संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद में शेयर ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने का मामला सामने आया है। शहर की साइबर थाना पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि पकड़े गए आरोपियों ने देशभर में इसी तरह की 32 वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस ने आरोपियों के बैंक खातों में जमा 52 लाख रुपये को फ्रीज कराया है। आरोपियों के पास 29.50 लाख रुपये और फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
गाजियाबाद निवासी से ठगे 70 लाख रुपये
गाजियाबाद एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि गुलमोहर गार्डन, राजनगर एक्सटेंशन निवासी कुशलपाल सिंह 23 अप्रैल को शेयर ट्रेडिंग से संबंधित वीडियो सर्फ कर रहे थे। उसी समय साइबर अपराधियों ने उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप रैम इन्वेस्टमेंट एकेडमी टीचर्स से जोड़ दिया। वीआईपी-सेवा-टीम । इस ग्रुप के एक लिंक के जरिए कुशलपाल सिंह को टीचर्स और यूआईसीआईसीआर शेयर ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड कराया गया। इस ऐप पर कुशलपाल से शेयर ट्रेडिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराया गया था। इसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए अलग-अलग बैंकों के कई खातों में शेयर ट्रेडिंग के लिए पैसे ट्रांसफर कराते हुए 70 लाख रुपये ठग लिए।
एडीसीपी ने बताया कि बुधवार को पकड़े गए आरोपियों की पहचान रवि शर्मा निवासी गोविंदनगर मथुरा, सुशील शर्मा निवासी देहरादून और भानु राघव उर्फ विक्की निवासी देहरादून के रूप में हुई है। रवि 12वीं, सुशील बीकॉम और भानु राघव 12वीं पास हैं। पकड़े गए आरोपी पिछले काफी समय से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे।
पूछताछ में रवि शर्मा ने बताया कि वह अपने साथियों सुशील, भानू और मनोज के साथ मिलकर फर्जी फर्मों के नाम पर चालू बैंक खाते खुलवाता है। इसके बाद विदेश में बैठे जालसाज को व्हाट्सएप पर अकाउंट क्रेडेंशियल भेजा गया। धोखाधड़ी से आया पैसा इन्हीं खातों में ट्रांसफर किया जाता था। यह गिरोह विदेश में बैठे जालसाज को ट्रांजैक्शन का ओटीपी भेजने के लिए एक खास एप्लीकेशन का इस्तेमाल करता था। पकड़े गए तीनों आरोपियों को कुल लेनदेन का एक प्रतिशत मिलता था।
आरोपियों ने ने मनोज कुमार कठैत के माध्यम से कठैत फाइनेंशियल सर्विसेज देहरादून नाम से फर्जी फर्म बनाई और पीएनबी की सहस्त्रधारा देहरादून शाखा में चालू खाता खुलवाया और उसमें गाजियाबाद के कुशलपाल से 70 लाख रुपये जमा कराए। इस बैंक खाते में 32 बार से कुल 6.5 करोड़ रुपये जमा हुए। पुलिस को फिलहाल इस खाते में 52 लाख रुपये ही मौजूद मिले हैं। वहीं पुलिस अब धोखाधड़ी में इस्तेमाल होने वाले ऐप्स को गूगल और प्ले स्टोर से हटाने के लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है, ताकि ज्यादा लोग इस जाल में न फंसें।