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जहां रैली करने जा रहे पीएम मोदी, वहीं के सांसद ने दिया इस्तीफा; बंगाल में BJP को बड़ा झटका

संवाददाता

काेलकाता। पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी दौरे से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका लगा है। आदिवासी बहुल झारग्राम से भाजपा सांसद कुनार हेम्ब्रम ने शनिवार को कहा कि उन्होंने लोकसभा की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। हेम्ब्रम ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने निजी कारणों से यह फैसला लिया है।

झारग्राम सांसद का इस्तीफा ऐसे दिन आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य का दौरा कर रहे हैं और उत्तर बंगाल में आदिवासी बहुल व पूर्व माओवादी गढ़ में एक रैली को संबोधित करने वाले हैं। शनिवार को मीडिया से बात करते हुए हेम्ब्रम ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपने फैसले से पार्टी को अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा, ”व्यक्तिगत कारणों से मैं पार्टी छोड़ना चाहता हूं। मेरी किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं है। मैं अन्य सामाजिक कार्यों में लगा हुआ हूं। मैं इस तरह की पहल के माध्यम से लोगों की सेवा करना जारी रखूंगा।” 

मीडिया रिपोर्टों की मानें तो भाजपा इस बार उन्हें झारग्राम निर्वाचन क्षेत्र से टिकट देने की इच्छुक नहीं थी। भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हेम्ब्रम ने कुछ दिन पहले पार्टी को अपने फैसले के बारे में सूचित किया था। इसका लोकसभा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। यह निश्चित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को एक बार फिर लाल किले से अपना भाषण देंगे। इसलिए, इस तरह के घटनाक्रम से लोकसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’’ 

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि उन्होंने ‘‘पराजय को भांपते हुए’’ इस्तीफा दिया है। तृणमूल सांसद शांतनु सेन ने कहा, ‘‘उन्हें पता है कि भाजपा सीट हारने वाली है। इसलिए उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया।’’ इससे पहले, राणाघाट दक्षिण विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मुकुट मणि अधिकारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए थे। 

वहीं भाजपा सांसद जॉन बारला ने अलीपुरद्वार निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की थी। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री और अलीपुरद्वार से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्य, जॉन बारला ने उन्हें दूसरी बार इसी सीट से मैदान में नहीं उतारने के अपनी पार्टी के फैसले को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है। यह उत्तर बंगाल क्षेत्र में भगवा खेमे के लिए परेशानी का संकेत है, जो राज्य में उसका सबसे मजबूत आधार है।

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