अनुसूचित अपराधों में उनके बरी होने के बाद, अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप अपराध की आय अर्जित करने के अभियोजन के आरोप टिक नहीं पाए।