संवाददाता
रांची। ये खबर आपको पता चल ही गई होगी कि झारखंड के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम के व्यक्तिगत सचिव (PS) संजीव लाल के नौकर जहाँगीर आलम के ठिकानों पर छापेमारी कर के 25 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की है। ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने 9 अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की है, जिसमें पथ निर्माण विभाग में कार्यरत इंजीनियर विकास कुमार का आवास भी शामिल है। फरवरी 2023 में मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के 24 ठिकानों पर रेड पड़ी थी, जिसमें उनकी 100 करोड़ रुपए से भी अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ था।
मंत्री के PS के नौकर के यहाँ से मिला अकूत कैश
जहाँगीर आलम के यहाँ से इतना कैश मिला कि नोट गिनने में ED की टीम भी हाँफ गई। अतिरिक्त बक्शे मँगाए गए नोट रखने के लिए। ये पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग का है। मनी लॉन्ड्रिंग किसी कारोबार में नहीं, बल्कि योजनाओं के कार्यान्वयन में गड़बड़ी कर के की गई है। यानी, ये जनता का पैसा है। इसे जन-कल्याण पर खर्च करने की बजाए नेताओं-अधिकारियों ने अपने ऐशोआराम के लिए रखना उचित समझा। अपने लिए अरबों रुपयों की संपत्ति बनाई।
ये कार्रवाई उसी झारखंड में की जा रही है, जहाँ हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जेल जाना पड़ा है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी को चलाने वाला खुद सलाखों के पीछे है। मामला राजधानी राँची में 8.5 एकड़ जमीन का है। ED झारखंड में खनन घोटाले की जाँच कर रही है। इसी दौरान राँची में सेना की जमीन की अवैध रूप से खरीद-बिक्री का मामला सामने आया, जिसमें रेवेन्यू इंस्पेक्टर भानु प्रताप प्रसाद का नाम आया, जिनका सीधा कनेक्शन हेमंत सोरेन से था।
हेमंत सोरेन को भी जाना पड़ा जेल
ED को पता चला कि भानु प्रताप प्रसाद एक पूरे के पूरे गिरोह का हिस्सा है, जिसका काम है धमकी देकर, सरकारी दस्तावेजों में गड़बड़ी कर के और अपने रसूख का इस्तेमाल कर के जमीन कब्जाना। अप्रैल 2023 में उसके यहाँ से 11 ट्रक दस्तावेज जब्त किए गए थे। बताया गया कि उसके साथ इस साजिश में हेमंत सोरेन भी शामिल थे। सोचिए, जिस राज्य का मुख्यमंत्री ही भ्रष्टाचार में शामिल हो उस राज्य की क्या दुर्गति होगी। अब हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना पार्टी चला रही हैं, चंपई सोरेन को डमी CM बना कर लाया गया है।
झारखंड खनिज संपन्न राज्य है, यहाँ का कोयला विदेशों तक जाता है। लेकिन, इसकी बदकिस्मती देखिए कि एक लंबे आंदोलन के बाद बिहार से अलग होने के बाद भी इसकी स्थिति और बिगड़ती ही जा रही है। 5 साल रघुबर दास की सरकार में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई हुई, धर्मांतरण के खिलाफ सरकार ने फैसले लिए, लेकिन हेमंत सोरेन तुष्टिकरण की राजनीति में डूबे रहे। वैसे उनके पिता शिबू सोरेन पर भी कम दाग नहीं हैं, वो तो अपने ही प्राइवेट सेक्रेटरी की हत्या में गिरफ्तार हुए थे।
धीरज साहू के यहाँ मिला था कैश
हमें ये सोचने की ज़रूरत है कि आखिर झारखंड की ऐसी स्थिति क्यों है? ज़्यादा पीछे नहीं जाते हैं। आपको याद होगा दिसंबर 2023 में कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के यहाँ आयकर (IT) विभाग की रेड पड़ी थी और 350 करोड़ रुपए कैश बरामद किए गए थे। वो शराब के कारोबारी हैं। आज तक भारत में एक ऑपरेशन में इतनी मात्रा में धन नहीं बरामद हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि जनता से लूटा हुआ एक-एक पाई लौटाना होगा।
उन्होंने कहा था कि एक तरफ इन नोटों के ढेर देखिए और दूसरी तरफ I.N.D.I. गठबंधन के नेताओं के ‘ईमानदारी’ पर भाषण सुनिए। आलमगीर आलम भी कॉन्ग्रेस के ही नेता हैं। झारखंड के पाकुड़ से चौथी बार विधायक हैं। उनके PS के नौकर के यहाँ से कैश मिलने पर भी पीएम मोदी ने एक रैली में चुटकी लेते हुए कहा है कि घर जाकर टीवी देखिए, मोदी माल पकड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी ने चोरी-लूट बंद की है, इसीलिए उन्हें गाली पड़ रही है। साथ ही उन्होंने जनता से पूछा कि उनके हक़ का पैसा वापस लाया जाना चाहिए या नहीं?
मधु कोड़ा युग: कॉन्ग्रेस का साथ, जम कर भ्रष्टाचार
झारखंड की बादमकिसमति की दास्तान 8.5 एकड़ जमीन, 25 करोड़ कैश या 350 करोड़ रुपए की नकदी पर ही खत्म नहीं होती। आइए, थोड़ा और पीछे चलते हैं। मधु कोड़ा का नाम आपलोगों को याद होगा, जो निर्दलीय विधायक होने के बावजूद सितंबर 2006 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का तख्तापलट कर CM बने थे। मात्र 2 वर्षों में झारखंड उनके राज में घोटाला प्रदेश बन गया, 4000 करोड़ रुपए के घोटाले में मधु कोड़ा का नाम आया। और हाँ, जैसे अभी की हेमंत सोरेन सरकार को कॉन्ग्रेस-राजद का समर्थन प्राप्त था, वैसे ही मधु कोड़ा की सरकार भी इन दोनों दलों के समर्थन से आभूषित थी।
उस समय अजय माकन झारखंड में कॉन्ग्रेस के प्रभारी हुआ करते थे, जो बाद में दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष बने। अजय माकन उस दौरान अपनी ही पार्टी के समर्थन वाली सरकार के विरोध में बोलते रहते थे, धरना तक देते थे, समर्थन-वापसी की धमकी वाला अल्टीमेटम देकर समय घटाते-बढ़ाते रहते थे, लेकिन समर्थन वापस नहीं लेते थे। अटकलें थीं कि वो दबाव बना कर ‘रेट बढ़ाने’ के लिए ये हरकतें करते थे। यानी, मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार में कॉन्ग्रेस की भी अच्छी-खासी कमाई हुई थी।
साफ़ है, कॉन्ग्रेस पार्टी को झारखंड के विकास से कोई लेना-देना नहीं रहा, उसने सिर्फ लूट के लिए इस राज्य का इस्तेमाल किया। भाजपा की सरकारें आईं तो बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुबर दास वहाँ के मुख्यमंत्री बने। हालाँकि, इन तीनों में से किसी पर भी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा। इन मुख्यमंत्रियों के खिलाफ लाख नाराज़गी रहीं, लेकिन इनके दामन दागदार नहीं रहे। ये भी सामने आया था कि झारखंड का पैसा लूट कर विदेश भेजा जा रहा है।
मीडिया में एक रिपोर्ट छपी थी कि मधु कोड़ा के राज में झारखंड से 1000 करोड़ रुपए विदेश भेजे गए। कई मंत्रियों पर आरोप लगे। बताया गया कि वो पहचान बदल-बदल कर संपत्ति खरीद रहे हैं। JPSC से लेकर विधानसभा में बहाली तक में गड़बड़ी हुई। दवा घोटाला हुआ। दवा खरीद में 100 करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई। अलकतरा घोटाला से लेकर नमक घोटाला तक हुआ। कॉन्ग्रेस सरकार में मौजूद रही। अजय माकन बाद में राजनीतिक परिस्थिति की दुहाई देते हुए डैमेज कंट्रोल के लिए कहते रहे कि मधु कोड़ा को CM बने रहने देना गलती थी।
15 नवंबर, 2007 को ही अजय माकन ने मधु कोड़ा की सरकार को 60 दिनों का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार 2009 तक चलती रही। लालू यादव और कॉन्ग्रेस का वरदहस्त होने के कारण मधु कोड़ा या हेमंत सोरेन जैसे CM झारखंड में खुल कर भ्रष्टाचार कर पाए। धीरज साहू और आलमगीर आलम जैसे नेता तो इसी की अगली कड़ी हैं। कहा जाता है कि छोटे राज्य होने से प्रशासन सुगम हो जाता है, लेकिन झारखंड अधिकतर राजनीतिक अस्थिरता और नक्सलवाद के अलावा भ्रष्टाचार से जूझता रहा।