विशेष संवाददाता
ग्वालियर। सिंधिया राजघराने से दुखद खबर आ रही है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का बुधवार को निधन हो गया है. माधवी राजे सिंधिया ने दिल्ली के अस्पताल में आखिरी सांस ली. बता दें कि पिछले 3 महीने से दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वह वह कई दिनों से वेंटिलेटर पर थीं. कुछ दिन पहले की सिंधिया और उनका पूरा परिवार चुनावी प्रचार बीच में छोड़कर दिल्ली पहुंचा था.
दिल्ली एम्स में चल रहा था इलाज
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता का बीते कई दिनों से दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा था. गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया की 30 अप्रैल को तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली थी. वह निमोनिया के साथ-साथ सेप्सिस से भी पीड़ित थीं. इसके बाद ज्योतिरादित्य की धर्मपत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया दिल्ली के लिए रवाना हो गईं थीं. जिससे उनके आगामी 2 मई तक के दौरे निरस्त कर दिए गए थे.
चुनाव प्रचार छोड़ दिल्ली रवाना हुए थे सिंधिया
चुनाव प्रचार के दौरान ही कई बार सिंधिया को दिल्ली वापस जाना पड़ा. गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर वोटिंग से ठीक पहले ही माधवी राजे की तबियत काफी ज्यादा गंभीर हुई तो प्रियदर्शनी राजे समेत ज्योतिरादित्य और महाआर्यमन सिंधिया दिल्ली लौट गए थे. माना जा रहा था परिवार काफी मुश्किल हालात में था और उस दौरान भी फील्ड और हॉस्पिटल में लगातार बना रहा.
नेपाल के राजघराने से था संबंध
राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बहू और माधवराज सिंधिया की पत्नी माधवी राजे सिंधिया का नेपाल के राजघराने से संबंध था. सिंधिया घराने के राजनीति से ताल्लुक रखने के बाद भी माधवी राजे कभी राजनीति में नहीं आईं. हालांकि माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक परिवार का संबल बनी रहीं. कई बार वह प्रचार के लिए जनता के बीच में दिखाई दी थीं.
बहू माधवी राजे को रास नहीं आई राजनीति, जनता ने केवल उन्हें प्रचार में देखा
जिस सिंधिया राजपरिवार में राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर उनकी बेटी यशोधरा और वसुंधरा राजे सिंधिया तक राजनीति के मैदान में मजबूती से कदम बढ़ाती रहीं. बावजूद इसके माधवी राजे सिंधिया अपनी सास विजयाराजे सिंधिया की राह पर नहीं चलीं और राजनीति से दूर ही रहीं.
सिंधिया राजपरिवार में माधवी राजे की सास विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में राजनीति में कदम बढ़ा दिये थे. पहली बार कांग्रेस से सांसद बनी थी हांलाकि फिर दस साल बाद ही वे कांग्रेस छोड़कर जनसंघ में शामिल हुई और संस्थापक सदस्यों में रहीं. सास के दिए सिंधिया परिवार के संस्कार, रीति रिवाज माधवी राजे सिंधिया ने सब सिर माथे रखे लेकिन राजनीति की तरफ उनके कदम नहीं बढ़े. जबकि परिवार में ही उनकी ननद वसुंधरा राजे राजनीति में आने के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं. आखिर ऐसी क्या वजह रही कि माधवी राजे को राजनीति रास नहीं आई.
माधवी राजे माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक परिवार का संबल बनी रहीं. यहां तक की वैसे भले उनकी राजनीति में कोई सक्रियता ना रही हो. वैसे भले उन्होंने सियासत में कदम ना बढ़ाए हों लेकिन माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक जनता के बीच जब जाने की जरुरत प़ड़ी माधवी राजे पीछे नहीं हटीं.