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गाजियाबाद का टिकट फिर होल्ड पर जाने से बढ़ी जनरल समर्थकों की धड़कन

संवाददाता

गाजियाबाद। लोकसभा चुनाव के लिए बेशक बीजेपी ने बुधवार को जारी दूसरी लिस्ट में भी गाजियाबाद सीट से अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह से लेकर कई अन्य नेता टिकट के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। हालांकि यह टिकट किसे मिलेगा इसे लेकर अभी तक पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई संकेत नहीं दिए गए हैं। बावजूद दावेदारों के समर्थक अपने-अपने अनुसार अपने नेता का समर्थन करने में जुटे हुए हैं। वीके सिंह के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर ‘फिर से है जनरल, दिल से हैं जनरल’ स्लोगन लिखना शुरू कर दिया है जबकि दूसरे दावेदार और उनके समर्थक पूरी तरह से यकीन के साथ चर्चा कर रहे हैं कि पार्टी इस बार प्रत्याशी बदल सकती है। लेकिन हकीकत यही है कि दूसरी लिस्ट में भी गाजियाबाद उम्मीदवार की स्थिति साफ नहीं होनें के कारण दोनों ही गुटों की धड़कन बढ़ी हुई है।

दो बार से लगातार केंद्रीय मंत्री हैं वीके सिंह

गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र के इतिहास को देखा जाए तो 2009 में अस्तित्व में आई गाजियाबाद संसदीय सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा है। 2009 में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह यहां से चुनाव जीते थे। इसके बाद 2014 में उन्होंने गाजियाबाद को छोड़कर लखनऊ का रुख कर लिया था। इसके बाद पार्टी ने यहां से सेना के जनरल पद से रिटायर हुए वीके सिंह को टिकट दिया था। वह रिकॉर्ड में जीते। 2019 में फिर से पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2014 से पार्टी ने उन्हें लगातार केंद्र में मंत्री पद भी नवाजा हुआ है।

गाजियाबाद में बीजेपी का रहा है दबदबा

2009 से पहले गाजियाबाद की सीट हापुड़ संसदीय क्षेत्र में आती थी। यहां 1991 से लेकर 99 तक लगातार बीजेपी के डॉक्टर रमेश चंद तोमर चार बार जीतकर सांसद बने। हालांकि 2004 में कांग्रेस ने सुरेंद्र प्रकाश गोयल को टिकट दिया और वह डॉक्टर तोमर को हरा कर सांसद बन गए थे।

वीके सिंह को पूरा भरोसा

बीजेपी 2024 में किसे टिकट देगी, इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है, हालांकि मौजूदा सांसद वी के सिंह जिस प्रकार से पिछले करीब एक सप्ताह पूरे आत्मविश्वास के साथ क्षेत्र में सक्रिय है और वह लगातार दावा करते रहे हैं कि वह ही इस बार चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़ेंगे। पार्टी की पहली लिस्ट में गाजियाबाद सीट के टिकट की घोषणा होने से उनके समर्थक कुछ निराशा लगे लेकिन वीके सिंह की अपने संसदीय क्षेत्र में सक्रियता और लगातार विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन करने से समर्थक अब उत्साहित नजर आ रहे हैं।

बड़े नामों ने फंसाया पेंच

इधर वीके सिंह के मुकाबले ने राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह, राष्ट्रीय कवि कुमार विश्वास समेत लखनऊ सरोजनी नगर से विधायक और पूर्व आईपीएस अफसर राजेश्वर सिंह का नाम भी दावेदारों की लिस्ट में होने की चर्चा है। पहली लिस्ट में नाम ना आने पर चर्चा थी दूसरी लिस्ट में प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

विधायकों से अदावत है पेंच फंसने की असली वजह

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि जिस प्रकार से वीके सिंह की पिछले करीब डेढ़ वर्ष यहां के चार विधायकों से अदावत है उन्हें नुकसान की ये असली वजह हो सकती है। लेकिन सरकार में रहते हुए उन्होंने जिस प्रकार से यूक्रेन युद्ध समेत सरकार के कई ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया उसे देखते हुए पार्टी नेतृत्व उनसे प्रसन्न है जो टिकट दिलाने में रोल निभा सकता है।

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